पाठ्यक्रम :GS3/पर्यवरण
समाचार में
- भारत का कार्बन बाज़ार CO₂ निष्कासन प्रौद्योगिकियों पर आधारित होने की संभावना है, जिनमें बायोचार प्रमुख भूमिका निभाएगा। यह जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और उत्सर्जन की भरपाई करने में सहायक सिद्ध होगा।
बायोचार क्या है?
- बायोचार एक प्रकार का काला कार्बन है, जो बायोमास स्रोतों (जैसे लकड़ी के टुकड़े, पौधों के अवशेष, गोबर या अन्य कृषि अपशिष्ट) से उत्पादित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य बायोमास में विद्यमान कार्बन को अधिक स्थायी रूप में परिवर्तित करना है (कार्बन पृथक्करण)।
- यह अपशिष्ट प्रबंधन और कार्बन को पकड़ने के लिए एक सतत विकल्प प्रदान करता है।
भारत में स्थिति
- भारत में कृषि और नगरपालिका अपशिष्ट की अत्यधिक मात्रा उत्पन्न होती है, जिसका अधिकांश भाग जलाया या फेंक दिया जाता है, जिससे प्रदूषण होता है।
- इस अधिशेष अपशिष्ट का 30–50% उपयोग कर बायोचार का उत्पादन करने से प्रतिवर्ष 0.1 गीगाटन CO₂ का निष्कासन किया जा सकता है।
- इसके उप-उत्पाद जैसे सिंगैस और बायो-ऑयल से 8–13 टेरावाट-घंटा विद्युत उत्पादन संभव है, जिससे डीज़ल/केरोसीन की खपत में 8% तक की कमी लाई जा सकती है।
- यह कोयले की मांग को घटाकर भारत के जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में 2% से अधिक की कटौती कर सकता है।
महत्व
- बायोचार एक दीर्घकालिक कार्बन सिंक है, जो मृदा में 100–1,000 वर्षों तक कार्बन को सुरक्षित रख सकता है और विभिन्न क्षेत्रों में उत्सर्जन में कमी लाने हेतु एक व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करता है।
- कृषि क्षेत्र में: यह जल धारण क्षमता को बढ़ाता है और नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में 30–50% तक की कमी ला सकता है।
- यह जैविक कार्बन को बढ़ाकर मृदा की गुणवत्ता को पुनर्स्थापित करता है।
- उद्योगों में: संशोधित बायोचार औद्योगिक उत्सर्जन से CO₂ को पकड़ सकता है, यद्यपि अन्य विधियों की तुलना में इसकी दक्षता कम है।
- निर्माण क्षेत्र में: कंक्रीट में 2–5% बायोचार मिलाने से उसकी सुदृढ़ता, ताप प्रतिरोधकता बढ़ती है और प्रति घन मीटर 115 किलोग्राम CO₂ का पृथक्करण संभव होता है।
- जल अपशिष्ट उपचार में: प्रति किलोग्राम बायोचार से 200–500 लीटर जल का उपचार किया जा सकता है, जिससे भारत में इसकी संभावित मांग 2.5–6.3 मिलियन टन तक हो सकती है।
बायोचार के उपयोग में बाधाएँ
- उच्च कार्बन हटाने की क्षमता के बावजूद, बायोचार को कार्बन क्रेडिट प्रणालियों में पर्याप्त मान्यता नहीं मिली है।
- इसके पीछे प्रमुख कारण हैं:
- मानकीकृत फीडस्टॉक बाज़ारों की अनुपस्थिति
- असंगत कार्बन लेखांकन
- निवेशकों का कमजोर विश्वास
- बड़े पैमाने पर अपनाने में बाधाएँ: सीमित संसाधन, विकसित होती तकनीकें, नीतिगत अंतराल और हितधारकों की जागरूकता की कमी।
सुझाव
- बायोचार हेतु निरंतर अनुसंधान एवं विकास, जलवायु और कृषि नीतियों में एकीकरण तथा भारतीय कार्बन बाज़ार में औपचारिक मान्यता आवश्यक है।
- इससे किसानों को आय प्राप्त हो सकती है, लगभग 5.2 लाख ग्रामीण रोजगार सृजित हो सकते हैं, और मृदा की गुणवत्ता, फसल उत्पादन तथा उर्वरक की दक्षता में सुधार संभव है।
- बायोचार भारत के जलवायु और विकास लक्ष्यों के लिए एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित, आशाजनक समाधान प्रस्तुत करता है।
Source: TH