भारत और वियतनाम: रक्षा संबंधों को सुदृढ़ करना

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ 

  • हाल ही में भारत और वियतनाम ने हनोई में 15वीं रक्षा नीति वार्ता आयोजित की, जिसमें पारंपरिक एवं उभरते क्षेत्रों में रक्षा सहयोग को गहरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि की।
मुख्य समझौते हस्ताक्षरित
– पारस्परिक पनडुब्बी खोज, बचाव समर्थन और सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन, जो समुद्री सुरक्षा में परिचालन समन्वय के नए चरण को दर्शाता है।
– रक्षा उद्योग सहयोग पर एक आशय पत्र, जिसका उद्देश्य रक्षा निर्माण, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान में सहयोग का विस्तार करना है।
व्यापक रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करना: दोनों देशों ने इस बात पर बल दिया कि उनकी रक्षा साझेदारी भारत और वियतनाम के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी का आधार बनी हुई है।
– उन्होंने क्षेत्रीय स्थिरता, समुद्री सुरक्षा और एक स्वतंत्र, खुला एवं नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के प्रति साझा प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।

भारत–वियतनाम संबंधों के बारे में 

  • संबंधों का विकास: भारत और वियतनाम ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक नींव पर आधारित एक दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंध साझा करते हैं, जो महात्मा गांधी और राष्ट्रपति हो ची मिन्ह के साझा आदर्शों में निहित है।
    • भारत ने 1972 में वियतनाम के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए, और यह आगे राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा, सांस्कृतिक एवं जन-से-जन सहयोग में विकसित हुआ।
    • 2016: द्विपक्षीय संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ से व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया। इसे आगे ‘शांति, समृद्धि और लोग’ के लिए संयुक्त दृष्टि द्वारा परिभाषित किया गया, जिसे वर्चुअल शिखर सम्मेलन (2020) के दौरान अपनाया गया।
    • 2022: राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई।
  • राजनीतिक आदान-प्रदान
    • वियतनामी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा (2024): इससे 2024–2028 के लिए एक कार्य योजना और दस द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार हुआ।
    • आसियान, ब्रिक्स और जी7 प्लस जैसे प्रमुख वैश्विक शिखर सम्मेलनों के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच उच्च-स्तरीय बैठकें हुईं।
    • रक्षा, न्याय और सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय आदान-प्रदान, साथ ही बहुपक्षीय मंचों पर बार-बार बातचीत ने राजनीतिक समझ को बेहतर किया।
  • संस्थागत तंत्र
    • संयुक्त आयोग बैठक (JCM), 2023: आर्थिक, व्यापार, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर 18वीं JCM हनोई में आयोजित हुई।
    • रणनीतिक संवाद और विदेश कार्यालय परामर्श, 2025: 13वां दौर नई दिल्ली में आयोजित हुआ।
    • रक्षा, समुद्री, परमाणु ऊर्जा और नीति नियोजन संवाद समय-समय पर गतिविधियों के समन्वय के लिए आयोजित किए जाते हैं।
    • संसदीय आदान-प्रदान, जैसे वियतनाम–भारत संसदीय मैत्री समूह, अंतर-संसदीय सहयोग को बढ़ावा देते हैं।

रक्षा और सुरक्षा सहयोग

  • 2030 तक रक्षा साझेदारी पर संयुक्त दृष्टि द्वारा निर्देशित, सहयोग में लॉजिस्टिक्स, प्रशिक्षण और रक्षा उत्पादन सम्मिलित हैं।
  • भारत ने 2023 में वियतनाम को स्वदेशी रूप से निर्मित मिसाइल कोरवेट आईएनएस किरपन भेंट किया।
  • नियमित स्टाफ वार्ता, संयुक्त अभ्यास और नौसैनिक यात्राएँ बेहतर रक्षा सहयोग को रेखांकित करती हैं।
  • 5वां वियतनाम–भारत द्विपक्षीय सेना अभ्यास (VINBAX-2024) और MILAN-2024 में भागीदारी परिचालन सहयोग को प्रदर्शित करती है।
  • सुरक्षा संवाद तंत्र आतंकवाद-रोधी और अंतरराष्ट्रीय अपराध रोकथाम पर केंद्रित हैं।

व्यापार और आर्थिक सहयोग

  • द्विपक्षीय व्यापार 2024–25 में 15.76 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
    • भारत के निर्यात में इंजीनियरिंग सामान, दवाएँ और कृषि उत्पाद शामिल हैं।
    • भारत के आयात में मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, कॉफी और वस्त्र शामिल हैं।
  • वियतनाम में भारतीय निवेश लगभग 2 अरब अमेरिकी डॉलर है, जिसमें 430 से अधिक सक्रिय परियोजनाएँ हैं।
    • भारत में वियतनाम का निवेश लगभग 12.69 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • तमिलनाडु में विनफास्ट का ईवी असेंबली प्लांट औद्योगिक सहयोग में एक नया अध्याय है।
  • विनामैक, विएट्रामेड और भारत ग्लोबल मोबिलिटी एक्सपो जैसे व्यापार मेलों एवं व्यावसायिक मंचों ने पारस्परिक व्यावसायिक जुड़ाव को बढ़ावा दिया।

