रिफ्ट वैली फीवर (RVF)
पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
समाचार में
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पश्चिमी अफ्रीका के मॉरिटानिया और सेनेगल में रिफ्ट वैली फीवर (RVF) के प्रकोप की पुष्टि की है।
रिफ्ट वैली फीवर (RVF) के बारे में
- RVF का नाम केन्या की रिफ्ट वैली से लिया गया है, जहाँ इस बीमारी को प्रथम बार 1930 के दशक की शुरुआत में पहचाना गया था।
- यह फ्लेबोवायरस के कारण होता है, जो फेनुविरिडाए परिवार से संबंधित है।
- यह मुख्य रूप से भेड़, बकरी, गाय और ऊँट जैसे जानवरों को प्रभावित करता है।
- मनुष्य संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क में आने या संक्रमित मच्छरों के काटने से संक्रमित हो जाते हैं।
- मानव-से-मानव संक्रमण का कोई प्रमाण नहीं है।
- वर्तमान में इसका कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है।
Source: TH
शीरा (Molasses)
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- केंद्र सरकार 2025–26 में लगभग 15 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने और शीरे (Molasses) पर 50% निर्यात कर को समाप्त करने पर विचार कर रही है, ताकि किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके और उन्हें शीघ्र भुगतान मिल सके।
विवरण
- निर्यात का निर्णय मुख्यमंत्री को सूचित किया गया, साथ ही देश में गन्ना किसानों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया गया।
- 2024–25 में सकल चीनी उत्पादन 29.1 मिलियन टन रहा और वर्तमान 2025–26 में इसके 16% बढ़कर 34.35 मिलियन टन होने का संभावना है।
- अनुमान है कि 2025–26 में 3.4 मिलियन टन चीनी एथेनॉल उत्पादन के लिए मोड़ी जाएगी, जबकि पिछले वर्ष यह 3.5 मिलियन टन थी।
शीरा (Molasses)
- शीरा एक गाढ़ा, गहरे भूरे रंग का सिरप है, जो गन्ने या शुगर बीट को चीनी में परिष्कृत करने की प्रक्रिया के दौरान उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
- उपयोग
- खाद्य उद्योग: बेकिंग (जैसे जिंजरब्रेड), रम उत्पादन और पशु आहार में उपयोग।
- औद्योगिक उपयोग: एथेनॉल, साइट्रिक एसिड और यीस्ट उत्पादन में।
- कृषि: पशु आहार के घटक के रूप में और मृदा की स्थिति सुधारने में।
- यह भारत के एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के अंतर्गत एथेनॉल उत्पादन के लिए एक प्रमुख कच्चा माल है, जिसका उद्देश्य कच्चे तेल के आयात को कम करना है।
Source: BS
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) रिपोर्ट
पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) जुलाई–सितंबर 2025 तिमाही के लिए श्रम ब्यूरो द्वारा किया गया।
परिचय
- बेरोज़गारी दर: कुल मिलाकर जुलाई–सितंबर 2025 में यह घटकर 5.2% हो गई, जो विगत तिमाही में 5.4% थी।
- ग्रामीण: इस अवधि में यह 4.8% से घटकर 4.4% हो गई।
- शहरी: पुरुषों के लिए 6.1% से बढ़कर 6.2% और महिलाओं के लिए 8.9% से बढ़कर 9.0% हो गई।
- रोज़गार पैटर्न
- ग्रामीण क्षेत्र: यहाँ स्वरोज़गार का प्रभुत्व रहा — यह 60.7% से बढ़कर 62.8% हो गया। अधिकांश लोग कृषि क्षेत्र में लगे रहे — 53.5% से बढ़कर 57.7%, मौसमी कार्यों के कारण।
- शहरी क्षेत्र: नियमित वेतन/वेतनभोगी रोज़गार थोड़ा बढ़कर 49.4% से 49.8% हो गया। कार्यबल का संकेंद्रण तृतीयक क्षेत्र में रहा — 61.7% से बढ़कर 62.0%।
- श्रम बल भागीदारी दर (LFPR)
- कुल LFPR: 55.0% से स्थिर रहकर 55.1%।
- ग्रामीण LFPR: 57.1% से बढ़कर 57.2%।
- शहरी LFPR: 50.6% से बढ़कर 50.7%।
- महिला LFPR: 33.4% से बढ़कर 33.7%।
- ग्रामीण महिला LFPR: 37.0% से बढ़कर 37.5%।
- कार्यकर्ता जनसंख्या अनुपात (WPR)
- देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए इस तिमाही में WPR 52.2% रहा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में WPR 54.7% रहा, जबकि शहरी क्षेत्रों में यही अनुपात 47.2% दर्ज किया गया।
मुख्य निष्कर्ष
