एस्वातिनी
पाठ्यक्रम: GS1/समाचारों में स्थान
समाचार में
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए पांच विदेशी नागरिकों को एस्वातिनी (Eswatini) देश में निर्वासित कर दिया है।
एस्वातिनी के बारे में
- यह एक भू-आवेष्ठित देश है जो दक्षिण अफ्रीका और मोज़ाम्बिक से घिरा हुआ है और दक्षिणी अफ्रीका क्षेत्र में स्थित है।
- यह लेसोथो, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के साथ “कॉमन मॉनेटरी एरिया” (CMA) का सदस्य है।
- इसे पहले स्वाज़ीलैंड (Swaziland) के नाम से जाना जाता था, लेकिन इसने 2018 में अपने उपनिवेश पूर्व की पहचान को दर्शाने के लिए नाम परिवर्तित कर लिया।

- यह विश्व के कुछ देशों में से एक है, और अफ्रीका का एकमात्र देश है, जो पूर्ण राजतंत्र द्वारा शासित होता है।
- किंग म्स्वाती III, जो 1986 से शासन कर रहे हैं, सरकार के सभी कार्यों पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं और फरमान जारी करके शासन करते हैं।
- यह देश कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जहां आधी से अधिक जनसंख्या प्रतिदिन $4 से भी कम पर जीवनयापन करती है और यहां एचआईवी दर लगभग 26% है जो विश्व में सबसे अधिक है।
Source :IE
काबो डेलगाडो क्षेत्र
पाठ्यक्रम: Gs1/ समाचार में स्थान
समाचार में
- एक नए अध्ययन से पता चलता है कि उत्तरी मोज़ाम्बिक के काबो डेलगाडो क्षेत्र में स्थित रोवुमा बेसिन में चार नियोजित तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) परियोजनाओं का, यदि पूर्ण रूप से दोहन किया जाए, तो वैश्विक जलवायु पर अत्यधिक प्रभाव पड़ सकता है।
काबो डेलगाडो क्षेत्र के बारे में
- काबो डेलगाडो, मोज़ाम्बिक का सबसे उत्तरी प्रांत है, जिसकी सीमा उत्तर में तंजानिया (रोवुमा नदी के पार), पश्चिम में नियासा एवं दक्षिण में नामपुला प्रांतों और पूर्व में हिंद महासागर से लगती है।
Source: DTE
लोक सभा में कार्य संचालन
पाठ्यक्रम: GS2/राजव्यवस्था और शासन
संदर्भ
- मानसून सत्र जल्द ही संसद में प्रारंभ होने वाला है।
- संसद में वर्ष के तीन सत्र होते हैं
- बजट सत्र — फरवरी से मई
- मानसून सत्र — जुलाई से सितंबर
- शीतकालीन सत्र — नवंबर से दिसंबर
संसद के कार्य संचालन के नियम
- लोकसभा में कार्य संचालन के नियम 377 के अंतर्गत, सदस्यों को ऐसे मुद्दे उठाने की अनुमति होती है जो ‘पॉइंट ऑफ़ ऑर्डर’ नहीं हैं या जिन्हें किसी अन्य नियम के अंतर्गत उसी सत्र में उठाया नहीं गया है।
- राज्यसभा में, कार्य संचालन नियमों के अंतर्गत (नियम 180A-E) सदस्यों को सार्वजनिक महत्त्व के विषयों का उल्लेख करने की अनुमति होती है।
- लोकसभा में चर्चा के लिए चार मुख्य प्रक्रियाएं होती हैं — बिना मतदान के परिचर्चा(नियम 193), प्रस्ताव सहित बहस (नियम 184), स्थगन प्रस्ताव, और अविश्वास प्रस्ताव।
- उपर्युक्त को छोड़कर अन्य समान प्रक्रियाएं राज्यसभा में भी लागू होती हैं।
प्रमुख प्रक्रियाएं
- प्रश्नकाल: सामान्यतः लोकसभा की बैठक का प्रथम घंटा प्रश्नकाल कहलाता है।
- सदस्य प्रशासन और शासन की प्रत्येक गतिविधि पर प्रश्न पूछ सकते हैं।
- सांसद प्रश्न पूछकर सरकार को उसकी नीतियों और कार्यों के लिए जवाबदेह बनाते हैं।
- शून्य काल: प्रश्नकाल के तुरंत बाद और नियमित सूचीबद्ध कार्य शुरू होने से पूर्व का समय ‘शून्य काल’ कहलाता है।
- सरकार को शून्य काल के दौरान उठाए गए मामलों का जवाब देने की कोई बाध्यता नहीं होती।
- संक्षिप्त अवधि की चर्चा: सदस्य बिना औपचारिक प्रस्ताव या मतदान के किसी विषय पर संक्षिप्त चर्चा उठा सकते हैं।
