पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था/संसाधन, GS3/पर्यावरण
संदर्भ
- भारत को भारतीय महासागर की शासन व्यवस्था, स्थिरता और सुरक्षा संरचना को आकार देने में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को पुनर्जीवित करना चाहिए, जिसका मार्गदर्शन सिद्धांत “भारतीय महासागर से, विश्व के लिए” होना चाहिए।
- यह उस समय की आवश्यकता है जब:
- जलवायु संकट समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों पर दबाव को तीव्र कर रहा है।
- COP30, UNOC3 और नई ब्लू फाइनेंस प्रतिबद्धताओं के माध्यम से महासागरों पर वैश्विक ध्यान बढ़ रहा है।
- भारत एक सहयोगात्मक, स्थायी और समावेशी महासागर एजेंडा को आगे बढ़ाने की स्थिति में है।
महासागर शासन में भारत की ऐतिहासिक भूमिका
- UNCLOS वार्ताओं (1970–80 के दशक) के दौरान भारत ने छोटे द्वीपीय देशों का साथ दिया और राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे समुद्र तल संसाधनों के लिए “मानवता की साझा धरोहर” सिद्धांत को बढ़ावा दिया।
- यह जवाहरलाल नेहरू की उस दृष्टि को प्रतिध्वनित करता है जिसमें महासागर को भारत की सुरक्षा और समृद्धि का केंद्र माना गया था।
- वास्तव में, भारत ने लंबे समय से स्वयं को एक समुद्री राष्ट्र और समुद्री नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया है।
महासागरों पर बढ़ता दबाव
- भारतीय महासागर जलवायु-जनित चुनौतियों जैसे महासागर का उष्ण होना, अम्लीकरण, समुद्र स्तर में वृद्धि और अवैध मछली पकड़ने से बढ़ते खतरे का सामना कर रहा है।
- यह भारत को क्षेत्रीय समाधान और इंडो-पैसिफिक में भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विताओं (चीन की नौसैनिक उपस्थिति, अमेरिका-चीन प्रतिस्पर्धा) में नेतृत्व करने का रणनीतिक अवसर प्रदान करता है।
भारत की ब्लू ओशन रणनीति: तीन स्तंभ

2025 में वैश्विक प्रमुख विकास
- ब्लू इकॉनमी और फाइनेंस फोरम (मोनाको): मोनाको में आयोजित फोरम में सरकारों, विकास बैंकों और निजी निवेशकों ने €25 बिलियन मूल्य के महासागर-संबंधी निवेशों की सुदृढ़ पाइपलाइन प्रस्तुत की। उन्होंने €8.7 बिलियन की नई प्रतिबद्धताओं की भी घोषणा की।
- COP30 (बेलें): COP30 में ब्राज़ील की अध्यक्षता ने “वन ओशन पार्टनरशिप” शुरू की। इस पहल का लक्ष्य 2030 तक महासागर संरक्षण एवं सतत महासागर गतिविधियों के लिए $20 बिलियन एकत्रित किया है।
- लैटिन अमेरिका विकास बैंक: इस बैंक ने ब्लू इकॉनमी परियोजनाओं के लिए अपने वित्तीय लक्ष्य को दोगुना कर दिया। अब यह 2030 तक $2.5 बिलियन निवेश करने की योजना बना रहा है।
स्थिरता के माध्यम से सुरक्षा
- नौसैनिक प्रतिद्वंद्विताओं से परे, IUU मछली पकड़ना, प्रवाल हानि और तीव्र तूफान जैसी पर्यावरणीय धमकियाँ भारतीय महासागर में आजीविका एवं स्थिरता को कमजोर करती हैं।
- भारत का SAGAR सिद्धांत पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को समुद्री सुरक्षा के साथ एकीकृत करता है, जिसमें डोमेन जागरूकता और आपदा प्रतिक्रिया में उन्नत सहयोग शामिल है।
भारत की नेतृत्वकारी आवश्यकता
- इंदिरा गांधी के 1972 स्टॉकहोम दृष्टिकोण की प्रतिध्वनि करते हुए, भारत BBNJ अनुमोदन (2026 से प्रभावी), UNOC3/COP30/G20 की गति और IORA अध्यक्षता का लाभ उठाकर इंडियन ओशन ब्लू फंड, ग्रीन शिपिंग एवं ब्लू बॉन्ड्स की पहल कर सकता है—जिससे प्रतिबद्धताओं को सतत समृद्धि में बदला जा सके।
- 2026 एक महत्वपूर्ण वर्ष है, जिसमें UN महासागर सम्मेलन (UNOC3) और BBNJ समझौते (राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे जैव विविधता) का प्रभावी होना शामिल है। भारत की भूमिका BBNJ समझौते की पुष्टि करना और इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) की अध्यक्षता का उपयोग करके ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर एवं ब्लू बॉन्ड्स को आगे बढ़ाना है, मार्गदर्शक सिद्धांत “भारतीय महासागर से, विश्व के लिए” के साथ।
आगे की राह
- संस्थागत नेतृत्व: भारत को IORA के अंदर भारतीय महासागर स्थिरता और सुरक्षा परिषद जैसी व्यवस्थाओं की स्थापना की दिशा में कार्य करना चाहिए। इसे दीर्घकालिक क्षेत्रीय परियोजनाओं के समर्थन हेतु इंडियन ओशन ब्लू फंड को भी क्रियान्वित करना चाहिए।
- क्षेत्रीय साझेदारियों को सुदृढ़ करना: भारत छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों और अफ्रीकी तटीय देशों के साथ साझेदारी को सुदृढ़ कर सकता है। इसे इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI) जैसी पहलों का उपयोग करना चाहिए ताकि समुद्री पारिस्थितिकी, संसाधन प्रबंधन और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जा सके।
- घरेलू सुधार: मत्स्य क्षेत्र का आधुनिकीकरण, समुद्री संरक्षित क्षेत्रों का विस्तार और तटीय विनियमन ढाँचों में सुधार आवश्यक कदम हैं। भारत को अपनी तटीय जनसंख्या के लिए सुदृढ़ जलवायु अनुकूलन उपायों की भी आवश्यकता है।
- समुद्री कूटनीति: भारत को भारतीय महासागर को सहयोग का क्षेत्र बनाने को बढ़ावा देना जारी रखना चाहिए। इसका कूटनीतिक दृष्टिकोण समावेशी, संप्रभुता का सम्मान करने वाला और साझा विकास लक्ष्यों पर आधारित होना चाहिए।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार: भारत उपग्रह-आधारित महासागर निगरानी, AI-आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और ग्रीन पोर्ट अवसंरचना जैसी तकनीकों में निवेश कर सकता है। समुद्री जैव प्रौद्योगिकी और जिम्मेदार कार्बन अवशोषण अनुसंधान को आगे बढ़ाना भारत की सतत महासागर प्रथाओं में नेतृत्व को और सुदृढ़ करेगा।
| दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत को भारतीय महासागर को मुख्यतः एक सामरिक क्षेत्र के रूप में देखने से हटकर इसे एक पारिस्थितिकीय और विकासात्मक क्षेत्र के रूप में देखना चाहिए। हाल ही में महासागर शासन में वैश्विक गति और भारत की समुद्री पहलों के संदर्भ में चर्चा कीजिए। |
Source: TH
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