पाठ्यक्रम: स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
संदर्भ
- हाल ही में राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) ने एक परामर्श जारी किया है जिसमें अंग प्रत्यारोपण आवंटन में महिला मरीजों और मृतक दाताओं के परिजनों को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है।
भारत में अंग प्रत्यारोपण
- भारत ने 2024 में 18,900 से अधिक अंग प्रत्यारोपण किए, जिससे यह कुल प्रत्यारोपणों में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर रहा, केवल अमेरिका और चीन से पीछे।
- 2013 में भारत में 5,000 से भी कम प्रत्यारोपण हुए थे।
कानूनी और संस्थागत ढाँचा
- भारत की प्रत्यारोपण प्रणाली मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (THOTA), 1994 (संशोधित 2011) द्वारा शासित है, जो:
- मृतक दान के लिए ब्रेन-स्टेम मृत्यु को वैध करता है;
- वाणिज्यिक अंग व्यापार को प्रतिबंधित करता है;
- जीवित और मृतक दान को नियंत्रित करता है;
- असंबंधित दाताओं के लिए प्राधिकरण की आवश्यकता होती है।
- राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO): यह अंग आवंटन का समन्वय करता है, राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाए रखता है और जागरूकता को बढ़ावा देता है।
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंग परिवहन के लिए वायु, सड़क, रेल और जल मार्गों हेतु मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOPs) जारी की हैं।
- अंगों की त्वरित आवाजाही के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाए जाते हैं।
- सभी प्रत्यारोपणों को एक विशिष्ट NOTTO-ID के माध्यम से ट्रैक किया जाता है।
- राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (NOTP): यह राज्य और क्षेत्रीय अंग प्रत्यारोपण संगठन (SOTTOs और ROTTOs) की स्थापना करता है।
- BPL मरीजों के लिए अवसंरचना, प्रशिक्षण और इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- मानव अंग प्रत्यारोपण नियम, 1995: यह दाता की सहमति, अस्पताल पंजीकरण और प्राधिकरण समितियों की संरचना के लिए प्रक्रियाओं को परिभाषित करता है।
चुनौतियाँ
- लिंग अंतर: ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के विश्लेषण के अनुसार 2018–2023 के बीच महिलाओं ने 56,509 जीवित अंग दानों में से 36,038 दान किए, लेकिन केवल 17,041 मामलों में प्राप्तकर्ता बनीं। NOTTO के दशक भर के आंकड़ों (2013–2023) के अनुसार 2023 में:
- सभी जीवित दाताओं में महिलाएँ 63% थीं, लेकिन प्राप्तकर्ताओं में महिलाएँ केवल:
- 24% हृदय प्रत्यारोपण
- 47% फेफड़े
- 37% गुर्दा
- 30% यकृत
- 26% अग्न्याशय
- सभी जीवित दाताओं में महिलाएँ 63% थीं, लेकिन प्राप्तकर्ताओं में महिलाएँ केवल:
- क्रियान्वयन संबंधी चुनौतियाँ: वर्तमान आवंटन प्रोटोकॉल केवल चिकित्सीय आवश्यकता के आधार पर प्राथमिकता देते हैं, लिंग आधारित प्राथमिकता का कोई प्रावधान नहीं है।
- ‘निकट संबंधी’ की अस्पष्ट परिभाषा और यह स्पष्ट नहीं कि 1995 से मृतक दाताओं के परिवार पात्र हैं या नहीं।
- अंग तस्करी के मामलों के बीच संभावित अनुक्रमहीन आवंटन को लेकर चिंताएँ।
- मांग-आपूर्ति अंतर: प्रत्येक वर्ष 1 लाख से अधिक मरीजों को गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल लगभग 13,000 ही किए जाते हैं।
- सांस्कृतिक संकोच और जागरूकता की कमी के कारण मृतक दान दरें कम बनी हुई हैं।
- अन्य चिंताएँ:
- अवसंरचना की कमी: कई सरकारी अस्पतालों में प्रत्यारोपण ICU, ऑपरेशन थिएटर और HLA लैब्स नहीं हैं। ICU बेड की कमी ब्रेन-डेड दाताओं के रखरखाव में बाधा डालती है।
- मानव संसाधन की कमी: प्रशिक्षित प्रत्यारोपण सर्जनों, नेफ्रोलॉजिस्टों और समन्वयकों की कमी। बार-बार स्थानांतरण से कार्यक्रमों की निरंतरता बाधित होती है।
- वित्तीय बाधाएँ: जीवनभर की इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं की उच्च लागत। प्रथम वर्ष के पश्चात सीमित सहायता।
- डेटा और निगरानी की कमी: अस्पतालों से असंगत रिपोर्टिंग। दाता-प्राप्तकर्ता परिणामों के लिए केंद्रीकृत ट्रैकिंग की कमी।
- नैतिक और कानूनी चिंताएँ: अंग तस्करी और वाणिज्यिक प्रत्यारोपण के मामले सामने आते रहते हैं; राज्यों में कानूनों की असंगत व्याख्या; उल्लंघनों के लिए दंड का कमजोर प्रवर्तन।
तमिलनाडु: एक मॉडल राज्य
- तमिलनाडु का कैडावर ट्रांसप्लांट कार्यक्रम (CTP), जो अब TRANSTAN में विकसित हो चुका है, एक राष्ट्रीय मानक है। यह पहला राज्य था जिसने:
- ब्रेन डेथ प्रमाणन के विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए;
- अंग आवंटन में समानता सुनिश्चित की;
- स्वैप ट्रांसप्लांट रजिस्ट्री स्थापित की और अंग संरक्षण के लिए मशीन परफ्यूजन को बढ़ावा दिया।
आगे की राह: समावेशन और निष्पक्षता का संतुलन
- मुख्य चुनौती समावेशिता सुनिश्चित करने की है, बिना चिकित्सीय निष्पक्षता को कमजोर किए। क्रियान्वयन में आवश्यक है कि:
- यह मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के अंतर्गत सभी एजेंसियों की भागीदारी से हो।
- आवंटन में चिकित्सीय आवश्यकता को प्राथमिक मानदंड बनाए रखा जाए।
- शोषण से सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, साथ ही महिलाओं और दाता परिवारों के लिए पहुँच का विस्तार किया जाए।
| दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत में अंग प्रत्यारोपण में लैंगिक असमानता का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। न्याय एवं समानता के मुद्दों और संबंधित चुनौतियों के समाधान हेतु उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिए। |
Previous article
ELI योजना: रोजगार सृजन के मिथक का खंडन
Next article
भारत-नामीबिया संबंध और भारत-अफ्रीका जुड़ाव