पाठ्यक्रम: GS1/इतिहास
समाचार में
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में संसद परिसर में महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित की।
महापरिनिर्वाण दिवस
- यह प्रतिवर्ष 6 दिसंबर को भारत रत्न डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से जाना जाता है और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार हैं, की पुण्यतिथि पर मनाया जाता है।
- डॉ. अंबेडकर, एक सम्मानित नेता, चिंतक और सुधारक थे, जिन्होंने अपना जीवन समानता की वकालत करने तथा जाति-आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए समर्पित किया।
महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व
- महापरिनिर्वाण दिवस गहन श्रद्धा का दिन है जो उनके परिवर्तनकारी विरासत और भगवान बुद्ध से निकट वैचारिक संबंध को सम्मानित करता है।
- बौद्ध परंपरा में महापरिनिर्वाण जन्म, मृत्यु और कर्म के चक्र से मुक्ति को दर्शाता है, जिससे यह कैलेंडर का सबसे पवित्र दिन बन जाता है।
- अंबेडकर, जिन्हें अस्पृश्यता समाप्त करने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका के लिए बौद्ध गुरु माना जाता है, उनके अनुयायियों द्वारा बुद्ध के समान प्रभावशाली माना जाता है।
- यह दिन शोक से परे जाकर चिंतन और प्रेरणा का क्षण है, जो अंबेडकर की समानता, न्याय एवं समावेशी समाज की दृष्टि को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।
डॉ. बी.आर. अंबेडकर की सामाजिक न्याय के लिए वकालत
- डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। उन्होंने अपना जीवन हाशिए पर रहने वाले समुदायों, विशेषकर दलितों, महिलाओं और मजदूरों को ऊपर उठाने के लिए समर्पित किया, जो प्रणालीगत सामाजिक भेदभाव का सामना कर रहे थे।
- उन्होंने पहचाना कि जातिगत उत्पीड़न राष्ट्र को विभाजित कर रहा था और इन गहरी जड़ें जमाए अन्यायों को दूर करने के लिए परिवर्तनकारी उपायों की तलाश की।
- उन्होंने उत्पीड़ितों को सशक्त बनाने के लिए क्रांतिकारी कदम प्रस्तावित किए, जिनमें शिक्षा, रोजगार और राजनीति में आरक्षण शामिल था।
प्रमुख योगदान
- उन्होंने अखबार मूकनायक (Leader of the Silent) शुरू किया ताकि वंचितों की आवाज़ को बुलंद किया जा सके।
- उन्होंने 1923 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा (Outcastes Welfare Association) की स्थापना की ताकि शिक्षा फैल सके, आर्थिक स्थिति सुधरे और सामाजिक असमानताओं का समाधान हो।
- महाड सत्याग्रह (1927) में सार्वजनिक जल तक पहुँच और कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन (1930) जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों में उनके नेतृत्व ने जातिगत पदानुक्रम और पुजारी वर्चस्व को चुनौती दी।
- 1932 के पूना समझौते में डॉ. अंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका, जिसने अलग निर्वाचन क्षेत्रों को दलितों के लिए आरक्षित सीटों से बदल दिया, भारत की सामाजिक न्याय की लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ था।
- उनके विचार भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के दिशा-निर्देश तैयार करने और स्वयं आरबीआई की स्थापना को प्रभावित करने में सहायक रहे।
- उन्होंने रोजगार विनिमय की नींव, राष्ट्रीय पावर ग्रिड सिस्टम की स्थापना और दामोदर घाटी परियोजना, हीराकुंड बांध परियोजना और सोन नदी परियोजना जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं का समर्थन किया, जिससे उनके बुनियादी ढांचे और संसाधन प्रबंधन में दूरदर्शिता का पता चलता है।
- संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष के रूप में, अंबेडकर ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1948 में मसौदा प्रस्तुत किया जिसे 1949 में न्यूनतम परिवर्तनों के साथ अपनाया गया।
- समानता और न्याय पर उनकी अवधारणा ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने वाले प्रावधान सुनिश्चित किए, जिससे एक समावेशी लोकतंत्र की नींव रखी गई।
Source: Air