पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- भारत के प्रधानमंत्री ने भूटान की यात्रा की ताकि भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक (K4), जिन्हें स्नेहपूर्वक ‘बोधिसत्व राजा’ कहा जाता है, की 70वीं जयंती का सम्मान किया जा सके। यह यात्रा भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और दोनों देशों के बीच गहरी एवं स्थायी मित्रता को उजागर करती है।
भारत–भूटान संबंधों के बारे में
- ऐतिहासिक अवलोकन: प्रमुख पड़ाव
- 1949: मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर।
- 1968: भूटान ने भारत में अपना प्रथम राजनयिक मिशन स्थापित किया।
- 1971: भारत के समर्थन से भूटान संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुआ।
- 2007: संधि को समानता और पारस्परिक सम्मान बढ़ाने हेतु संशोधित किया गया।
- उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान
- भारतीय नेतृत्व की यात्राएँ: भारत के प्रधानमंत्री ने 2014 में अपनी प्रथम विदेश यात्रा के लिए भूटान को चुना। इसके बाद अगस्त 2019 और मार्च 2024 में भी यात्रा की, जब उन्हें भूटान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ द द्रुक ग्यालपो प्रदान किया गया।
- भूटानी नेतृत्व की यात्राएँ: भूटान के राजा ने भारत की कई यात्राएँ कीं — सितंबर 2022, अप्रैल 2023, नवंबर 2023 और दिसंबर 2024। इन यात्राओं का परिणाम 2023 में ‘भारत–भूटान विस्तारित साझेदारी के लिए रूपरेखा’ जारी करना रहा।
- रणनीतिक सहयोग: नियमित उच्च-स्तरीय यात्राएँ राजनयिक विश्वास को सुदृढ़ करती हैं।
- सीमा प्रबंधन और सुरक्षा पर संयुक्त प्रयास, विशेषकर 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद।
- भारत भूटान की रॉयल भूटान आर्मी को प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स में सहायता करता है।
| भूटान के बारे में – यह हिमालयी साम्राज्य है और भारत व चीन के बीच स्थित एक भू-आवेष्ठित देश है, जिसका भारत से गहरा और विशिष्ट संबंध है। ![]() – यह एक संवैधानिक राजतंत्र है, वर्तमान में राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक के नेतृत्व में।यह सकल राष्ट्रीय खुशी (GNH) को विकास दर्शन के रूप में अपनाने के लिए प्रसिद्ध है। |
भारत–भूटान: विकासात्मक साझेदारी
- 1971 की प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही भारत भूटान का प्रमुख विकास साझेदार रहा है। विकास सहयोग वार्षिक ‘योजना वार्ता’ के माध्यम से होता है, जो भूटान की प्राथमिकताओं पर केंद्रित है।
- प्रमुख प्रतिबद्धताएँ:
- मार्च 2024 की यात्रा के दौरान भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता व्यक्त की। जुलाई 2024 में 5,000 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की गई।
- सहायता में अवसंरचना, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, आईसीटी और डिजिटल कनेक्टिविटी शामिल हैं।
- हाई-इम्पैक्ट कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स (HICDPs) ग्रामीण अवसंरचना और आजीविका में सुधार जारी रखते हैं।
व्यापार और वाणिज्य
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। व्यापार 2014–15 में 484 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022–23 में 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- 2016 का भारत–भूटान व्यापार, वाणिज्य और पारगमन समझौता भूटानी वस्तुओं के लिए मुक्त व्यापार व्यवस्था एवं शुल्क-मुक्त पारगमन प्रदान करता है।
