22वां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • 22वां दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान)-भारत शिखर सम्मेलन मलेशिया में आयोजित किया गया।
    • फिलीपींस 2026 में इसकी अध्यक्षता करेगा।

शिखर सम्मेलन की प्रमुख बातें 

  • भारत-आसियान संबंधों की प्रगति की समीक्षा की गई और व्यापक रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करने के लिए नई पहलों पर चर्चा की गई।
    • यह भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री की 12वीं भागीदारी थी। 
  • शिखर सम्मेलन ने भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (AITIGA) की शीघ्र समीक्षा का आह्वान किया। 
  • मलेशियाई अध्यक्षता की थीम “समावेशिता और सततता” के अनुरूप, प्रधानमंत्री ने सहयोग को गहरा करने के लिए कई पहलें घोषित कीं:
    • भारत-आसियान कार्य योजना (2026–2030) का कार्यान्वयन
    • सतत पर्यटन पर भारत-आसियान संयुक्त नेताओं के वक्तव्य को अपनाना
    • 2026 को “भारत-आसियान समुद्री सहयोग वर्ष” के रूप में नामित करना
    • गुजरात के लोथल में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन समुद्री विरासत महोत्सव का आयोजन
  •  प्रधानमंत्री ने सुरक्षित और खुले समुद्री वातावरण को बढ़ावा देने के लिए दूसरा भारत-आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक एवं दूसरा भारत-आसियान समुद्री अभ्यास आयोजित करने का प्रस्ताव भी रखा।
दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN)
स्थापना: 1967 में बैंकॉक, थाईलैंड में हुई। 
संस्थापक देश: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड। 
उद्देश्य: शीत युद्ध तनावों के बीच क्षेत्रीय सहयोग और स्थिरता को बढ़ावा देना। 
मुख्यालय: जकार्ता, इंडोनेशिया। 
वर्तमान सदस्य देश: आसियान में वर्तमान में 11 सदस्य देश हैं — ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और ईस्ट तिमोर। 
– आसियान भारत, चीन, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ और अन्य देशों व संगठनों के साथ संवाद साझेदारी बनाए रखता है।

भारत-आसियान संबंधों का संक्षिप्त विवरण 

  • शुरुआत: सहयोग की शुरुआत 1990 के दशक में हुई।
    • साझा आर्थिक और रणनीतिक हितों द्वारा संचालित।
    •  साथ ही यह क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव की प्रतिक्रिया भी थी। 
  • नीतिगत ढांचा: 1990 के दशक में “लुक ईस्ट नीति” शुरू की गई, जिसे 2014 में “एक्ट ईस्ट नीति” में परिवर्तित कर दिया गया — यह आसियान के साथ संबंधों को बेहतर करने के लिए अधिक क्रियाशील दृष्टिकोण है।
  • साझेदारी में प्रमुख पड़ाव
    • 1992: भारत सेक्टोरल डायलॉग पार्टनर बना।
    • 1996: पूर्ण संवाद साझेदार का दर्जा मिला।
    • 2012: रणनीतिक साझेदारी में उन्नयन।
    • 2022: व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नयन।
  • व्यापार और निवेश भारत और आसियान ने एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे व्यापार एवं निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
    • आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, 2021-22 में कुल व्यापार US$110.4 बिलियन तक पहुंच गया। 
    • वित्त वर्ष 2009 से 2023 के बीच भारत का आसियान से आयात 234.4% बढ़ा, जबकि निर्यात केवल 130.4% बढ़ा। 
    • इससे भारत का व्यापार घाटा 2011 में US$7.5 बिलियन से बढ़कर 2023 में लगभग US$44 बिलियन हो गया।
  • क्षेत्रीय संपर्क: भारत-आसियान संपर्क को बेहतर बनाने के लिए भारत भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कालादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना जैसे प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर रहा है।
  • रक्षा और सुरक्षा: भारत और आसियान के बीच रक्षा संबंध संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसे भारत-आसियान समुद्री अभ्यास एवं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (ADMM+) में भागीदारी के माध्यम से सुदृढ़ हुए हैं।
    • भारत अपने इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण में आसियान को केंद्र में रखता है — क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास के लिए SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास)।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग: जन-जन के बीच संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए भारत और आसियान ने विभिन्न सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है, जैसे:
    • आसियान छात्र विनिमय कार्यक्रम
    • आसियान राजनयिकों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम
    • भारत-आसियान थिंक टैंक्स नेटवर्क

