पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था; पर्यावरण
संदर्भ
- भारत जब सेमीकंडक्टर फैब्स से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) तक स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण को आगे बढ़ा रहा है, ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण इस प्रगति को बाधित करने की आशंका उत्पन्न कर रहा है।
भारत में ई-अपशिष्ट के बारे में
- ई-अपशिष्ट — त्यागे गए इलेक्ट्रॉनिक और विद्युत उपकरण — में तांबा, एल्युमिनियम, निकल, कोबाल्ट, लिथियम, सोना और दुर्लभ पृथ्वी तत्व (REEs) जैसे मूल्यवान पदार्थ होते हैं।
- भारत ने 2022 में अनुमानित 4.17 मिलियन मीट्रिक टन ई-अपशिष्ट उत्पन्न किया, लेकिन इसका केवल एक-तिहाई ही औपचारिक चैनलों के माध्यम से संसाधित किया गया।
- यह इलेक्ट्रॉनिक्स के बढ़ते उपयोग, तीव्रता से अप्रचलन और उपभोक्ता अपग्रेड द्वारा प्रेरित है।

- TRAI के अनुसार, भारत में 93.9 करोड़ से अधिक मोबाइल ब्रॉडबैंड कनेक्शन हैं, लेकिन यह वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स खपत का केवल लगभग 4% ही है।
संग्रहण और पुनर्चक्रण में अंतराल
- भारतीय सेल्युलर और इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण मुख्य रूप से अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा संचालित है, जो 90–95% तक ई-अपशिष्ट को असुरक्षित तरीकों जैसे खुले में जलाना और एसिड लीचिंग के माध्यम से संभालता है।
- मुख्य चुनौतियाँ:
- औपचारिक संग्रहण (10% से कम) और पुनर्चक्रण दरें कम हैं;
- विषैले पदार्थों के संपर्क में आने वाले अनौपचारिक श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य जोखिम;
- पुनर्प्राप्त सामग्री में ट्रेसबिलिटी की समस्याएं, जिससे यह फिर से अनौपचारिक चैनलों में लीक हो जाती है;
- EPR प्रणाली में फर्जी रिपोर्टिंग और कदाचार — जैसे पुनर्चक्रण क्रेडिट का ‘पेपर ट्रेडिंग’ — ने विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाए हैं;
- मानकीकृत इन्वेंटरी सिस्टम और थर्ड-पार्टी ऑडिट की कमी।
नीति और उद्योग की प्रतिक्रिया
- ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022: ये नियम ई-अपशिष्ट के पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित प्रबंधन को सुनिश्चित करने और विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी (EPR) प्रणाली को सुदृढ़ करने का लक्ष्य रखते हैं, जिसमें निर्माताओं, उत्पादकों, पुनर्निर्माताओं एवं पुनर्चक्रणकर्ताओं को CPCB पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक है।
- प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:
- उल्लंघनों के लिए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति;
- सत्यापन और ऑडिट तंत्र;
- वैज्ञानिक पुनर्चक्रण के माध्यम से परिपत्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।
- औपचारिक पुनर्चक्रण अवसंरचना (फरवरी 2025): भारत में 322 पंजीकृत पुनर्चक्रणकर्ता हैं जिनकी वार्षिक प्रसंस्करण क्षमता 22 लाख मीट्रिक टन से अधिक है।
- 92,000 मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता वाले 72 पंजीकृत पुनर्निर्माता हैं।
- जन जागरूकता और शिक्षा: MeitY ने MAIT और NASSCOM जैसे उद्योग संगठनों के सहयोग से 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जागरूकता अभियान शुरू किए हैं।
- ‘मंडी-शैली’ के एकत्रीकरण मॉडल जैसे नवाचारों का परीक्षण किया जा रहा है ताकि अनौपचारिक संग्राहकों को औपचारिक पुनर्चक्रणकर्ताओं से जोड़ा जा सके।
आगे की राह
- औपचारिक संचालन का विस्तार करना;
- EPR प्रणाली में कदाचार को रोकना;
- मरम्मत के माध्यम से उत्पाद जीवन चक्र को बढ़ाना;
- सुदृढ़ इन्वेंटरी सिस्टम बनाना।