विकास साझेदारी 

  • भारत का वियतनाम के साथ विकास सहयोग शिक्षा, क्षमता निर्माण और सामुदायिक विकास तक फैला हुआ है:
    • ITEC और ICCR कार्यक्रमों के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष 200 से अधिक वियतनामी नागरिक प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।
    • भारत ने क्यू लॉन्ग डेल्टा राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट, हाई-टेक साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला और हनोई में एडवांस्ड ICT सेंटर जैसी संस्थाओं में योगदान दिया है।
    • त्वरित प्रभाव परियोजनाएँ (QIPs), 2017 से अब तक 46 पूरी हुईं, 39 से अधिक प्रांतों में स्थानीय समुदायों को लाभ पहुँचाती हैं।
    • भारत ने माय सोन सैंक्चुअरी पुनर्स्थापन जैसे विरासत संरक्षण परियोजनाओं का समर्थन किया, जिससे सभ्यतागत संबंध मजबूत हुए।
    • ऑपरेशन सद्भाव (2024) के अंतर्गत भारत ने वियतनाम के तूफान प्रभावित क्षेत्रों को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मानवीय सहायता प्रदान की।

सांस्कृतिक, शैक्षणिक और प्रांतीय-स्तरीय आदान-प्रदान

  • हनोई में स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र (SVCC) योग, कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देता है।
  • वेसाक उत्सव (2025) में वियतनाम भर में 1.55 करोड़ श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की पूजा की।
  • शैक्षणिक सहयोग में ICWA, HCMNAP और IIPA के बीच साझेदारी शामिल है, जो नीति और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देती है।
  • सांस्कृतिक दल, युवा आदान-प्रदान और भारत–वियतनाम फिल्म महोत्सव आपसी समझ को बढ़ाते हैं।
    • सह-निर्मित फिल्म ‘लव इन वियतनाम’, दा नांग एशियन फिल्म फेस्टिवल 2025 में प्रदर्शित हुई, जो बढ़ते सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।
  • वियतनाम में भारतीय समुदाय: लगभग 8,000 भारतीय वियतनाम में रहते हैं, मुख्यतः हो ची मिन्ह सिटी और हनोई में, और आईटी, खनन, शिक्षा एवं व्यापार जैसे क्षेत्रों में योगदान करते हैं।

मुख्य चिंताएँ और संबंधित सुझाव

  • चीन की आक्रामकता: दोनों देशों को चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता है — भारत हिमालय में और वियतनाम दक्षिण चीन सागर में।
    • वियतनाम की चीन के साथ निकटता और आर्थिक संबंध सावधानीपूर्वक राजनयिक संतुलन की माँग करते हैं, जो भारत के साथ स्पष्ट रणनीतिक संरेखण को सीमित कर सकते हैं।
  • आसियान गतिशीलता: आसियान में वियतनाम की भूमिका कभी-कभी सहमति-आधारित कूटनीति की माँग करती है, जो भारत के साथ द्विपक्षीय पहलों को धीमा कर सकती है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता अंतराल: जबकि भारत और वियतनाम ने रक्षा निर्माण और प्रशिक्षण पर समझौते किए हैं, वास्तविक कार्यान्वयन प्रायः नौकरशाही देरी एवं सीमित औद्योगिक क्षमता से बाधित होता है।
    • हाल ही में पनडुब्बी खोज और बचाव पर हस्ताक्षरित MoU को लागू करने के लिए सतत निवेश एवं विश्वास निर्माण की आवश्यकता है।
  • कम द्विपक्षीय व्यापार मात्रा: बढ़ते संबंधों के बावजूद, भारत और वियतनाम के बीच व्यापार संभावित से कम है।
    • शुल्क बाधाएँ, लॉजिस्टिक अवरोध और व्यवसायों के बीच जागरूकता की कमी गहन आर्थिक एकीकरण में बाधा डालते हैं।
  • डिजिटल एवं अवसंरचना अंतराल: वियतनाम का डिजिटल परिवर्तन तीव्रता से हो रहा है, लेकिन तकनीक और नवाचार क्षेत्रों में भारत की भागीदारी दक्षिण कोरिया या जापान जैसे अन्य भागीदारों की तुलना में सीमित है।

निष्कर्ष

  • भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी आपसी सम्मान, साझा विकास और क्षेत्रीय स्थिरता के एक आदर्श के रूप में प्रगति कर रही है। ‘शांति, समृद्धि और जनता’ के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, दोनों देश राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
    • भारत और वियतनाम, साझा हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण एवं सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों के साथ, इस क्षेत्र के लिए एक सुरक्षित, सतत और समावेशी भविष्य को आकार देने में दृढ़ साझेदार के रूप में खड़े हैं।

Source: TH

 

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