- सितंबर 2024 की वाणिज्य सचिव स्तर की बैठक के परिणाम:
- हाटीसार और दर्रंगा में नए भूमि सीमा शुल्क स्टेशन।
- सीमा हाट और नए व्यापार मार्गों की स्वीकृति।
- निर्यात के लिए लकड़ी की प्रजातियों का विस्तार और खाद्य आयात में वृद्धि।
- भारत भूटान का सबसे बड़ा निवेशक है, जो बैंकिंग, ऊर्जा, आईटी एवं शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कुल एफडीआई का 50% से अधिक योगदान देता है।
- मुद्रा विनिमय सुविधा: 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2022); FCSA 2024–27 के अंतर्गत विस्तारित, जिसमें 1,500 करोड़ रुपये निकाले गए।
- स्टैंडबाय क्रेडिट सुविधाएँ: ब्याज दर 5% से घटाकर 2.5%; 2023 में अतिरिक्त 300 करोड़ रुपये प्रदान किए गए।
ऊर्जा सहयोग
- जलविद्युत द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों का आधार है। भारत ने चार प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया — चुखा (336 मेगावाट), कुरिच्छू (60 मेगावाट), ताला (1,020 मेगावाट), मंगदेछू (720 मेगावाट) — कुल 2,136 मेगावाट।
- दो और — पुनात्संगछू-I और II (प्रत्येक 1,020 मेगावाट) — निर्माणाधीन हैं, जिनमें से पुनात्संगछू-II जल्द ही चालू होने की संभावना है।
- हाल की पहलें: भारत ने 2023 में बसोछू (64 मेगावाट) को भारतीय ऊर्जा विनिमय पर बिजली व्यापार की अनुमति दी, बाद में निकाछू को भी स्वीकृति दी।
- 2024 की भारत–भूटान ऊर्जा साझेदारी पर संयुक्त दृष्टि में जल, सौर और ग्रीन हाइड्रोजन में सहयोग का प्रावधान है।
- अक्टूबर 2024 में थिम्फू में नवीकरणीय ऊर्जा गोलमेज सम्मेलन ने सतत ऊर्जा सहयोग को बढ़ाया।
उभरते क्षेत्रों में सहयोग
- अंतरिक्ष सहयोग: 26 नवंबर 2022 को भारत–भूटान सैट का प्रक्षेपण हुआ।
- मार्च 2024 में अंतरिक्ष पर संयुक्त कार्य योजना (JPoA) पर हस्ताक्षर हुए।
- पर्यावरण सहयोग: अक्टूबर 2024 में प्रथम भारत–भूटान पर्यावरण JWG बैठक हुई, जिसमें जैव विविधता, अपशिष्ट प्रबंधन और जलवायु लचीलापन पर सहयोग की संभावनाएँ खोजी गईं।
- डिजिटल और फिनटेक एकीकरण: 2019–2021 से रुपे और भीम यूपीआई ने सीमा-पार भुगतान को सहज बनाया।
- सीमा-पार अवसंरचना:
- रेल लिंक: कोकराझार–गेलफू और बनरहाट–सामत्से।
- दर्रंगा (असम) में आव्रजन चौकी: नवंबर 2024 में खोली गई, जिससे पर्यटन और व्यापार में सुधार हुआ।
- ग्यालसंग राष्ट्रीय सेवा कार्यक्रम: भारत ने भूटान के ग्यालसंग प्रोजेक्ट को 200 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता और 1,500 करोड़ रुपये की रियायती ऋण सुविधा प्रदान की।
- शिक्षा और क्षमता निर्माण:
- 1,000+ भूटानी छात्र प्रत्येक वर्ष राजदूत और ICCR छात्रवृत्तियों से लाभान्वित होते हैं।
- भूटानी छात्र IITs, नालंदा विश्वविद्यालय और अन्य भारतीय संस्थानों में उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं।
- ITEC कार्यक्रम के अंतर्गत 325 वार्षिक प्रशिक्षण स्लॉट भूटानी पेशेवरों को समर्थन देते हैं।
सांस्कृतिक संबंध
- भारत–भूटान फाउंडेशन (IBF), 2003 में स्थापित, शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति में आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
