नरगिस मोहम्मदी को 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार: एक प्रतिष्ठित सम्मान

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नोबेल शांति पुरस्कार

नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार ईरानी कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को दिया गया है।

नोबेल शांति पुरस्कार के विषय में

  • नोबेल शांति पुरस्कार, स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत से स्थापित मूल पांच नोबेल पुरस्कारों में से एक, 1901 से प्रदान किया जाता रहा है।
  • रसायन विज्ञान, भौतिकी, शरीर विज्ञान या चिकित्सा और साहित्य में अन्य नोबेल पुरस्कारों के विपरीत, नोबेल शांति पुरस्कार स्वीडन के स्टॉकहोम से प्रदान नहीं किया जाता है।
  • नोबेल शांति पुरस्कार को नॉर्वे के ओस्लो में प्रदान किया जाता है और प्राप्तकर्ता को नॉर्वे की संसद द्वारा नियुक्त पांच सदस्यीय समिति नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा चुना जाता है। 2020 तक यह पुरस्कार ओस्लो विश्वविद्यालय में प्रदान किया जाता है।

कौन है नरगिस मोहम्मदी?

  • नरगिस मोहम्मदी मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के पक्ष में आवाज़ उठाने वाली एक साहसी वकील हैं तथा अपनी इस अटल प्रतिबद्धता के कारण उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ा मूल्य चुकाना पड़ा है।
  • वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों के लिए एक आवाज रही हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश, उन्हें न्याय की अपनी खोज में विभिन्न विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है।
  • नरगिस मोहम्मदी को कुल 13 बार गिरफ्तार किया गया है, उन्हें पांच बार दोषी ठहराया गया है और उन्हें 154 कोड़ों के साथ कुल 31 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। नवीनतम जानकारी के अनुसार, वह जेल में बंद है और ईरान में मानवाधिकार रक्षकों के सामने चल रही चुनौतियों को विश्व के समक्ष रख रहीं हैं।
  • उनकी निरंतर हिरासत उनके जैसे व्यक्तियों के लिये अंतरराष्ट्रीय फोकस और समर्थन के महत्त्व को रेखांकित करती है जो मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं।

“नारी-जीवन-स्वतंत्रता” क्या है?

  • यह ईरानी प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनाया गया एक आदर्श वाक्य है जो नरगिस मोहम्मदी की अटूट प्रतिबद्धता और वकालत को दर्शाता है।
  • उनके जीवन का कार्य इस आदर्श वाक्य में सन्निहित मूल्यों और आकांक्षाओं का प्रमाण है, क्योंकि वह ईरान में महिलाओं और सभी व्यक्तियों के अधिकारों एवं स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास करती है।
  • इन मूलभूत सिद्धांतों के प्रति नरगिस मोहम्मदी का समर्पण उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो सभी के लिए समानता, जीवन और स्वतंत्रता के महत्त्व में विश्वास करते हैं।

नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार 2023 से क्यों सम्मानित किया गया है?

ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न का मुकाबला करने में उनके उल्लेखनीय प्रयासों और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को आगे बढ़ाने के प्रति उनके अटूट समर्पण के लिये नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

मानवाधिकार संबंधी कार्य:

  • नरगिस मोहम्मदी ने उस देश में मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ वकालत की, जहाँ सबसे अधिक संख्या में राजकीय फाँसी दी जाती है।
  • उनके द्वारा जेल में बंद कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की सहायता की जाती है।

महिलाओं के विरुद्ध उत्पीड़न का मुकाबला:

  • महिलाओं के अधिकारों की वकालत।
  • महिला राजनीतिक कैदियों के खिलाफ यौन हिंसा के विरुद्ध आवाज उठाना।
  • महसा अमिनी विरोध प्रदर्शन (ईरानी हिजाब आंदोलन) को भी समर्थन दिया: नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने पिछले वर्ष के ईरान में महत्वपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को भी ध्यान में रखा, जो ईरान की नैतिकता पुलिस की हिरासत में रहने के दौरान एक युवा महिला महसा अमिनी की दुखद मौत से भड़के थे।

नोबेल शांति पुरस्कार के भारतीय प्राप्तकर्ता कौन-कौन हैं?

नोबेल शांति पुरस्कार के दो उल्लेखनीय भारतीय प्राप्तकर्ता हैं:

  1. मदर टेरेसा (1979): उत्तरी मैसेडोनिया के स्कोप्जे में जन्मी और बाद में भारत की निवासी मदर टेरेसा एक कैथोलिक नन और मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक थीं। उन्होंने अपना जीवन गरीबों और कमज़ोर लोगों की देखभाल और सहायता प्रदान करने के लिये समर्पित कर दिया, विशेष रूप से कोलकाता, भारत की मलिन बस्तियों में रहने वाले निर्धन परिवार। पीड़ा को कम करने, शांति और करुणा को बढ़ावा देने के उनके अथक प्रयासों ने उन्हें 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
  2. कैलाश सत्यार्थी (2014): कैलाश सत्यार्थी एक प्रसिद्ध समाज सुधारक है जिन्होंने भारत में बाल श्रम उन्मूलन और शिक्षा के सार्वभौमिक अधिकार की वकालत करने के लिये अपना जीवन समर्पित कर दिया है। वह ‘बचपन बचाओ’ आंदोलन सहित विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता संगठनों के संस्थापक है। बच्चों को जबरन श्रम से बचाने और पुनर्वास में उनके काम और बच्चों के अधिकारों के प्रति उनकी अथक प्रतिबद्धता के कारण उन्हें 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ईरानी हिजाब आंदोलन क्या है?

  • ईरानी हिजाब आंदोलन ईरान में एक जमीनी स्तर का सामाजिक और सविनय अवज्ञा आंदोलन था, जो देश में महिलाओं के लिये हिजाब (हेडस्कार्फ़) पहनने की अनिवार्यता का विरोध करता है। ईरान में, कानून के अनुसार महिलाओं को सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनना आवश्यक है और उल्लंघन करने वालों को दंड के साथ-साथ जुर्माना या कारावास का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • कार्यकर्ता महसा अमीशी की गिरफ्तारी और मौत ने आंदोलन को भड़का दिया। महसा अमिनी एक युवा ईरानी महिला थीं जिनकी 2020 में ईरान की नैतिकता पुलिस की हिरासत में हुई दुखद मौत ने लोगों को स्तब्ध कर दिया था। परिणामस्वरूप, देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। उनका मामला महिलाओं के अधिकारों और ईरान में रूढ़िवादी ड्रेस कोड के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों को प्रकाशित करता है।
  • ईरानी हिजाब आंदोलन ईरान में महिलाओं के अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिये चल रहे संघर्ष का प्रतिबिंब है और इसने देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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