वित्तीय बाज़ार: अर्थ, वर्गीकरण, भूमिकाएँ और संबंधित तथ्य

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वित्तीय बाज़ार
वित्तीय बाज़ार

वित्तीय बाज़ार राष्ट्र के आर्थिक ढांचे की आधारशिला है। इसके माध्यम से निवेशकों से उधारकर्ताओं तक वित्त के प्रवाह की सुविधा प्रदान की जाती है। ये बाज़ार देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय वित्तीय प्रणाली की समझ को विकसित करने के लिए इसकी संरचना और कार्यों को समझना आवश्यक है। NEXT IAS के इस लेख का उद्देश्य वित्तीय बाज़ार का विस्तार से अध्ययन करना है, जिसके अंतर्गत इसके अर्थ, वर्गीकरण, भूमिकाएँ और अन्य संबंधित अवधारणाओं को समझना है।

वित्तीय बाज़ार
  • वित्तीय बाज़ार एक ऐसी केन्द्रीय व्यवस्था को संदर्भित करता है जहाँ क्रेता और विक्रेता वित्तीय साधनों, जैसे इक्विटीज, बॉन्ड, मुद्राएं और डेरिवेटिव के व्यापार में भाग लेते हैं।
  • वित्तीय बाज़ार उपकरणों के द्वारा अतिरिक्त धन का हस्तांतरण निवेशकों से उधारकर्ताओं की ओर किया जाता है।
  • वित्तीय बाज़ारों के द्वारा आम तौर पर पारदर्शी मूल्य निर्धारण, व्यापार पर बुनियादी विनियम, लागत और शुल्क तथा बाज़ार शक्तियों द्वारा व्यापार करने वाली प्रतिभूतियों की कीमतों को निर्धारित करने में सहायता प्रदान की जाती है।

व्यापार किए जाने वाली प्रतिभूतियों की परिपक्वता अवधि (Maturity Period) के आधार पर, वित्तीय बाज़ार को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

वित्तीय बाज़ार का वर्गीकरण
  • मुद्रा बाज़ार वित्तीय बाज़ार के उस भाग को संदर्भित करता है जिसमें 1 वर्ष तक की परिपक्वता के साथ अत्यधिक तरल और अल्पकालिक वित्तीय संपत्तियों का लेन-देन किया जाता है।
    • इस प्रकार, मुद्रा बाज़ार कार्यशील पूँजी की अल्पकालिक उधार आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • मुद्रा बाज़ार के प्रमुख संस्थान हैं – वाणिज्यिक बैंक, आरआरबी, बिल मार्किट आदि।
  • मुद्रा बाज़ार के प्रमुख उपकरण हैं – कॉल मनी, ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीडी) आदि।

मुद्रा बाज़ार की संरचना, प्रमुख भागीदारों, प्रमुख उपकरणों और अन्य पहलुओं का अध्ययन हमारे विस्तृत लेख मुद्रा बाज़ार में किया गया है।

  • पूँजी बाज़ार वित्तीय बाज़ार के उस भाग को संदर्भित करता है जहाँ 1 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए मध्यम और दीर्घकालिक निधियों के लेन- देन के लिए बाज़ार प्रदान किया जाता है।
  • इस प्रकार, पूँजी बाज़ार मध्यम से दीर्घकालिक परियोजनाओं और निवेशों के लिए उधार की जरूरतों को पूरा करते हैं।
  • पूँजी बाज़ार के प्रमुख संस्थान हैं – स्टॉक एक्सचेंज, विकास वित्तीय संस्थान आदि।
  • पूँजी बाज़ार के प्रमुख उपकरण हैं – शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड, डेरिवेटिव आदि।

पूँजी बाज़ार की संरचना, प्रमुख भागीदार, प्रमुख उपकरण और अन्य पहलुओं पर हमारे विस्तृत लेख ‘पूँजी बाज़ार‘ को पढ़ें।

मुद्रा बाज़ार और पूँजी बाज़ार वित्तीय बाज़ार के दो घटक हैं। इस प्रकार, उनके मध्य कुछ समानताएं हैं। हालाँकि, इनके द्वारा अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति की जाती हैं और विभिन्न प्रकार की वित्तीय जरूरतों और भागीदारों को पूरा किया जाता है। इसलिए, इनके बीच कई अंतर भी हैं।

मुद्रा बाज़ार और पूँजी बाज़ार के बीच एक तुलनात्मक अध्ययन नीचे दो बाज़ारों के बीच समानताओं और अंतरों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

मुद्रा बाज़ार और पूँजी बाज़ार में कुछ समानताएं और अन्योन्य संबंध होते हैं, जिन्हें निम्नानुसार देखा जा सकता है:

  • पूरकता (Complementarity): मुद्रा बाज़ार और पूँजी बाज़ार एक दूसरे के पूरक हैं, प्रतिस्पर्धी नहीं।
    • किसी भी प्रकार की वित्तीय योजना को अल्पकालिक और दीर्घकालिक निधियों के बीच उचित समन्वय के माध्यम से आर्थिक विकास के अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्यक्रमों को एकीकृत करना चाहिए।
  • सामान्य संस्थान (Common Institutions): कुछ संस्थान मुद्रा बाज़ार के साथ-साथ पूँजी बाज़ार का भी कार्य करते हैं।
    • उदाहरण के लिए, वाणिज्यिक बैंक, जो परंपरागत रूप से अल्पकालिक निधियों में विशेषज्ञ होते हैं, उन्होंने हाल के दिनों में दीर्घकालिक ऋण देना प्रारम्भ कर दिया है।
  • आपसी निर्भरता (Interdependence): मुद्रा और पूँजी बाज़ार परस्पर निर्भर होते हैं, और एक बाज़ार की गतिविधियां और नीतियाँ दूसरे बाज़ार को प्रभावित करती हैं।
    • उदाहरण के लिए, पूँजी बाज़ार में धन की मांग बढ़ने से मुद्रा बाज़ार में मांग और ब्याज दरें भी बढ़ जाती हैं।
    • इसी तरह, मौद्रिक नीति पूँजी बाज़ार की गतिविधियों को भी प्रभावित करती है।

