पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने घोषणा की है कि भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उद्योग बनकर उभरा है, जिसका बाजार आकार लगभग ₹22 लाख करोड़ है।
ऑटोमोबाइल उद्योग के बारे में
- वैश्विक परिदृश्य: संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उद्योग है, जिसका मूल्य ₹78 लाख करोड़ है।
- चीन दूसरे स्थान पर है, जिसका उद्योग आकार ₹49 लाख करोड़ है।
- भारतीय परिदृश्य: भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग देश के विनिर्माण और आर्थिक विकास का एक प्रमुख स्तंभ है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 7.1% और विनिर्माण GDP में 49% का योगदान देता है।
- घरेलू बाजार में दोपहिया और यात्री वाहन प्रमुख हैं।
- वित्त वर्ष 2024-25 में दोपहिया वाहनों की बाजार हिस्सेदारी 76.57% रही, जबकि यात्री कारों की हिस्सेदारी 16.80% रही।


विकास को गति देने वाली सरकारी पहलें
- उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना – ऑटो और ACC बैटरियों के लिए: ₹44,038 करोड़ के कुल आवंटन के साथ यह पहल उन्नत ऑटोमोटिव तकनीकों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहन और उन्नत बैटरी भंडारण समाधान के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती है।
- FAME-II योजना: यह योजना इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों तथा चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए सब्सिडी प्रदान करती है, जिससे पर्यावरण अनुकूल वाहनों को अपनाने में सहायता मिलती है और स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा मिलता है।
- वाहन स्क्रैप नीति: 15 वर्ष से अधिक पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का लक्ष्य, जिससे उत्सर्जन में कटौती और प्रतिस्थापन मांग को प्रोत्साहन मिले।
- मेक इन इंडिया और एफडीआई नीति: विशेष रूप से ऑटो क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति ने वैश्विक और घरेलू निवेशकों को आकर्षित किया है, जिससे विनिर्माण एवं रोजगार को बढ़ावा मिला है।
क्या हैं चुनौतियाँ?
- उच्च मूल्य वाले घटकों जैसे सेमीकंडक्टर्स और EV बैटरियों के लिए भारी आयात निर्भरता।
- वैश्विक ऑटो घटक व्यापार में केवल लगभग 3% की हिस्सेदारी, उच्च-सटीकता वाले क्षेत्रों में कम पैठ।
- इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग और हाइड्रोजन ईंधन भरने के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचा।
- पर्यावरणीय चुनौतियाँ: वाहनों की संख्या में वृद्धि के कारण कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरणीय चिंताएं बढ़ रही हैं।
आगे की राह
- उच्च तकनीक ऑटोमोटिव घटकों में स्थानीयकरण बढ़ाकर आयात निर्भरता को कम करना।
- EV चार्जिंग नेटवर्क और हाइड्रोजन ईंधन अवसंरचना में निवेश का विस्तार करना।
- अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना और उन्नत विनिर्माण क्षमताओं के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना।
- पुनर्चक्रण, उत्सर्जन नियंत्रण उपायों और हरित गतिशीलता समाधानों को बढ़ावा देना ताकि सतत विकास सुनिश्चित हो सके।
Source: AIR
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