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रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2025

Last updated on April 30th, 2025 Posted on April 30, 2025 by  912
रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 2025

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती के उपलक्ष्य में हर वर्ष 7 मई को रंगारंग समारोह आयोजित किए जाते हैं और वर्ष 2025 में भी यह विशेष उत्सव पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। टैगोर एक महान कवि, दार्शनिक और नोबेल पुरस्कार विजेता थे, जिन्होंने साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। उनकी स्मृति में पूरे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम, वाचन समारोह आदि श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु आयोजन किए जाते हैं, जिनमें सबसे अधिक श्रद्धा और भव्यता पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में देखने को मिलती है।

रवींद्रनाथ टैगोर जयंती के बारे में

  • रवींद्रनाथ टैगोर जयंती 7 मई, 2025 को भारत के सबसे प्रिय कवि, दार्शनिक और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की 164वीं जयंती के रूप में मनाई जाएगी।
  • टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था। वे एक साहित्यिक प्रतिभा और सांस्कृतिक सुधारक थे, जिन्होंने भारतीय कला, संगीत और शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार किए।
  • वे न केवल भारत के पहले बल्कि इतिहास के पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति थे जिन्होनें साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। उन्हें 1913 में उनके काव्य संग्रह गीतांजलि के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया था।
  • टैगोर ने भारत के राष्ट्रगान जन गण मन और बांग्लादेश के राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला की रचना भी की।
  • यह संपूर्ण उत्सव, जिसे पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय रूप से पोंचीशे बैशाख के नाम से जाना जाता है, कविता पाठ, रवींद्र संगीत प्रस्तुतियाँ, उनके नाटकों के मंचन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।
  • कोलकाता और शांतिनिकेतन जहां टैगोर द्वारा स्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय स्थित है, इस उत्सव के प्रमुख केंद्र होते हैं।
  • भारत के अलावा दुनिया भर के बंगाली समुदायों में यह दिन साहित्य, संगीत और मानवतावादी विचारों में उनके महान योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मनाया जाता है।

रवींद्रनाथ टैगोर की साहित्यिक कृतियाँ

साहित्य रवींद्रनाथ टैगोर के स्वभाव में रचा-बसा था। कविता, उपन्यास, नाटक, संगीत और निबंध सभी अलग-अलग क्षेत्र हैं जहाँ उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। उनकी कुछ सबसे प्रशंसित रचनाएँ निम्नलिखित हैं:

कविताएँ

  • गीतांजलि (Gitanjali – Song Offerings): कविताओं का वह अमूल्य संग्रह जिसके लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • सोनार तारी (Sonar Tari – The Golden Boat)
  • मानसी (Manasi)
  • बालाका (Balaka)

उपन्यास

  • गोरा (Gora): जातीयता, राष्ट्रवाद और धर्म की गहन पड़ताल करता हुआ उपन्यास।
  • घरे-बाइरे (Ghare-Baire – The Home and the World): स्वदेशी आंदोलन की पृष्ठभूमि पर आधारित।
  • चोखेर बाली (Chokher Bali): प्रेम, वासना और विश्वासघात की कहानी।
  • शेषेर कविता (Shesher Kabita): एक प्रेम कहानी जो पूरी तरह से काव्यात्मक और दार्शनिक है।

नाटक

  • डाकघर (Dak Ghar – The Post Office): अत्यधिक प्रतीकात्मक और गहन दर्शन से परिपूर्ण।
  • रक्तकरबी (Raktakarabi – Red Oleanders): अधिनायकवाद के खिलाफ एक नाटक।
  • अचलायतन (Achalayatan)

गीत

  • 2,000 से अधिक गीत, जिन्हें रवींद्र संगीत के नाम से जाना जाता है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला भी उन्हीं की रचनाएँ हैं।

टैगोर की रचनाएँ अपनी गहराई, सुंदरता और मानवीय स्थिति की अंतर्दृष्टि के लिए अभी भी उत्कृष्ट बनी हुई हैं।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में रवींद्रनाथ टैगोर की भूमिका

रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में एक अहिंसात्मक, बौद्धिक और नैतिक भूमिका निभाई। हालांकि टैगोर को किसी निश्चित संदर्भ में राजनीति में प्रत्यक्ष हस्तक्षेपकर्ता के रूप में नहीं देखा गया, लेकिन उन्होंने अपने लेखन, भाषणों और शैक्षिक दृष्टि से प्रत्यक्ष रूप से महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला।

अंत:करण की आवाज़

टैगोर के लिए स्वतंत्रता केवल राजनैतिक आज़ादी नहीं थी, बल्कि आध्यात्मिक और नैतिक मुक्ति थी, जिसके लिए उन्होंने औपनिवेशिक सत्ता और अंध राष्ट्रवाद दोनों की निंदा की। उनकी प्रसिद्ध कविता “जहाँ मन भयमुक्त हो” (Where the mind is without fear) बंधन से मुक्त भारत के सपने का प्रतीक बन गई।

नाइटहुड का परित्याग

1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में टैगोर ने ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गई ‘नाइटहुड’ की उपाधि को त्याग दिया। इस कृत्य ने औपनिवेशिक प्रतिष्ठान को चौंका दिया और अनगिनत भारतीयों को प्रेरित किया।

शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति

उन्होंने शांतिनिकेतन में विश्वभारती विश्वविद्यालय के माध्यम से एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की नींव रखी, जिसमें स्वतंत्रता के बारे में सोचा गया और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया गया, जो एक स्वतंत्र राष्ट्र की सच्ची आवश्यकता है।

साहित्यिक प्रतिरोध

टैगोर के निबंध, कहानियाँ और गीतों ने देशभक्ति और मानवतावाद को आपस में जोड़ते हुए राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया। वे संकीर्ण राष्ट्रवाद पर सार्वभौमिकता में विश्वास करते थे, शांति और एकता का उपदेश देते थे।

टैगोर एक दार्शनिक-सुधारक थे, और उन्होंने अपने विवेक, कला और आत्मा के साथ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का निर्देशन किया।

रवींद्रनाथ टैगोर की जीवनी

पहलूविवरण
पूरा नामरवींद्रनाथ ठाकुर (टैगोर)
जन्म तिथि7 मई, 1861
जन्म स्थानजोरासांको, कोलकाता, भारत
माता-पितादेवेन्द्रनाथ टैगोर (पिता), शारदा देवी (माता)
व्यवसायकवि, दार्शनिक, उपन्यासकार, नाटककार, संगीतकार, शिक्षाशास्त्री, चित्रकार
प्रमुख कृतियाँगीतांजलि, गोरा, घर-बैठे, चोखेर बाली, डाकघर
महत्वपूर्ण उपलब्धियाँसाहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई (1913)
ज्ञात भाषाएँबंगाली, अंग्रेज़ी
प्रसिद्ध रचनाएँभारत का राष्ट्रगान (जन गण मन) और बांग्लादेश का राष्ट्रगान (आमार सोनार बांग्ला)
शैक्षणिक योगदान1921 में विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना
राजनीतिक दृष्टिकोणब्रिटिश शासन के आलोचक; 1919 में नाइटहुड की उपाधि त्याग दी
मृत्यु7 अगस्त, 1941, कोलकाता, भारत
विरासत“गुरुदेव” के नाम से विख्यात; सांस्कृतिक प्रतीक और साहित्यिक अग्रदूत

निष्कर्ष

7 मई, 2025 का दिन रवींद्रनाथ टैगोर जयंती के रूप में एक महान साहित्यकार, दार्शनिक और नोबेल पुरस्कार विजेता को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जा रहा है। उनके कार्य आज भी जीवंत धरोहर के रूप में नई पीढ़ियों को दुनिया भर में प्रेरित करते हैं। यह उत्सव हमें कला, शिक्षा और मानवता के महत्व के साथ-साथ रचनात्मकता, शांति और सांस्कृतिक गर्व की भावना की भी याद दिलाता है।

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