घातक अंतरिक्ष मलबे से अंतरिक्ष यात्रियों की रक्षा करना

पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

संदर्भ

  • उपग्रह प्रक्षेपणों और वाणिज्यिक अंतरिक्ष गतिविधियों के तीव्र विस्तार ने सूक्ष्म उल्कापिंडों एवं कक्षीय मलबे (MMOD) से उत्पन्न खतरे को बढ़ा दिया है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और पृथ्वी की कक्षाओं की दीर्घकालिक स्थिरता को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं।

सूक्ष्म उल्कापिंड और कक्षीय मलबा (MMOD) क्या है?

  • MMOD प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित कणों को संदर्भित करता है जो पृथ्वी के कक्षीय वातावरण में अत्यधिक गति से चलते हैं तथा अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष यात्रियों के लिए टकराव का जोखिम उत्पन्न करते हैं।
    • सूक्ष्म उल्कापिंड (Micrometeoroids): स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होने वाले अत्यंत छोटे कण, जो मुख्यतः क्षुद्रग्रह बेल्ट की टक्करों और धूमकेतुओं से उत्पन्न होते हैं, और 11–72 किमी/सेकंड की गति से चलते हैं।
    • कक्षीय मलबा (Orbital Debris): मानव-निर्मित वस्तुएँ जैसे निष्क्रिय उपग्रह, रॉकेट के टुकड़े और टक्कर के अवशेष, जो सामान्यतः लगभग 10 किमी/सेकंड की गति से चलते हैं।

अंतरिक्ष मलबे के खतरे

  • नासा के अनुसार, मलबा 18,000 मील प्रति घंटे की गति से चल सकता है, जो गोली की गति से 10 गुना तीव्र है।
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को 2021 में दो इंच के अंतरिक्ष मलबे के टकराने से हानि हुई था।
  • केस्लर सिंड्रोम: यह एक सैद्धांतिक परिदृश्य है जिसमें निम्न पृथ्वी कक्षा में कृत्रिम वस्तुओं के बीच टक्करों की श्रृंखला तीव्रता से बढ़ते अंतरिक्ष मलबे की मात्रा को जन्म देती है, जिससे निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष का लंबे समय तक उपयोग असंभव हो जाता है।

MMOD से सुरक्षा के उपाय

  • मलबा परिहार युक्तियाँ (DAM): 10 सेमी से बड़े वस्तुओं को लगातार ट्रैक किया जाता है।
    • जब टकराव की संभावना बढ़ती है, तो अंतरिक्ष यान ऑनबोर्ड थ्रस्टर्स का उपयोग करके कक्षीय समायोजन करते हैं।
  • व्हिपल शील्ड्स : यह MMOD के विरुद्ध प्राथमिक रक्षा पंक्ति है और इसमें एल्यूमीनियम, केव्लर एवं कार्बन फाइबर जैसी सामग्रियों की कई परतें होती हैं जिन्हें वायु अंतराल से अलग किया जाता है।
    • यह आने वाले मलबे को तोड़ देता है और उसकी ऊर्जा को बड़े क्षेत्र में फैला देता है, जिससे मुख्य अंतरिक्ष यान की मुख्य परत को हानि से बचाया जा सके।

अंतरिक्ष मलबे पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते

  • स्पेस लाइबिलिटी कन्वेंशन, 1972: यह उस स्थिति में जिम्मेदारी को परिभाषित करता है जब कोई अंतरिक्ष वस्तु हानि पहुँचाती है।
    • संधि कहती है कि “प्रक्षेपण करने वाला राज्य अपनी अंतरिक्ष वस्तुओं द्वारा पृथ्वी की सतह पर या विमान को हुई हानि के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार होगा और अंतरिक्ष में अपनी गलती से हुई हानि के लिए उत्तरदायी होगा।”
  • ज़ीरो डेब्रिस चार्टर: बारह देशों और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने ESA/EU स्पेस काउंसिल में ज़ीरो डेब्रिस चार्टर पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका लक्ष्य 2030 तक अंतरिक्ष में मलबा-तटस्थ बनना है।
  • कानून का अभाव: हालांकि, पृथ्वी पर गिरने वाले अंतरिक्ष मलबे के विरुद्ध कोई कानून नहीं है।

अंतरिक्ष मलबा हटाने के मिशन

  • रिमूवडेब्रिस मिशन: यह यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में मलबा हटाने का प्रदर्शन मिशन है, जिसका उद्देश्य कई सक्रिय मलबा हटाने की तकनीकों का परीक्षण और सत्यापन करना है।
  • स्पेस डेब्रिस रिमूवल सिस्टम (SDRS): यह रूसी अंतरिक्ष एजेंसी (रोसकॉसमॉस) का प्रस्तावित मिशन है, जिसका उद्देश्य निम्न पृथ्वी कक्षा से अंतरिक्ष मलबा हटाने की व्यवहार्यता प्रदर्शित करना है।
  • क्लीनअप मिशन: यह चीन राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (CNSA) का मिशन है, जिसका उद्देश्य सक्रिय और निष्क्रिय तरीकों के संयोजन का उपयोग करके अंतरिक्ष मलबा साफ करने की व्यवहार्यता प्रदर्शित करना है।

भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • प्रोजेक्ट NETRA (नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस): यह एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली है जिसे इसरो ने भारतीय उपग्रहों के लिए अंतरिक्ष खतरों का पता लगाने में सहायता करने के लिए शुरू किया।
    • यह परियोजना भारत को अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (SSA) में अपनी क्षमता प्रदान करने की संभावना है, जो अन्य अंतरिक्ष शक्तियों के पास पहले से है।
  • SSA का उपयोग: भारतीय उपग्रहों के लिए मलबे से उत्पन्न खतरों की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है।
  • ISRO सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशंस मैनेजमेंट (IS4OM): इसे 2022 में स्थापित किया गया था ताकि लगातार उन वस्तुओं की निगरानी की जा सके जो टकराव का खतरा पैदा करती हैं और अंतरिक्ष मलबे से उत्पन्न जोखिम को कम किया जा सके।

Source: TH

 

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