- कृषि और स्वरोज़गार से प्रेरित होकर ग्रामीण रोज़गार में सुधार हुआ।
- शहरी रोज़गार स्थिर रहा, वेतनभोगी रोजगारों में हल्की वृद्धि हुई।
- श्रम बल में महिला भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ी।
- कुल बेरोज़गारी में कमी आई, जो श्रम बाज़ार की मध्यम पुनर्प्राप्ति को दर्शाती है।
Source: TH
राइसिन
पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
समाचार में
- गुजरात एंटी-टेररिज़्म स्क्वाड (ATS) ने एक कथित आतंकी साज़िश को नाकाम किया और आतंकवाद से जुड़े संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, जो कथित तौर पर राइसिन (Ricin) रसायन बनाने का प्रयास कर रहे थे।
राइसिन (Ricin) के बारे में
- राइसिन एक अत्यधिक विषैला प्रोटीन है, जो अरंडी के बीज के पौधे (Ricinus communis) से निकाला जाता है।
- यह कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण को रोक देता है, जिससे कई अंगों की विफलता होती है और संपर्क के कुछ ही घंटों में मृत्यु हो सकती है। केवल कुछ मिलीग्राम ही घातक सिद्ध हो सकते हैं।
- इसे रासायनिक हथियार संधि (Chemical Weapons Convention – CWC) की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध किया गया है, जिसका पर्यवेक्षण रासायनिक हथियार निषेध संगठन(OPCW) द्वारा किया जाता है, क्योंकि इसका कोई वैध नागरिक उपयोग नहीं है।
- राइसिन विषाक्तता का कोई ज्ञात प्रतिरोधक (antidote) नहीं है।
रासायनिक हथियार संधि (CWC)
- अपनाई गई: 1992 में और 1997 में लागू हुई।
- प्रशासित द्वारा: रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW), जिसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में है।
- उद्देश्य: सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) की एक पूरी श्रेणी को समाप्त करना, विकास, उत्पादन, अधिग्रहण, भंडारण, हस्तांतरण और उपयोग को प्रतिबंधित करके तथा उनके विनाश को सुनिश्चित करके।
- भारत: मूल हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक और 1996 में संधि की पुष्टि करने वाले पहले देशों में से एक।
- अनुसूची प्रणाली: रसायनों को उनकी विषाक्तता और नागरिक उपयोग के आधार पर तीन अनुसूचियों में विभाजित किया गया है:
- अनुसूची 1: अत्यधिक विषाक्त, कोई वैध नागरिक उपयोग नहीं (जैसे राइसिन, सारिन, VX)।
- अनुसूची 2: हथियार पूर्ववर्ती के रूप में उपयोग किए जा सकते हैं लेकिन सीमित औद्योगिक उपयोग रखते हैं।
- अनुसूची 3: बड़े पैमाने पर उद्योग में उपयोग किए जाते हैं लेकिन हथियार पूर्ववर्ती हो सकते हैं (जैसे फॉस्जीन, हाइड्रोजन सायनाइड)।
Source: IE
विश्व कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहयोग संगठन (WAICO)
पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
समाचार में
- बुसान (2025) में आयोजित एपीईसी शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने विश्व कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहयोग संगठन (WAICO) बनाने का प्रस्ताव रखा।
परिचय
- यह एक नया वैश्विक एआई शासन (AI Governance) पहल है, जिसे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा प्रस्तावित किया गया है, और इसका मुख्यालय शंघाई, चीन में प्रस्तावित है।
- WAICO का उद्देश्य वर्तमान में बिखरे हुए एआई शासन को संबोधित करना है, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना, एआई रणनीतियों और तकनीकी मानकों को संरेखित करना, तथा विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए समावेशी नवाचार पारिस्थितिक तंत्र को प्रोत्साहित करना है।
Source: IE
नोबेल पुरस्कार विजेता डीएनए अग्रदूत जेम्स वाटसन का निधन
पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
समाचार में
- नोबेल पुरस्कार विजेता जीवविज्ञानी जेम्स ड्यूई वॉटसन, जो डीएनए की डबल-हेलिक्स संरचना के सह-खोजकर्ता के रूप में प्रसिद्ध थे, का न्यूयॉर्क में निधन हो गया।
| डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) – यह वह अणु है जो किसी जीव के विकास और कार्य के लिए आवश्यक आनुवंशिक निर्देशों को संग्रहीत करता है। – यह एक डबल हेलिक्स होता है, जो बेस पेयर्स से बना होता है और शुगर-फॉस्फेट बैकबोन से जुड़ा होता है। – इसमें दो स्ट्रैंड होते हैं जो डबल हेलिक्स में मुड़े होते हैं। – प्रत्येक स्ट्रैंड शुगर-फॉस्फेट बैकबोन और चार नाइट्रोजन बेस — एडेनिन (A), थाइमिन (T), साइटोसिन (C), और ग्वानिन (G) — से बना होता है। – अधिकांश डीएनए कोशिका के नाभिक (जहाँ इसे न्यूक्लियर डीएनए कहा जाता है) में पाया जाता है, लेकिन थोड़ी मात्रा माइटोकॉन्ड्रिया में भी मिलती है। |
जेम्स ड्यूई वॉटसन के प्रमुख योगदान
- वॉटसन का 1953 में फ्रांसिस क्रिक के साथ ऐतिहासिक सहयोग, जिसे रोज़ालिंड फ्रैंकलिन और मॉरिस विल्किंस के एक्स-रे डेटा से सहायता मिली, ने डीएनए की संरचना एवं प्रतिकृति तंत्र को उजागर कर जीवविज्ञान में क्रांति ला दी।
- उन्होंने कैंसर अनुसंधान में योगदान दिया और मानव जीनोम परियोजना (1988–1992) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें मानव जीनों का मानचित्रण किया गया।
- वे हार्वर्ड में प्रोफेसर रहे और कोल्ड स्प्रिंग हार्बर प्रयोगशाला को एक अग्रणी आणविक जीवविज्ञान केंद्र में बदल दिया।
डीएनए की डबल-हेलिक्स संरचना की खोज
- जेम्स ड्यूई वॉटसन को 1953 में फ्रांसिस क्रिक के साथ डीएनए की डबल-हेलिक्स संरचना की सह-खोज के लिए विश्व स्तर पर सराहा गया।
- उनके मॉडल ने दिखाया कि आनुवंशिक जानकारी कैसे संग्रहीत और प्रतिकृत होती है, जिससे वंशानुक्रम की व्याख्या हुई तथा जीवविज्ञान में विशाल प्रगति संभव हुई।
- यह खोज दशकों के पूर्ववर्ती शोध पर आधारित थी, जिसमें 1869 में फ्रेडरिक मीशर द्वारा डीएनए की पहचान और 1940 के दशक में यह समझ शामिल थी कि आनुवंशिक जानकारी प्रोटीन नहीं बल्कि डीएनए में होती है।
- यह खोज एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी डेटा से प्रेरित थी, विशेष रूप से रोज़ालिंड फ्रैंकलिन की टीम द्वारा ली गई फोटो 51, जिसने अणु की डबल-हेलिकल आकृति को उजागर किया।
- उनके मॉडल ने दिखाया कि डीएनए दो स्ट्रैंड्स से बना है, जिनमें पूरक बेस पेयर्स होते हैं — A के साथ T और C के साथ G — जो एक मुड़ी हुई सीढ़ी की तरह व्यवस्थित होते हैं, जिससे सटीक प्रतिकृति संभव होती है।
प्रभाव
- इस सुंदर संरचना ने समझाया कि गुण कैसे विरासत में मिलते हैं और आणविक जीवविज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी एवं आनुवंशिक इंजीनियरिंग का जन्म हुआ।
- इसने CRISPR जैसी परिवर्तनकारी तकनीकों को जन्म दिया, कृषि और चिकित्सा में क्रांति लाई तथा फॉरेंसिक तथा विकासवादी जीवविज्ञान में आनुवंशिक विश्लेषण को सक्षम बनाया।
मान्यता
- इस खोज ने वॉटसन, क्रिक एवं विल्किंस को 1962 का नोबेल पुरस्कार दिलाया और आधुनिक आनुवंशिकी की नींव रखी, जिससे चिकित्सा, फॉरेंसिक एवं जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति संभव हुई।
Source :TH
वी. राजारमन: भारत की प्रोग्रामिंग क्रांति के वास्तुकार
पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की भूमिका
समाचार में
- प्रो. वैद्येश्वरन राजारामन, एक अग्रणी इंजीनियर और शिक्षाविद् जिन्होंने भारत में कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा की स्थापना में सहायता की, का निधन हो गया।
वैद्येश्वरन राजारामन
- उनका जन्म तमिलनाडु में हुआ था। उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से भौतिकी की पढ़ाई की, आईआईएससी बेंगलुरु से इंजीनियरिंग डिप्लोमा प्राप्त किया तथा विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय से पीएचडी पूरी की।
- वे एक अग्रणी कंप्यूटर वैज्ञानिक और शिक्षक थे, जिन्होंने भारत के सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग एवं सेवाओं के क्षेत्र को आकार देने में बुनियादी भूमिका निभाई।
मुख्य योगदान
