ELI योजना: रोजगार सृजन के मिथक का खंडन

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • हाल ही में केंद्र सरकार ने रोजगार सृजन को समर्थन देने के लिए रोजगार लिंक्ड प्रोत्साहन (ELI) योजना को मंजूरी दी है। हालांकि, इसकी संरचना, लक्षित जनसंख्या और श्रम बाजार में असमानताओं को कम करने के बजाय उन्हें बढ़ावा देने की संभावनाओं को लेकर चिंताएं उठ रही हैं।

रोजगार लिंक्ड प्रोत्साहन (ELI) योजना के बारे में

  • लक्ष्य: विभिन्न क्षेत्रों में 3.5 करोड़ से अधिक रोजगारों का सृजन, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान। 
  • कुल व्यय: ₹99,446 करोड़।
    • यह 2024–25 के केंद्रीय बजट में घोषित ₹2 लाख करोड़ के व्यापक पैकेज का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
  • इसे श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है और EPFO के साथ समन्वय में ट्रैकिंग व वितरण किया जाता है।
  • ELI योजना के उद्देश्य
    • सभी क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देना।
    • युवाओं की रोजगार क्षमता को बढ़ाना।
    • सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार।
    • विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में औपचारिक रोजगार को प्रोत्साहित करना।

ELI योजना की संरचना

  • भाग A: प्रथम बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों के लिए प्रोत्साहन
    • पात्रता: EPFO में पंजीकृत प्रथम बार कर्मचारी ।
    • लाभ: एक माह का EPF वेतन (अधिकतम ₹15,000), दो किश्तों में भुगतान:
      • पहली किश्त: 6 माह की सेवा के बाद।
      • दूसरी किश्त: 12 माह की सेवा और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम पूरा करने के बाद ।
    • बचत घटक: प्रोत्साहन का एक हिस्सा बचत साधन में जमा किया जाएगा, जो एक निश्चित अवधि के बाद सुलभ होगा ।
    • लक्षित लाभार्थी: पहली बार कार्यबल में प्रवेश करने वाले 1.92 करोड़ युवा।
  • भाग B: नियोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन
    • पात्रता: ऐसे नियोक्ता जो ₹1 लाख तक वेतन वाले अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करते हैं ।
    • लाभ: प्रति कर्मचारी ₹3,000 प्रति माह तक, 2 वर्षों के लिए ।
    • विस्तारित लाभ: विनिर्माण क्षेत्र के लिए 3वें और 4वें वर्ष तक जारी ।
    • शर्त: रोजगार कम से कम 6 माह तक बनाए रखना आवश्यक।

अपेक्षित परिणाम

  • कार्यबल का औपचारिकीकरण: EPFO पंजीकरण और सामाजिक सुरक्षा कवरेज को प्रोत्साहन।
  • युवा सशक्तिकरण: वित्तीय साक्षरता और बचत की आदतों को बढ़ावा।
  • क्षेत्रीय विकास: औद्योगिक रोजगार को बढ़ावा देने के लिए विनिर्माण को प्राथमिकता।

