पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) की तीसरी वर्षगांठ मना रहा है, जिसे वर्ष 2022 में लॉन्च किया गया था।
परिचय
- इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:
- लॉजिस्टिक्स लागत को वैश्विक मानकों तक कम करना और इसे GDP के 10% से नीचे लाना।
- लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) में भारत की रैंकिंग को 2030 तक शीर्ष 25 में लाना।
- एक सुदृढ़ , डेटा-आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली की स्थापना करना ताकि एक कुशल और एकीकृत लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित किया जा सके।
भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियाँ
- यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) ने 30 से अधिक डिजिटल प्रणालियों के बीच सुरक्षित API एकीकरण को सक्षम किया है।
- 2023 के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) में भारत 139 देशों में 38वें स्थान पर रहा, जो 2018 की विगत रैंकिंग की तुलना में छह स्थानों की उल्लेखनीय सुधार है।
- भारत की अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने वर्ष 2024–25 में 145.5 मिलियन टन माल परिवहन दर्ज किया।
- इसी अवधि में परिचालित राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या 24 से बढ़कर 29 हो गई है।
भारत में लॉजिस्टिक्स परिदृश्य का अवलोकन
- भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र वर्ष 2021 में USD 215 बिलियन मूल्य का था। यह 2026 तक 10.7% की संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ मजबूत वृद्धि के लिए अच्छी स्थिति में है।
- वर्ष 2017 में वाणिज्य विभाग के अंतर्गत लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के एकीकृत विकास की निगरानी के लिए एक अलग लॉजिस्टिक्स इकाई बनाई गई थी।
- लॉजिस्टिक्स उद्योग विनिर्माण, खुदरा, ई-कॉमर्स और सेवाओं का समर्थन करता है, जो इन्वेंटरी, परिवहन, भंडारण, गोदाम एवं वितरण का प्रबंधन करता है, तथा उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोड़ता है—देश में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर।
कुशल लॉजिस्टिक्स अवसंरचना के प्रमुख लाभ
- सप्लाई चेन दक्षता: लॉजिस्टिक्स एक सुचारु और कुशल आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करता है, जिससे देरी कम होती है तथा लीड टाइम घटता है।
- कनेक्टिविटी और पहुंच: लॉजिस्टिक्स नेटवर्क विभिन्न क्षेत्रों और बाजारों को जोड़कर कनेक्टिविटी एवं पहुंच को बढ़ाता है।
- लागत में कमी और प्रतिस्पर्धात्मकता: कुशल लॉजिस्टिक्स संचालन परिवहन, भंडारण और वितरण में लागत को कम करने में योगदान देता है।
- रोजगार सृजन: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र परिवहन, गोदाम, वितरण और संबंधित सेवाओं में रोजगार प्रदान करता है। यह क्षेत्र 2027 तक 1 करोड़ रोजगार सृजन की संभावना रखता है।
- आर्थिक एकीकरण: एक विकसित लॉजिस्टिक्स क्षेत्र विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों को जोड़कर वस्तुओं और सेवाओं के निर्बाध प्रवाह को बढ़ावा देता है।
चुनौतियाँ
- उच्च लॉजिस्टिक्स लागत: भारत की लॉजिस्टिक्स लागत GDP का लगभग 13–14% है, जिससे भारतीय निर्यात वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी बनता है।
- अवसंरचना की कमी: इस क्षेत्र को गोदाम, कोल्ड स्टोरेज और अंतिम-मील कनेक्टिविटी में अवसंरचना की कमी का सामना करना पड़ता है।
- सड़क परिवहन पर अत्यधिक निर्भरता: सड़क परिवहन पर अत्यधिक निर्भरता से जाम, देरी और उच्च परिवहन लागत होती है।
- मल्टीमॉडल परिवहन की समस्याएँ: माल परिवहन में रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्गों की कम हिस्सेदारी एक कुशल मल्टीमॉडल प्रणाली के विकास में बाधा डालती है।
- पर्यावरणीय चिंताएँ: डीजल-आधारित ट्रकिंग पर भारी निर्भरता से कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है और पर्यावरण प्रदूषण होता है।
सरकार की प्रमुख लॉजिस्टिक्स पहलें
- प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान: इसे 2021 में विभिन्न परिवहन साधनों को एक समन्वित नेटवर्क में एकीकृत करने के लिए लॉन्च किया गया था।
- यह 57 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और सभी 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ लाया है।
- मैरिटाइम अमृत काल विजन 2047: यह ब्लू इकोनॉमी सिद्धांतों के अनुरूप है और भारत के समुद्री क्षेत्र को रूपांतरित करने के लिए दीर्घकालिक रोडमैप प्रस्तुत करता है।
- यह विजन तटीय पर्यटन को बढ़ावा देने, समुद्री कौशल विकास को सुदृढ़ करने और भारत को जहाज निर्माण एवं मरम्मत के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखता है।
- समर्पित माल गलियारे (DFC): रेलवे मंत्रालय वर्तमान में दो समर्पित माल गलियारों का विकास कर रहा है।
- इन विशेष रेलवे लाइनों का उद्देश्य वर्तमान यात्री मार्गों पर भीड़ को कम करना, परिवहन लागत को घटाना और ऊर्जा दक्षता को सुधारना है।

- मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP): चेन्नई, बेंगलुरु, नागपुर, इंदौर आदि जैसे 35 प्रमुख स्थानों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के प्रयासों के माध्यम से MMLP के विकास के लिए अनुमोदित किया गया है।
- इनमें से 5 पार्क 2027 तक चालू होने की संभावना है।
- यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP): यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो विभिन्न लॉजिस्टिक्स-संबंधित मंत्रालयों और विभागों से डेटा को एक ही इंटरफेस पर लाता है; इसने 2025 में 100 करोड़ API लेन-देन दर्ज किए हैं।
- गति शक्ति विश्वविद्यालय (GSV): GSV भारत का प्रथम विश्वविद्यालय है जो परिवहन और लॉजिस्टिक्स शिक्षा को समर्पित है।
- GSV इस राष्ट्रीय लक्ष्य को समर्थन देने के लिए कुशल पेशेवरों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गति शक्ति विश्वविद्यालय ने लगभग 40 औद्योगिक और शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- सस्टेनेबिलिटी: फ्रेट ग्रीनहाउस गैस (GHG) कैलकुलेटर को परिवहन की कुल लागत और GHG उत्सर्जन की गणना एवं तुलना के लिए विकसित किया गया है ताकि जागरूकता बढ़े तथा सतत विकास को समर्थन मिले।
- भारतीय रेलवे ने माल ग्राहकों के लिए रेल ग्रीन पॉइंट्स लॉन्च किए हैं, जिससे वे संभावित कार्बन उत्सर्जन बचत देख सकें।
Source: PIB
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