भारत-आसियान एफटीए (FTA)

  • भारत और आसियान के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग पर रूपरेखा समझौता 2003 में हस्ताक्षरित हुआ, जिसने बाद के समझौतों के लिए कानूनी आधार प्रदान किया।
    • इनमें वस्तुओं के व्यापार समझौता, सेवाओं के व्यापार समझौता और निवेश समझौता शामिल हैं — जो मिलकर भारत-आसियान मुक्त व्यापार क्षेत्र (AIFTA) बनाते हैं।
  • आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता पर 2010 में हस्ताक्षर हुए और यह प्रभाव में आया।
    • इस समझौते के अंतर्गत भारत और आसियान सदस्य देशों ने 76.4% वस्तुओं पर शुल्कों को धीरे-धीरे कम करने तथा समाप्त करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। 
  • आसियान-भारत सेवा व्यापार समझौता पर 2014 में हस्ताक्षर हुए — इसमें पारदर्शिता, घरेलू नियम, बाजार पहुंच, राष्ट्रीय उपचार, मान्यता और विवाद समाधान जैसे प्रावधान शामिल हैं। 
  • आसियान-भारत निवेश समझौता भी 2014 में हस्ताक्षरित हुआ — यह निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जैसे: निवेशकों के लिए निष्पक्ष और समान व्यवहार, अधिग्रहण या राष्ट्रीयकरण की स्थिति में गैर-भेदभावपूर्ण व्यवहार और उचित मुआवजे की गारंटी।

AIFTA से जुड़ी चुनौतियाँ

  • व्यापार घाटे में वृद्धि: भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ा है क्योंकि आयात तीव्रता से बढ़ा जबकि निर्यात धीमा रहा।
  • भारतीय सेवाओं के लिए सीमित बाजार पहुंच: सेवाओं और निवेश समझौते का उपयोग सीमित रहा है।
  • गैर-शुल्क बाधाएं (NTBs): आसियान देश जटिल मानकों, लाइसेंसिंग आवश्यकताओं और अन्य नियामक बाधाओं को लागू करते हैं।
  • उत्पत्ति नियमों की समस्याएं: ढीले नियमों के कारण तीसरे देश (जैसे चीन) आसियान के माध्यम से भारत में माल भेजते हैं और शुल्क लाभ उठाते हैं।
  • भारतीय कृषि के लिए सीमित लाभ: उच्च स्वच्छता मानक और कोटा प्रतिबंध भारतीय कृषि उत्पादों को प्रभावित करते हैं।
  • वार्ता में असंतुलन: आसियान एक समूह के रूप में वार्ता करता है जबकि भारत अकेले, जिससे भारत की व्यापार करने की शक्ति कम होती है।

आगे की राह

  • गैर-शुल्क बाधाएं (NTBs): भारत को विशेष रूप से फार्मा और कृषि क्षेत्रों में पारदर्शी समाधान तंत्र की मांग करनी चाहिए।
  • उत्पत्ति नियम (RoO): सख्त और स्पष्ट RoO मानदंडों से व्यापार का दुरुपयोग रोका जा सकता है।
  • आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन: भारत और आसियान को एकल देश पर निर्भरता कम करने के लिए सहयोग करना चाहिए — इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स एवं महत्वपूर्ण खनिजों में निवेश लाभकारी हो सकता है।
  • सततता और हरित विकास: सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और जलवायु-स्मार्ट कृषि में संयुक्त उपक्रम साझेदारी को सुदृढ़ कर सकते हैं।

Source: TH

 

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