- कोई भी सदस्य स्पष्ट रूप से लिखित नोटिस देकर विषय का उल्लेख कर सकता है।
- चर्चा उठाने के कारणों को स्पष्ट रूप से बताना आवश्यक होता है और कम से कम दो अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर होना अनिवार्य है।
- स्थगन प्रस्ताव: यह प्रस्ताव हाल ही की किसी अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्त्व की घटना पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
- यदि स्वीकार किया जाता है, तो यह सदन के सामान्य कार्य को स्थगित कर उस विशेष विषय पर चर्चा का अवसर प्रदान करता है।
- अविश्वास प्रस्ताव: मंत्री परिषद को सदन का विश्वास बनाए रखना होता है ताकि वे सत्ता में बने रह सकें।
- लोकसभा में विपक्षी दल मंत्री परिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकते हैं जिससे यह दर्शाया जाता है कि सदन को अब उन पर विश्वास नहीं रहा।
- यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो सरकार को त्यागपत्र देना पड़ता है।
Source: IE
PAC द्वारा आधार की समीक्षा की मांग
पाठ्यक्रम: GS2/शासन
समाचार में
- लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के कार्यप्रणाली की समीक्षा की मांग की है, जिसमें कई चिंताओं को उजागर किया गया है—विशेष रूप से आधार बायोमेट्रिक सत्यापन में असफलता की उच्च दर, जिससे कई लाभार्थियों को सामाजिक कल्याण योजनाओं से वंचित होना पड़ सकता है।
लोक लेखा समिति (PAC) के बारे में
- लोक लेखा समिति की स्थापना पहली बार 1921 में मोंटेग-चेम्सफोर्ड सुधारों के बाद की गई थी।
- यह भारत की एक प्रमुख संसदीय समिति है, जो सरकार के व्यय और वित्तीय खातों की जांच के लिए प्रतिवर्ष गठित की जाती है।
- यह संसद द्वारा प्रदान की गई धनराशि का उपयोग, वार्षिक वित्तीय लेखा और अन्य संबंधित खातों की समीक्षा करती है (सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी कंपनियों को छोड़कर, जो सार्वजनिक उपक्रमों की समिति के अधिकार क्षेत्र में आते हैं)।
संरचना
- PAC में अधिकतम 22 सदस्य होते हैं—15 लोकसभा से निर्वाचित और अधिकतम 7 राज्यसभा से, आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर चयनित।
- अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है, और परंपरागत रूप से यह विपक्ष से होता है।
- मंत्री समिति के सदस्य नहीं हो सकते।
- सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
कार्य
- PAC का मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकार द्वारा व्यय की गई राशि वैध रूप से और स्वीकृत सीमाओं के अंदर उपयोग की गई हो।
- यह अधिक व्यय, वित्तीय अनियमितताओं, हानि और अपव्यय की जांच करती है।
- यह समिति भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्टों की समीक्षा करती है, जिसमें व्यय और राजस्व दोनों की जांच होती है।
- यह कर प्रशासन से संबंधित मुद्दों जैसे कम आकलन और कर अपवंचन की भी जांच करती है, तथा राजस्व रिसाव को रोकने के लिए उपायों की सिफारिश करती है।
Source :TH
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप (MANF)
पाठ्यक्रम :GS2/शासन
समाचार में
- संघीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप (MANF) के तहत सात महीने से लंबित भुगतान को जारी करने की घोषणा की है।
मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप (MANF) योजना
- यह केंद्र सरकार द्वारा छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों — मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी और सिख — को एम.फिल और पीएच.डी. करने हेतु दी जाने वाली पांच वर्षीय वित्तीय सहायता योजना है।
