पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- सर्वोच्च्य न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि 20,000 वर्ग मीटर से अधिक निर्मित क्षेत्र वाले परियोजनाएं — चाहे वे औद्योगिक हों, शैक्षणिक हों या अन्य — पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) 2006 व्यवस्था से छूट नहीं दी जा सकती।
परिचय
- सर्वोच्च न्यायलय ने पुनः पुष्टि की कि परियोजना स्तर पर पर्यावरणीय मूल्यांकन करने के लिए राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) और राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (SEAC) ही सक्षम प्राधिकारी बने रहेंगे।
पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) क्या है?
- EIA एक अध्ययन है जो प्रस्तावित गतिविधि/परियोजना के पर्यावरण पर प्रभाव का पूर्वानुमान करता है।
- यह परियोजना के लाभकारी और प्रतिकूल दोनों प्रभावों की व्यवस्थित जांच करता है और यह सुनिश्चित करता है कि इन प्रभावों को परियोजना डिज़ाइन के दौरान ध्यान में रखा जाए।
- यह प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के उपाय भी प्रस्तावित करता है।
- महत्त्व: पर्यावरण की रक्षा, संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग, और परियोजना की लागत व समय की बचत।
- यह समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देकर, निर्णयकर्ताओं को जानकारी देकर और पर्यावरणीय रूप से उचित परियोजनाओं की नींव रखकर संघर्षों को भी कम करता है।
भारत में EIA
- 1994: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के अंतर्गत केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MEF) ने पर्यावरणीय स्वीकृति (EC) को अनिवार्य किया।
- EIA 2006 व्यवस्था: यह उद्योग की स्थापना या विस्तार के लिए हरित स्वीकृति प्रदान करने हेतु प्रमुख कानूनी साधन है, जो परियोजना के संभावित पर्यावरणीय प्रभाव के आधार पर कार्य करता है।
- इसके अंतर्गत खनन, ताप विद्युत संयंत्र, नदी घाटी परियोजनाएं, अवसंरचना और उद्योगों जैसी विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति अनिवार्य कर दी गई।
- हालांकि, 1994 की अधिसूचना के विपरीत, नए कानून ने परियोजनाओं की स्वीकृति का दायित्व राज्य सरकारों पर डाल दिया, जो परियोजना के आकार/क्षमता पर निर्भर करता है।
कानूनी और संस्थागत ढांचा
- EIA अधिसूचनाएं: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के अंतर्गत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जारी की जाती हैं।
- संस्थागत प्राधिकरण:
- केंद्रीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC): श्रेणी A परियोजनाओं के लिए (राष्ट्रीय स्तर)।
- राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियाँ (SEACs): श्रेणी B परियोजनाओं के लिए (राज्य स्तर)।
- राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAAs): राज्य स्तर पर पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करते हैं।
- परियोजनाओं का वर्गीकरण
- श्रेणी A: महत्वपूर्ण प्रभाव वाली राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाएँ (जैसे, बड़े बाँध, प्रमुख राजमार्ग)।
- श्रेणी B1: क्षेत्रीय प्रभाव वाली मध्यम आकार की परियोजनाएँ।
- श्रेणी B2: कम प्रभाव वाली लघु-स्तरीय परियोजनाएँ।
चिंताएँ
- 2006 की EIA अधिसूचना की एक सकारात्मक विशेषता यह है कि यह समय के अनुसार अपने प्रावधानों और प्रक्रियाओं में बदलाव को समाहित करने में सक्षम है।
- हालाँकि, ऐसा लगता है कि कानूनी साधन की इस विशेषता का दुरुपयोग किया गया है।
- केवल 5 वर्षों में 110 से अधिक बदलाव किए गए — जिनमें से अधिकांश बिना सार्वजनिक परामर्श के हुए।

परिणाम:
- इस लचीलापन का दुरुपयोग कर उद्योगों को पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त हो जाती है, चाहे उनकी गतिविधियाँ पर्यावरण को क्षति पहुँचाने वाली ही क्यों न हों।
सुझाव
- हितों के टकराव से बचने के लिए एक स्वतंत्र EIA प्राधिकरण की स्थापना की जाए।
- सार्वजनिक परामर्श को सुदृढ़ किया जाए, विशेषकर स्थानीय भाषाओं में।
- वैज्ञानिक और पारदर्शी आधारभूत आंकड़ों को सुनिश्चित किया जाए।
Source: HT
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संक्षिप्त समाचार 07-08-2025