- आईआईएससी में उनके प्रारंभिक एनालॉग कंप्यूटिंग कार्य ने उन्हें एमआईटी एवं विस्कॉन्सिन में उन्नत प्रशिक्षण दिलाया, जिसके बाद वे भारत लौटे तथा देश के पहले कंप्यूटर केंद्रों में से एक का निर्माण किया, जो आईबीएम मेनफ्रेम पर आधारित था।
- राजारामन के गहन फॉरट्रान पाठ्यक्रमों ने शुरुआती प्रोग्रामरों को प्रशिक्षित किया और टीसीएस तथा एचसीएल जैसी उभरती कंपनियों से संबंध स्थापित किए।
- उनके छात्र आगे चलकर भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग के नेता बने।
- उनका 1968 का फॉरट्रान पुस्तिका बेस्टसेलर बनी, जिसने एक विपुल प्रकाशन करियर को जन्म दिया और उन्हें प्रोग्रामिंग शिक्षा में घर-घर का नाम बना दिया।
- उन्होंने 1979 में आईआईटी कानपुर में भारत का प्रथम बी.टेक कंप्यूटर विज्ञान कार्यक्रम शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बाद में उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एमसीए कार्यक्रम को डिजाइन करने में सहायता की।
- उन्होंने 1982–1994 के दौरान आईआईएससी के सुपरकंप्यूटर शिक्षा और अनुसंधान केंद्र के प्रमुख के रूप में भारत की कंप्यूटिंग क्षमताओं को आगे बढ़ाया।
मान्यता और विरासत
- भटनागर पुरस्कार विजेता राजारामन को 1998 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया, इसके अतिरिक्त उन्हें कई अन्य पुरस्कार मिले।
- उन्होंने कंप्यूटर विज्ञान पर 20 से अधिक पाठ्यपुस्तकें लिखीं, जो आज भी देशभर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हैं।
- उनकी विरासत एनालॉग मशीनों से सुपरकंप्यूटर तक फैली हुई है, और उनकी शांत समर्पण भावना ने प्रोग्रामरों, शिक्षकों एवं तकनीकी नेताओं की पीढ़ियों को आकार दिया।
Source :TH
बुकर पुरस्कार 2025
पाठ्यक्रम: पुरस्कार/ विविध
संदर्भ
- डेविड सालाय ने इस वर्ष अपने उपन्यास ‘फ्लेश(Flesh)’ के लिए बुकर पुरस्कार जीता। वे बुकर पुरस्कार जीतने वाले पहले हंगेरियन-ब्रिटिश लेखक बने।
परिचय
- बुकर पुरस्कार एक प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान है, जो प्रत्येक वर्ष अंग्रेज़ी भाषा में लिखे गए और यूनाइटेड किंगडम तथा/या आयरलैंड में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ एकल दीर्घकालिक कथा-रचना (fiction) के लिए दिया जाता है।
- प्रारंभ: इसे प्रथम बार 1969 में पठन और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए प्रदान किया गया।
- प्रथम बुकर पुरस्कार पी.एच. न्यूबी को उनकी रचना समथिंग टू आंसर फॉर(Something to Answer For) के लिए दिया गया था।
- बुकर पुरस्कार फाउंडेशन की एक इन-हाउस टीम होती है, जो बहुसांस्कृतिक कलाकारों, विशेषज्ञों और आलोचकों के समूह का चयन करती है।
- भारतीय विजेता: कई भारतीय लेखक तथा भारतीय मूल के लेखकों ने यह पुरस्कार जीता है। इनमें शामिल हैं:
- वी.एस. नायपॉल (1971) –इन अ फ्री स्टेट( In A Free State)
- सलमान रुश्दी (1981) –मिडनाइटस चिल्ड्रन( Midnight’s Children)
- अरुंधति रॉय (1997) – द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स(The God of Small Things)
- किरण देसाई (2006) –द इनहेरिटेंस ऑफ़ लॉस( The Inheritance of Loss)
- अरविंद अडिगा (2008) – द वाइट टाइगर(The White Tiger)
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
- यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उन सर्वश्रेष्ठ दीर्घकालिक कथा-रचनाओं या लघुकथा-संग्रहों को दिया जाता है, जिन्हें अंग्रेज़ी में अनूदित कर यूनाइटेड किंगडम (UK) या आयरलैंड में प्रकाशित किया गया हो।
- इसकी स्थापना 2005 में हुई थी।
- 2022: गीतांजलि श्री को उनके हिंदी उपन्यास टोम्ब ऑफ़ सैंड(Tomb of Sand) के लिए यह पुरस्कार मिला।
- 2025: बानू मुश्ताक और दीपा भस्थी ने हार्ट लैंप (Heart Lamp) के लिए यह पुरस्कार जीता, जो मुश्ताक की कन्नड़ लघुकथाओं का अंग्रेज़ी अनुवादित संकलन है।
Source: IE
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