जल जीवन योजना: सांसदों ने ‘अनियमितताओं’ पर चिंता व्यक्त की

पाठ्यक्रम: GS2/शासन 

समाचार में 

  • कई सांसदों ने जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जाँच की माँग की है, विशेष रूप से अनुबंधों की बढ़ी हुई लागत और अन्य वित्तीय अनियमितताओं को लेकर।

जल जीवन मिशन (JJM) 

  • परिचय: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को प्रारंभ किया था। इसका महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल के जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है। 
  • केंद्रीय बजट 2025-26: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जल जीवन मिशन के लिए ₹67,000 करोड़ की बढ़ी हुई राशि आवंटित की है, और इसे 2028 तक बढ़ा दिया गया है।
  • उद्देश्य:
    • प्रत्येक ग्रामीण परिवार को क्रियाशील घरेलू नल कनेक्शन (FHTCs) प्रदान करना।
    • प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना, जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्र, गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्र, मरुस्थलीय क्षेत्र, और संसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) के अंतर्गत आने वाले गाँव।
    • स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों, स्वास्थ्य सुविधाओं, और सामुदायिक भवनों में नल जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    • इन कनेक्शनों की निरंतरता और कार्यक्षमता की सक्रिय निगरानी करना।
  • उपलब्धि:
    • 1 फरवरी 2025 तक जल जीवन मिशन ने 12.20 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराए हैं।
    • इस योजना के अंतर्गत कुल कवरेज 15.44 करोड़ परिवारों तक पहुँच चुका है, जो भारत के ग्रामीण परिवारों का 79.74% है।
    • WHO के अनुमान के अनुसार जल जीवन मिशन प्रति दिन 5.5 करोड़ घंटे बचाएगा, जिसका अधिकांश लाभ महिलाओं को मिलेगा।
    • यह 4 लाख डायरिया से होने वाली मृत्युओं को रोक सकता है और 1.4 करोड़ विकलांगता समायोजित जीवन वर्षों (DALYs) बचा सकता है
    • नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. माइकल क्रेमर के शोध अनुसार सुरक्षित जल कवरेज से पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर में लगभग 30% की कमी आ सकती है, जिससे प्रत्येक वर्ष 1,36,000 जीवन बचाए जा सकते हैं
    • भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर (IIM-B) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार जल जीवन मिशन के पूँजीगत व्यय चरण में 59.9 लाख प्रत्यक्ष और 2.2 करोड़ अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे

चुनौतियाँ

  • मिशन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि कुछ क्षेत्रों में भरोसेमंद जल स्रोतों की कमी, भूजल संदूषण, असमान भौगोलिक भूभाग, बिखरी हुई ग्रामीण बस्तियाँ और वैधानिक मंज़ूरी प्राप्त करने में देरी आदि।
  • लंबे समय से चली आ रही पानी की कमी और कुप्रबंधन के मुद्दे उठाए गए हैं। 
  • संभावित वित्तीय कुप्रबंधन और पारदर्शिता की कमी के लिए इसकी जाँच की जा रही है।

Source: IE

 

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