पाठ्यक्रम :GS2/IR
समाचारों में
- अर्मेनिया और अज़रबैजान ने व्हाइट हाउस में एक ऐतिहासिक अमेरिका-प्रायोजित शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे नागोर्नो-कराबाख को लेकर दशकों पुराना संघर्ष समाप्त हो गया।
नागोर्नो-कराबाख
- यह अज़रबैजान की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के अंदर स्थित है।
- यह दक्षिण कॉकस क्षेत्र में पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के बीच स्थित है, जो कॉकस पर्वत के दक्षिणी हिस्से में फैला है और इसमें आधुनिक अर्मेनिया, अज़रबैजान एवं जॉर्जिया शामिल हैं।
- अर्मेनियाई ईसाई हैं, जबकि अज़ेरी मुस्लिम हैं।

विवाद क्या है?
- नागोर्नो-कराबाख, जो ऐतिहासिक रूप से अर्मेनियाई साम्राज्य का हिस्सा रहा है, ओटोमन, फारसी और रूसी साम्राज्यों द्वारा शासित रहा।
- 19वीं सदी में त्सारवादी रूस ने दक्षिण कॉकस पर नियंत्रण किया, लेकिन 1917 की रूसी क्रांति के बाद उसका प्रभाव कम हो गया।
- अर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष लगभग एक सदी पुराना है, जिसकी शुरुआत प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई जब ओटोमन और अज़ेरी सेनाओं ने दक्षिण कॉकस में जातीय अर्मेनियाई लोगों को निशाना बनाया।
- नागोर्नो-कराबाख, जो अज़रबैजान के अंदर एक प्रमुख अर्मेनियाई क्षेत्र है, जातीय, धार्मिक और भू-राजनीतिक तनावों का केंद्र बन गया।
- 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात, नागोर्नो-कराबाख के अर्मेनियाई लोगों ने स्वतंत्रता की घोषणा की, जिससे 1994 तक युद्ध चला और लगभग 30,000 लोगों की मृत्यु हुई।
- इसके पश्चात रूस की मध्यस्थता में युद्धविराम हुआ, लेकिन अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों के बावजूद सीमाएं अनसुलझी रहीं।
- 2020 में अज़रबैजान ने एक सफल सैन्य अभियान चलाया और तुर्की और पाकिस्तान के समर्थन से आसपास के क्षेत्रों पर पुनः नियंत्रण कर लिया।
- 2023 में एक और अभियान के पश्चात अज़रबैजान ने पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया।
हालिया समझौते के प्रमुख परिणाम
- शत्रुता का अंत: यह शांति समझौता लगभग 35 वर्षों की तनावपूर्ण स्थिति को समाप्त करता है और क्षेत्रीय स्थिरता एवं विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।
- अंतरराष्ट्रीय शांति और समृद्धि के लिए ट्रंप मार्ग (TRIPP): इसमें अज़रबैजान को अर्मेनिया के माध्यम से उसके नखचिवान एक्सक्लेव से जोड़ने के लिए प्रमुख परिवहन मार्गों को फिर से खोलना और “अंतरराष्ट्रीय शांति और समृद्धि के लिए ट्रंप मार्ग” बनाना शामिल है।
- अमेरिका के विशेष विकास अधिकार: अमेरिका सैनिक नहीं भेजेगा, लेकिन उसे इस मार्ग को विकसित और प्रबंधित करने का विशेष अधिकार मिलेगा, जिसमें संभवतः अमेरिकी कंपनियां शामिल होंगी।
भारत के सामरिक हित
- अर्मेनिया के साथ संबंध: भारत और अर्मेनिया के बीच हजारों वर्षों पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं।
- दोनों देशों के बीच आधुनिक समय में सुदृढ़ संबंध हैं, जिसमें 2022 में हुआ $250 मिलियन का रक्षा समझौता शामिल है।
- अर्मेनिया कश्मीर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
- कनेक्टिविटी में रुचि: रणनीतिक रूप से दक्षिण कॉकस क्षेत्र, जिसमें अर्मेनिया और अज़रबैजान शामिल हैं, भारत के रूस और यूरोप के साथ संपर्क लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसे भारत चाबहार बंदरगाह के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के जरिए सुदृढ़ करना चाहता है।
Source :LM
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