ELI योजना की प्रमुख आलोचनाएं / समस्याएं

  • नियोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण: यह योजना विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन देती है, लेकिन श्रमिकों की कौशल असंगतियों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं करती।
    • इससे नियोक्ताओं की सौदेबाजी शक्ति बढ़ सकती है और कम-कुशल व अनौपचारिक श्रमिकों के लिए वेतन असमानता बढ़ सकती है।
  • पूंजी-श्रम असंतुलन: यह योजना पूंजी सब्सिडी की तरह फर्म-स्तरीय विकास को प्राथमिकता देती है, जिससे श्रम बाजार में असमानता बढ़ सकती है।
  • कौशल असंगति: भारत की श्रम समस्या केवल रोजगारों की कमी नहीं, बल्कि रोजगार योग्यता की गंभीर कमी है:
    • सिर्फ 8.25% स्नातकों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुरूप रोजगार मिलता है।
    • 53% स्नातक और 36% परास्नातक अधरोजगार में हैं।
    • केवल 4.9% युवा (15–29 वर्ष) को औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त है।
  • वेतन असमानता:
    • केवल 4.2% स्नातक विशेषीकृत भूमिकाओं में ₹4–8 लाख वार्षिक कमाते हैं।
    • लगभग 46% कम-कुशल रोजगारों में ₹1 लाख से कम वार्षिक कमाते हैं।
  • अनौपचारिक क्षेत्र का बहिष्कार: यह योजना EPFO में पंजीकृत फर्मों को प्राथमिकता देती है, जिससे 90% अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक बाहर रह जाते हैं।
    • इससे औपचारिक-अनौपचारिक विभाजन और गहरा हो सकता है।
  • छिपा हुआ बेरोजगारी का खतरा: सब्सिडी संरचना कंपनियों को वर्तमान रोजगारों को ‘नई’ दिखाकर लाभ लेने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे कृषि और अनौपचारिक सेवाओं में उत्पादकता घट सकती है।
  • क्षेत्रीय दृष्टिहीनता: विनिर्माण को अत्यधिक प्राथमिकता दी गई है, जबकि इसमें स्वचालन और पूंजी गहनता के कारण रोजगार लचीलता घट रही है।
    • विनिर्माण कुल रोजगार का केवल 13% योगदान देता है, जबकि कृषि और सेवा क्षेत्रों में 70% श्रमिक कार्यरत हैं — जिनमें महिलाएं, ग्रामीण युवा एवं अनौपचारिक श्रमिक शामिल हैं।
भारत में अन्य प्रमुख रोजगार-लिंक्ड योजनाएं
प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY): नए कर्मचारियों के लिए EPF योगदान को सब्सिडी देकर औपचारिक रोजगार को बढ़ावा देना।
नेशनल करियर सर्विस (NCS): रोजगार चाहने वालों और नियोक्ताओं के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, करियर परामर्श एवं कौशल विकास सहित।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS): ग्रामीण परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिन का वेतन रोजगार सुनिश्चित करना।
दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM): ग्रामीण गरीबों को कौशल विकास और वित्तीय समावेशन के माध्यम से स्वरोजगार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देना।
दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY): 15–35 वर्ष के ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान कर औपचारिक रोजगार से जोड़ना।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY): ₹10 लाख तक के बिना गारंटी वाले ऋण के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा देना।

आगे की राह

  • कौशल और शिक्षा को मजबूत करना: रोजगार योग्यता अंतर को समाप्त करने और रोजगार की गुणवत्ता सुधारने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण, शिक्षा सुधार एवं उद्योग-उपयुक्त कौशल में निवेश आवश्यक है।
  • समावेशी नीति निर्माण: रोजगार प्रोत्साहन को अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों तक विस्तारित करना चाहिए, जिसमें सामाजिक सुरक्षा, औपचारिक अनुबंध और अधिकार संरक्षण की व्यवस्था हो।
  • सतत रोजगार पर ध्यान: नीतियों को अल्पकालिक रोजगार की संख्या से हटाकर दीर्घकालिक रणनीतियों की ओर स्थानांतरित किया जाना चाहिए जो उत्पादकता को बढ़ाए, श्रम अधिकारों को संरक्षित करे और असमानताओं को कम करे।

निष्कर्ष

  • रोजगार लिंक्ड प्रोत्साहन (ELI) योजना, चांहे सद्भावनापूर्ण हो, यदि यह केवल नियोक्ताओं और औपचारिक क्षेत्र की फर्मों को प्राथमिकता देती रही तो यह श्रम बाजार की संरचनात्मक असमानताओं को अधिक गहरा कर सकती है। 
  • भारत में वास्तविक एवं सतत रोजगार सृजन के लिए एक संतुलित, समावेशी और कौशल-केंद्रित रणनीति अत्यंत आवश्यक है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत की संरचनात्मक बेरोज़गारी के संदर्भ में रोज़गार-लिंक्ड प्रोत्साहन (ELI) योजना का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। यह योजना कौशल असंतुलन, अनौपचारिक क्षेत्र के बहिष्कार और वेतन असमानता की चुनौतियों का किस सीमा तक समाधान करती है?

Source: TH

 

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