- यह 2009-10 में एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में शुरू की गई थी।
- इसे अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
- यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा मान्यता प्राप्त सभी विश्वविद्यालयों/संस्थानों को शामिल करती है।
दायरा
- यह फैलोशिप अल्पसंख्यक समुदायों के उन छात्रों को प्रदान की जाती है जो भारत में ही नियमित और पूर्णकालिक अनुसंधान अध्ययन करते हैं जिससे उन्हें एम.फिल/पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त हो सके।
- इससे वे उन पदों के लिए पात्र बन सकेंगे जिनके लिए एम.फिल और पीएच.डी. आवश्यक योग्यता है, जैसे विभिन्न शिक्षण संस्थानों में सहायक प्रोफेसर के पद।
Source :IE
भारत द्वारा बोलीविया को खसरा-रूबेला टीके की 3 लाख खुराकें प्रेषित
पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
समाचार में
- भारत ने मीज़ल्स (खसरा) के बड़े प्रकोप के जवाब में बोलीविया को मीज़ल्स-रूबेला वैक्सीन की 3 लाख खुराकें प्रेषित की हैं।
मीज़ल्स के बारे में
- मीज़ल्स एक अत्यंत संक्रामक और गंभीर वायुजनित वायरल रोग है।
- यह पैरामिक्सोवायरस परिवार के एक वायरस के कारण होता है और मुख्यतः खाँसी, छींक या सीधे संपर्क द्वारा श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है।
- वायरस शुरुआत में श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है और फिर पूरे शरीर में फैल जाता है, जिससे गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं और कुछ मामलों में मृत्यु भी संभव होती है।
- मीज़ल्स के लिए कोई विशेष एंटीवायरल उपचार मौजूद नहीं है, लेकिन रोकथाम के लिए मीज़ल्स-रूबेला (MR) वैक्सीन आम तौर पर दो खुराकों में दी जाती है ताकि प्रतिरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
Source: AIR
ऑटोमोटिव मिशन योजना (AMP) 2047
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- सरकार ने ऑटोमोटिव मिशन प्लान 2047 (AMP 2047) के प्रारूपण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
परिचय
- उद्देश्य: नवाचार, स्थायित्व और निर्यात पर केंद्रित होकर भारत को वैश्विक ऑटोमोटिव नेतृत्वकर्ता के रूप में परिवर्तित करना।
- मुख्य उद्देश्य:
- 2030, 2037 और 2047 के लिए क्षेत्रीय विकास हेतु ठोस लक्ष्य निर्धारित करना।
- उच्च गुणवत्ता और उन्नत उत्पादों के माध्यम से वैश्विक ऑटोमोटिव व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना।
- भविष्य की वृद्धि के लिए उद्योग-प्रेरित और सरकार-समर्थित रणनीति को बढ़ावा देना।
- ऑटोमोटिव पारिस्थितिकी तंत्र में स्थायित्व, हरित गतिशीलता और डिजिटल परिवर्तन का समावेश करना।
- रणनीतिक विशेषताएँ:
- प्रौद्योगिकी निष्पक्षता पर बल : किसी विशेष कंपनी या तकनीक से बंधा नहीं होगा।
- सुदृढ़ बुनियादी ढांचे का निर्माण: विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के लिए चार्जिंग नेटवर्क सहित।
- नीतियों में विविध पक्षों की भागीदारी: वास्तविक परिस्थितियों के आधार पर नीति निर्माण सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों से सहयोग लिया जाएगा।
- संस्थागत तंत्र
- सात उप-समितियों का गठन किया गया है, जिनमें सरकारी मंत्रालयों, उद्योग संगठनों, शिक्षाविदों, परीक्षण एजेंसियों और थिंक टैंक से विशेषज्ञ शामिल हैं।
- उप-समितियों की भूमिका:
- उद्देश्य, रूपरेखा और क्षेत्रीय लक्ष्यों को परिभाषित करना।
- 2047 तक चरणबद्ध विकास और कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करना।
- निर्यात, नवाचार, डिजिटलीकरण और मूल्य श्रृंखला सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करना।
Source: BS
हाइड्रोजन पेरोक्साइड का हरित संश्लेषण
पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- एस. एन. बोस बेसिक साइंसेज़ सेंटर (SNBCBS) के शोधकर्ताओं ने जल और सूर्य की रोशनी से सीधे H₂O₂ संश्लेषित करने की एक नई विधि विकसित की है।
हाइड्रोजन पेरोक्साइड के बारे में
- हाइड्रोजन पेरोक्साइड (H₂O₂) एक अत्यंत महत्वपूर्ण ऑक्सीकृत एजेंट है जिसका उपयोग रासायनिक संश्लेषण, कीटाणुशोधन, अपशिष्ट जल शोधन और ईंधन सेल्स में व्यापक रूप से होता है।
- यह अपने पर्यावरण-अनुकूल गुण के लिए जाना जाता है, क्योंकि यह केवल जल और ऑक्सीजन में विघटित होता है—जिससे यह सतत रासायनिक प्रक्रियाओं का एक मुख्य घटक बन जाता है।
- हालांकि, इसकी पारंपरिक उत्पादन विधियां ऊर्जा-गहन, पर्यावरण के लिए हानिकारक और महंगी होती हैं।
विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए M-COFs द्वारा प्रकाश-उत्प्रेरित हाइड्रोजन पेरोक्साइड

- उत्पादन Mo-DHTA COF, यानी डाइमोलिब्डेनम पैडलव्हील-एम्बेडेड कोवैलेंट ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क, जल और सूर्य की रोशनी से सीधे H₂O₂ संश्लेषित करने हेतु प्रयोग किया गया है।
- यह नवाचार हाइड्रोजन पेरोक्साइड उत्पादन के लिए एक स्वच्छ, अधिक कुशल एवं पुन: प्रयोज्य मार्ग प्रदान करता है, जो फार्मास्युटिकल्स, ग्रीन केमिस्ट्री और मटेरियल साइंस जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला सकता है।
Source: PIB
पृथ्वी-II और अग्नि-I
पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा
संदर्भ
- भारत ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से दो प्रमुख रणनीतिक बैलिस्टिक मिसाइलों—पृथ्वी-II और अग्नि-I—का सफल परीक्षण किया।
पृथ्वी-II के बारे में
- पृथ्वी-II, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, एक तरल ईंधन से संचालित सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है जो अपनी उच्च सटीकता और लक्ष्य निर्धारण की क्षमता के लिए जानी जाती है।
- इसकी मारक क्षमता लगभग 350 किलोमीटर है और यह अधिकतम 500 किलोग्राम का पेलोड ले जाने में सक्षम है।
- इस मिसाइल को पारंपरिक और परमाणु वारहेड दोनों से लैस किया जा सकता है।
अग्नि-I के बारे में
- DRDO द्वारा डिज़ाइन और विकसित की गई अग्नि-I एक ठोस ईंधन से संचालित एक-चरणीय बैलिस्टिक मिसाइल है।
- यह 700–900 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है और इसमें 1,000 किलोग्राम तक का परमाणु वारहेड ले जाने की क्षमता है।
- इसकी आवश्यकता कारगिल युद्ध के पश्चात् महसूस की गई थी।
क्या आप जानते हैं?
- नई पीढ़ी की अग्नि-प्राइम बैलिस्टिक मिसाइल, जिसकी मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किलोमीटर तक है, भारत के परमाणु शस्त्रागार में धीरे-धीरे अग्नि-I और अग्नि-II मिसाइलों का स्थान लेने वाली है।
- पृथ्वी-II और अग्नि-I का सफल परीक्षण उस दिन के ठीक एक दिन बाद हुआ जब भारतीय सेना ने लेह-लद्दाख क्षेत्र में लगभग 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्वदेशी आकाश प्राइम वायु रक्षा प्रणाली का उच्च ऊंचाई परीक्षण किया।
Source: DD News
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