मुद्रा बाज़ार और पूँजी बाज़ार विभिन्न मापदंडों पर एक दूसरे से भिन्न होते हैं। उसी का अध्ययन नीचे दी गई तालिका में प्रस्तुत किया गया है।

आधारमुद्रा बाज़ार (Money Market)पूँजी बाज़ार (Capital Market)
परिभाषा 1 वर्ष तक की परिपक्वता के साथ अल्पकालिक वित्तीय परिसंपत्तियों के व्यापार के लिए बाज़ार।1 वर्ष से अधिक दीर्घकालिक निधियों के उधार और ऋण के लिए बाज़ार।
परिपक्वता अवधि (Maturity Period)1 वर्ष या उससे कम।1 वर्ष से अधिक।
संबंधित संस्थान (Institutions Involved)वाणिज्यिक बैंक, केंद्रीय बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFC), भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), आदि। स्टॉक एक्सचेंज, विकास और निवेश संस्थान जैसे बीमा कंपनियां, पेंशन फंड, विकास बैंक आदि।
उपकरण (Instruments)कॉल मनी, कोलैटरल लोन, स्वीकृतियाँ, विनिमय पत्र आदि। शेयर, स्टॉक, डिबेंचर, बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूतियाँ।
उद्देश्य (Purpose)कंपनियों की अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना जैसे उद्योगपतियों के लिए  कार्यशील पूँजी। पूँजी बाज़ार भूमि, मशीनरी आदि खरीदने के लिए स्थिर पूँजी प्रदान करता है और उद्योगपतियों की दीर्घकालिक आवश्यकताओं को पूरा करता है।
जोखिम  (Risks)चूंकि मुद्रा बाज़ार में ऋण की  अवधि बहुत कम होती है, इसलिए जोखिम की मात्रा कम होती है। पूँजी बाज़ार में, जोखिम की मात्रा और प्रकृति  बहुत अधिक होती है क्योंकि यह एक दीर्घकालिक निवेश है।
गुण (Merit)अर्थव्यवस्था में धन की तरलता को बढ़ाता है।अर्थव्यवस्था में बचत को एकत्रित करना ।
रिटर्न (Return)कम तुलनात्मक रूप से उच्च
लेनदेन की औपचारिकता (Formality of Transaction)लेनदेन के लिए कोई औपचारिकताएँ पूरी नहीं करनी होती हैं।स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से किए जाने वाले सुविनियमित औपचारिक लेन-देन।
विनियामक प्राधिकरण (Regulating authority)RBI द्वारा  विनियमितसिक्योरिटी मार्केट को SEBI द्वारा  विनियमित किया जाता है

वर्तमान में वित्तीय बाज़ार अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी कुछ भूमिकाओं और कार्यों को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है:

  • पूँजी एकत्रित करना: ये बचत और निवेश को कुशलतापूर्वक उन व्यवसायों की ओर ले जाते हैं जिन्हें बढ़ने और रोजगार सृजित करने के लिए धन की आवश्यकता होती है।
  • तरलता बनाए रखना: बाज़ार क्रेताओं और विक्रेताओं को महत्त्वपूर्ण मूल्य परिवर्तन किए बिना शीघ्रता से लेन-देन करने में सक्षम बनाकर तरलता प्रदान करते हैं। यह तरलता आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह निवेशकों को संपत्तियों को तेजी से नकदी में बदलने की अनुमति प्रदान करता है।
  • जोखिम प्रबंधन: कुछ वित्तीय उपकरण जैसे डेरिवेटिव व्यवसायों और निवेशकों को अचानक मुद्रा उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों से बचाव करने की अनुमति प्रदान करते हैं।
  • मूल्य निर्धारण: वित्तीय बाज़ार एक ऐसा मंच प्रदान करते हैं जहाँ प्रतिभूतियों की कीमतें आपूर्ति और मांग के द्वारा निर्धारित की जाती हैं। यह मूल्य निर्धारण तंत्र संसाधनों के आवंटन और आर्थिक गतिविधियों के समन्वय में मदद करता है।
  • सूचना एकत्रीकरण और समन्वय: बाज़ार प्रतिभूतियों की कीमतों में जानकारी को दर्शाते हैं, जो आर्थिक गतिविधियों के समन्वय में सहायता करता है। जिन कीमतों पर व्यापार होता है, वे वर्तमान और भविष्य की आर्थिक स्थितियों के बारे में सामूहिक भावना को दर्शाते हैं।

वित्तीय बाज़ार आधुनिक अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे वैश्विक रूप से धन और वित्तीय साधनों के प्रवाह को सुगम बनाते हैं, जो आर्थिक विकास और प्रगति को गति देने में मदद करते हैं। जैसे-जैसे वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था विकसित होती है, इन बाज़ारों की भूमिकाएँ और कार्य महत्त्वपूर्ण बने रहेंगे।

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