- भूटानी तीर्थयात्री भारत के बौद्ध स्थलों की यात्रा करते हैं, जबकि बोधगया में एक भूटानी ल्हाखांग का निर्माण जारी है, जो 2025 में खुलने की संभावना है।
- सांस्कृतिक सहयोग में कोलकाता की एशियाटिक सोसाइटी से झाबद्रुंग प्रतिमा का भूटान में प्रदर्शन भी शामिल है।
- भूटान में भारतीय समुदाय: लगभग 50,000 भारतीय भूटान में अवसंरचना, जलविद्युत, शिक्षा और वाणिज्य में कार्यरत हैं — जो द्विपक्षीय साझेदारी की जन-से-जन नींव का प्रतीक है।
भारत-भूटान संबंधों के समक्ष चिंताएँ एवं चुनौतियाँ
- चीन के साथ सीमा वार्ता: डोकलाम सहित विवादित सीमा क्षेत्रों पर चीन के साथ भूटान की चल रही वार्ताएँ भारत में संभावित रणनीतिक कमजोरियों को लेकर चिंताएँ उत्पन्न करती हैं।
- अवसंरचना कूटनीति और अंतराल: चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और दक्षिण एशिया में उसका बढ़ता प्रभाव भूटान को आर्थिक प्रोत्साहनों के साथ आकर्षित कर सकता है, जिससे क्षेत्र में भारत की पारंपरिक प्रधानता को चुनौती मिल सकती है।
- कोकराझार–गेलफू रेल लिंक जैसी पहलें आशाजनक हैं, लेकिन भूटान का कठिन भू-भाग और सीमित संपर्क अभी भी व्यापार और गतिशीलता में बाधा डालते हैं।
- सुरक्षा चिंताएँ: सीमा-पार आवाजाही और छिद्रपूर्ण सीमाएँ अवैध गतिविधियों को रोकने और शांति बनाए रखने के लिए बेहतर समन्वय की आवश्यकता दर्शाती हैं।
- संप्रभुता बनाम साझेदारी: विदेश नीति में अधिक स्वायत्तता की भूटान की इच्छा को भारत के रणनीतिक हितों के साथ संतुलित करना आवश्यक है, विशेषकर संवेदनशील हिमालयी गलियारे में।
- बहुपक्षीय सहभागिता: वैश्विक मंचों में भूटान की बढ़ती भागीदारी और क्षेत्रीय मुद्दों पर उसका विकसित होता दृष्टिकोण कभी-कभी भारत की स्थिति से भिन्न हो सकता है।
- जलविद्युत पर निर्भरता: भूटान की अर्थव्यवस्था भारत को जलविद्युत निर्यात पर अत्यधिक निर्भर है।
- पुनात्संगछू-II जैसी परियोजनाओं में देरी और ऊर्जा मांगों में बदलाव भूटान की राजकोषीय स्थिरता के लिए जोखिम उत्पन्न करते हैं।
- युवा प्रवासन और रोजगार: भूटानी युवा तीव्रता से विदेशों, विशेषकर भारत में अवसर तलाश रहे हैं।
- रोजगार और कौशल विकास को संबोधित करना आवश्यक है ताकि ब्रेन ड्रेन एवं सामाजिक असंतोष को रोका जा सके।
आगे की राह: भविष्य की संभावनाएँ
- जैसे-जैसे भूटान एक मध्यम-आय वाले देश में परिवर्तित हो रहा है, भारत का सहयोग प्रौद्योगिकी, नवाचार और युवा सशक्तिकरण पर केंद्रित होगा। उभरते क्षेत्रों में शामिल हैं:
- डिजिटल साझेदारी: आईसीटी, फिनटेक और स्टार्टअप सहयोग।
- पर्यटन पुनरुद्धार और टिकाऊ बुनियादी ढाँचा।
- बिम्सटेक और बीबीआईएन ढाँचों के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण।
निष्कर्ष
- भारत-भूटान संबंध मित्रता और विश्वास के एक अद्वितीय मॉडल का उदाहरण हैं, जिसमें विकास, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और संस्कृति शामिल हैं।
- यह निरंतर विकसित हो रहा है – दोनों देशों के लिए समृद्धि का भविष्य निर्मित कर रहा है और साझा मूल्यों एवं पारस्परिक सम्मान पर आधारित क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक मानक स्थापित कर रहा है।
| दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत-भूटान संबंधों को सुदृढ़ करने में सांस्कृतिक कूटनीति और नेतृत्व प्रतीकवाद के महत्व पर चर्चा करें। |
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