पाठ्यक्रम: GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध
समाचारों में
- 6 अगस्त 1945 को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने हिरोशिमा पर प्रथम परमाणु बम गिराया, जिसे “लिटिल बॉय” नाम दिया गया था। यह युद्ध में परमाणु हथियारों के प्रथम उपयोग का प्रतीक है।
परिचय
- यह घटना परमाणु हथियारों द्वारा लाए गए अभूतपूर्व विनाश का स्मरण करती है और परमाणु निरस्त्रीकरण की वैश्विक आवश्यकता को उजागर करती है।
- हिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी ने न केवल द्वितीय विश्व युद्ध का अंत किया, बल्कि परमाणु युग की शुरुआत भी की—जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति, सुरक्षा सिद्धांतों और शांति प्रयासों को आगामी आठ दशकों तक आकार दिया।
आगे की घटनाएँ: परमाणु शस्त्र प्रतिस्पर्धा की शुरुआत?
- शीत युद्ध और हथियारों का निर्माण: 1949 में USSR ने अपना प्रथम परमाणु परीक्षण किया, जिससे एक खतरनाक शस्त्र प्रतिस्पर्धा शुरू हुई।
- हाइड्रोजन बम, ICBMs और “म्यूचुअल एश्योर्ड डिस्ट्रक्शन (MAD)” जैसे सिद्धांत सामने आए।
- निरोध सिद्धांत: यह सिद्धांत कहता है कि किसी भी परमाणु हमले का प्रत्युत्तर इतना विनाशकारी होगा कि हमलावर और रक्षक दोनों का पूर्ण विनाश सुनिश्चित होगा।
- IAEA की स्थापना (1957): परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और सैन्य उद्देश्यों के लिए इसके दुरुपयोग को रोकने हेतु अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की स्थापना हुई।
- क्यूबा मिसाइल संकट (1962): विश्व लगभग परमाणु युद्ध के महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गई थी।
- प्रसार: कई देश परमाणु क्लब में शामिल हुए — UK (1952), फ्रांस (1960), चीन (1964), भारत (1974), पाकिस्तान (1998), और उत्तर कोरिया (2006)।
- भारत की स्थिति: भारत “नो फर्स्ट यूज़” (NFU) नीति अपनाता है और न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोध पर जोर देता है।
- भारत NPT पर हस्ताक्षर करने से मन करता है, इसे परमाणु रंगभेद मानते हुए।
प्रमुख संधियाँ और निरस्त्रीकरण प्रयास
- परमाणु अप्रसार संधि (NPT), 1968: परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने का प्रयास। इसके तीन स्तंभ हैं: अप्रसार, निरस्त्रीकरण, और परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग।
- आलोचना: यह भेदभावपूर्ण है और मान्यता प्राप्त परमाणु हथियार राष्ट्रों पर समान निरस्त्रीकरण दायित्व नहीं हैं।
- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT), 1996: सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाती है। लागू नहीं हो सकी क्योंकि प्रमुख देशों (जैसे अमेरिका, चीन, भारत, पाकिस्तान) ने इसे अनुमोदित नहीं किया।
- परमाणु हथियारों के निषेध की संधि (TPNW), 2017: परमाणु हथियारों को पूरी तरह प्रतिबंधित करने वाली प्रथम कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि।
- सभी परमाणु-संपन्न देशों ने इसका विरोध किया।
- रणनीतिक हथियारों में कटौती संधियाँ (START और New START): अमेरिका-रूस के बीच द्विपक्षीय समझौते, जो तैनात परमाणु हथियारों की संख्या सीमित करते हैं। न्यू स्टार्ट 2026 में समाप्त हो रही है; भू-राजनीतिक तनावों के कारण इसका भविष्य अनिश्चित है।
निरस्त्रीकरण वर्तमान में क्यों आवशयक है?
- हथियारों का आधुनिकीकरण: देश अपने परमाणु हथियारों को समाप्त नहीं कर रहे, बल्कि उन्हें आधुनिक बना रहे हैं (जैसे अमेरिका, चीन, रूस, भारत)।
- परमाणु आतंकवाद का खतरा: अस्थिर शासन और आतंकवादी समूहों के कारण परमाणु सामग्री के गैर-राज्य तत्वों के हाथ लगने का खतरा बढ़ रहा है।
- पर्यावरणीय आपदा: पूर्ण परमाणु युद्ध से “न्यूक्लियर विंटर” हो सकता है, जिससे व्यापक भूखमरी और पारिस्थितिकीय पतन हो सकता है।
- मानदंडों का क्षरण: जैसे-जैसे निरस्त्रीकरण वार्ताएं ठप हो रही हैं और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, परमाणु हथियारों के उपयोग की वर्जना कमजोर हो रही है।
Source: TOI
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