पाठ्यक्रम: GS3/ऊर्जा
संदर्भ
- चीन का विश्व के सबसे बड़े प्रदूषक से वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा महाशक्ति में परिवर्तन दशकों की रणनीतिक योजना, विशाल सरकारी निवेश और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में तकनीकी प्रभुत्व का परिणाम है।
हरित ऊर्जा के बारे में
- स्वच्छ ऊर्जा सतत विकास की एक आधारशिला के रूप में उभरी है, विशेष रूप से जब विश्व जलवायु संकट का सामना कर रहा है।
- यह उस ऊर्जा को दर्शाती है जो प्राकृतिक, नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न होती है और जिसका पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव होता है तथा जो ग्रीनहाउस गैसों का बहुत कम या शून्य उत्सर्जन करती है।
- इन स्रोतों में शामिल हैं: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत, बायोमास और भू-तापीय ऊर्जा।
वैश्विक परिदृश्य
- 2024 में वैश्विक रूप से नवीकरणीय ऊर्जा से 40.9% बिजली उत्पन्न की गई—1940 के दशक के बाद यह सबसे अधिक भाग है।
- केवल सौर ऊर्जा से 474 टेरावाट घंटे जोड़े गए, जिससे यह लगातार 20वें वर्ष सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला ऊर्जा स्रोत बन गया।
- अमेरिका और यूरोपीय संघ स्वच्छ ऊर्जा उद्योगों को पुनर्स्थापित करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं।
- ब्राज़ील और जर्मनी जैव ऊर्जा और अपतटीय पवन ऊर्जा का विस्तार कर रहे हैं।
- अफ्रीका एक नया क्षेत्र बनकर उभर रहा है, जहां चीन परमाणु और सौर निवेशों का नेतृत्व कर रहा है।
चीन की स्वच्छ ऊर्जा क्रांति
- कभी विश्व का सबसे बड़ा उत्सर्जक रहा चीन अब एक स्वच्छ ऊर्जा महाशक्ति में परिवर्तित हो गया है—इसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला, निवेश प्रवाह और तकनीकी नेतृत्व को नया आकार दिया है।
- नीतिगत और कानूनी ढांचा: 11वीं पंचवर्षीय योजना (2006–2010); नवीकरणीय ऊर्जा अधिनियम (2005)।
- विशाल निवेश: 2024 में $940 बिलियन का निवेश, जबकि 2006 में यह मात्र $10.7 बिलियन था।
- राज्य स्वामित्व वाले उद्यम (SOEs): स्टेट ग्रिड और हुआनेंग जैसी संस्थाएं राष्ट्रीय योजनाओं को तीव्रता और बड़े पैमाने पर कार्यान्वित करती हैं।
- चीन के SOEs वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश का 55% हिस्सा रखते हैं, जिससे स्वच्छ ऊर्जा को कूटनीतिक साधन बना दिया गया है।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रभुत्व: कच्चे माल के निष्कर्षण (पॉलीसिलिकॉन, लिथियम) से लेकर विनिर्माण और निर्यात तक, चीन ने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के प्रत्येक चरण में नियंत्रण स्थापित कर लिया है।
- आगामी पीढ़ी की तकनीक का उपयोग: चीन AI-सक्षम स्मार्ट ग्रिड, ग्रीन हाइड्रोजन और थोरियम-आधारित परमाणु रिएक्टर जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- निर्यात रणनीति: बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के अंतर्गत चीन 61 देशों में सौर पार्क, पवन फार्म और जलविद्युत स्टेशन बना रहा है।
चीन की हरित ऊर्जा सफलता से भारत की सीख
- आयात निर्भरता में कमी: भारत ने 2023 में चीन से सौर मॉड्यूल आयात में 76% की कटौती की।
- सौर मॉड्यूल पर 40% और सौर सेल पर 25% सीमा शुल्क लगाया गया।
- सौर और बैटरियों के लिए PLI योजना द्वारा घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया गया।

- ग्रिड और भंडारण की मजबूती: चीन के शुरुआती ग्रिड बाधाओं से सीख लेकर भारत ने निवेश बढ़ाया है:
- हरित ऊर्जा कॉरिडोर;
- बैटरी भंडारण प्रणाली;
- पंप्ड हाइड्रो परियोजनाएं (2032 तक 51 GW का लक्ष्य)।
- विकेंद्रीकृत और समावेशी विकास: चीन के केंद्रीकृत SOE मॉडल के विपरीत, भारत बढ़ावा दे रहा है:
- पीएम सूर्य घर योजना द्वारा रूफटॉप सोलर;
- ग्रामीण सौर तैनाती हेतु कृषि-पीवी और पीएम-कुसुम योजना;
- ग्रिड स्थिरता के लिए सौर, पवन और भंडारण को मिलाकर हाइब्रिड निविदाएं।
- महत्त्वपूर्ण खनिजों और तकनीकी स्वतंत्रता: भारत चीन पर निर्भरता घटाने हेतु एक महत्वपूर्ण खनिज ढांचा तैयार कर रहा है।
- 12 महत्वपूर्ण खनिज और 35 पूंजीगत वस्तुओं को आयात शुल्क से मुक्त किया गया है ताकि घरेलू नवाचार को प्रोत्साहन मिल सके।
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