एनसीएईआर ने कुशल कार्यबल में वृद्धि की रिपोर्ट दी

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) ने रिपोर्ट भारत के रोजगार की संभावनाएँ: रोजगारों के मार्ग (India’s Employment Prospects: Pathways to Jobs) जारी की है, जिसमें कौशल विकास और छोटे उद्यमों की भूमिका को देश में रोजगार सृजन के प्रमुख चालक के रूप में रेखांकित किया गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • रोजगार प्रवृत्तियाँ : भारत में स्वरोजगार का प्रभुत्व आर्थिक आवश्यकता के कारण है, न कि उद्यमशीलता की गतिशीलता के कारण, क्योंकि अधिकांश छोटे उद्यम जीविका स्तर पर कार्य करते हैं।
  • कार्यबल संरचना : भारत का कार्यबल कौशल-वृद्धि से बहुत लाभान्वित हो सकता है, विशेषकर नई तकनीकों और AI के आगमन के साथ।
    • मध्यम-कौशल वाली नौकरियाँ रोजगार वृद्धि में प्रमुख हैं, विशेषतः सेवाओं में, जबकि विनिर्माण कम-कौशल पर आधारित बना हुआ है।
  • कुशल कार्यबल का हिस्सा बढ़ाने से:
    • 9 प्रतिशत अंक की वृद्धि से 2030 तक 9.3 मिलियन रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं।
    • 12 प्रतिशत अंक की वृद्धि से 2030 तक श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोजगार 13% से अधिक बढ़ सकता है।
  • छोटे उद्यमों की भूमिका : भारत के सबसे छोटे उद्यमों की उत्पादकता देश के रोजगार भविष्य के लिए केंद्रीय है।
    • डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने वाले उद्यम गैर-डिजिटल फर्मों की तुलना में 78% अधिक श्रमिकों को रोजगार देते हैं।
    • ऋण तक पहुँच में 1% वृद्धि से अपेक्षित नियुक्त श्रमिकों की संख्या 45% तक बढ़ जाती है।

चुनौतियाँ 

  • भारत की अर्थव्यवस्था में अनौपचारिक उद्यमों का प्रभुत्व है, विशेषकर ओन अकाउंट एंटरप्राइजेज [Own Account Enterprises (OAEs)]  जो श्रमिकों को नियुक्त नहीं करते।
    • अनौपचारिक उद्यमों में GVA में 10% वृद्धि से नियुक्त श्रमिकों में 4.5% की वृद्धि हो सकती है।
  • औपचारिक प्रशिक्षण का कम कवरेज: 2024 तक भारत के केवल 4.1% कार्यबल ने औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
  • कौशल प्रणाली में संरचनात्मक समस्याएँ:
    • प्रशिक्षण पाठ्यक्रम उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं।
    • कई प्रशिक्षण केंद्रों में सीट उपयोग कम है।
    • प्लेसमेंट परिणाम कमजोर बने हुए हैं।
    • उद्योग, प्रशिक्षण प्रदाताओं और राज्य सरकारों के बीच सीमित समन्वय है।

प्रमुख सरकारी पहल 

  • नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSDC):
    • NSDC की स्थापना 2008 में कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 (अब कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8) के अंतर्गत एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में की गई थी।
    • यह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE), भारत सरकार के अंतर्गत कार्यरत एक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) उद्यम है।
    • NSDC का उद्देश्य बड़े, गुणवत्तापूर्ण और लाभकारी व्यावसायिक संस्थानों के निर्माण को उत्प्रेरित करके कौशल विकास को बढ़ावा देना है।

रिपोर्ट में उजागर नीति सिफारिशें 

  • कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार :
    • आपूर्ति-आधारित प्रशिक्षण से मांग-उन्मुख कौशल विकास की ओर बदलाव।
    • उद्योग भागीदारी और प्लेसमेंट-उन्मुख परिणामों को सुदृढ़ करना।
    • व्यावसायिक शिक्षा में सार्वजनिक निवेश बढ़ाना।
  • मांग-पक्ष रोजगार रणनीति :
    • वस्त्र, परिधान, जूते और खाद्य प्रसंस्करण जैसे श्रम-प्रधान विनिर्माण क्षेत्रों को प्राथमिकता देना।
    • औद्योगिक प्रोत्साहनों को केवल उत्पादन के बजाय रोजगार गुणकों के साथ संरेखित करना।
  • अनौपचारिक क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाना:
    • छोटे और सूक्ष्म उद्यमों के लिए औपचारिक ऋण तक पहुँच का विस्तार।
    • उत्पादकता और नियुक्ति क्षमता में सुधार के लिए डिजिटल अपनाने को बढ़ावा देना।
    • उद्यमों को जीविका-आधारित मॉडल से विकास-उन्मुख मॉडल की ओर सक्षम बनाना।

Source: AIR

 

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