पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
संदर्भ
भारत सरकार वैश्विक लॉजिस्टिक्स व्यवधानों का समाधान करने और निर्यात दक्षता बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से लॉजिस्टिक्स अवसंरचना को सुदृढ़ कर रही है।
भारत में लॉजिस्टिक्स परिदृश्य का अवलोकन
- भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 2021 में 215 अरब अमेरिकी डॉलर का था। यह सुदृढ़ वृद्धि के लिए अच्छी स्थिति में है और 2026 तक 10.7% की अनुमानित चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ बढ़ने की संभावना है।
- 2017 में, वाणिज्य विभाग के अंतर्गत एक अलग लॉजिस्टिक्स इकाई बनाई गई थी ताकि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के एकीकृत विकास की देखरेख की जा सके।
- लॉजिस्टिक्स उद्योग विनिर्माण, खुदरा, ई-कॉमर्स और सेवाओं का समर्थन करता है, जो इन्वेंट्री, परिवहन, भंडारण, गोदाम तथा वितरण का प्रबंधन करके उत्पादकों को उपभोक्ताओं से घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोड़ता है।
कुशल लॉजिस्टिक्स अवसंरचना के प्रमुख लाभ
- सप्लाई चेन दक्षता: लॉजिस्टिक्स एक सुचारु और कुशल सप्लाई चेन सुनिश्चित करता है, जिससे देरी कम होती है तथा लीड टाइम घटता है।
- कनेक्टिविटी और पहुँच: लॉजिस्टिक्स नेटवर्क विभिन्न क्षेत्रों और बाजारों को जोड़कर कनेक्टिविटी एवं पहुँच को बढ़ाते हैं।
- लागत में कमी और प्रतिस्पर्धात्मकता: कुशल लॉजिस्टिक्स संचालन परिवहन, भंडारण और वितरण में लागत कम करने में योगदान देता है।
- रोज़गार सृजन: इस क्षेत्र में 2027 तक 1 करोड़ रोजगार जोड़ने की संभावना है।
- आर्थिक एकीकरण: एक विकसित लॉजिस्टिक्स क्षेत्र विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों को जोड़कर और वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्बाध प्रवाह को बढ़ावा देकर आर्थिक एकीकरण को सुगम बनाता है।

- उच्च लॉजिस्टिक्स लागत: भारत की लॉजिस्टिक्स लागत GDP का लगभग 13–14% है, जिससे भारतीय निर्यात वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी हो जाता है।
- अवसंरचना की कमी: इस क्षेत्र में गोदाम, कोल्ड स्टोरेज और अंतिम-मील कनेक्टिविटी में अवसंरचना की कमी है।
- सड़क पर अत्यधिक निर्भरता: सड़क परिवहन पर अत्यधिक निर्भरता से भीड़भाड़, देरी और अधिक परिवहन लागत होती है।
- पर्यावरणीय चिंताएँ: डीज़ल-आधारित ट्रकिंग पर भारी निर्भरता कार्बन उत्सर्जन बढ़ाती है और पर्यावरण प्रदूषण में योगदान देती है।
Source: PIB
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