प्रधानमंत्री की भूटान यात्रा

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रसंग 

  •  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया भूटान यात्रा ने दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग के विशेष संबंधों को बेहतर किया।

मुख्य परिणाम

  • 1020 मेगावाट पुनात्सांगचू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते के अंतर्गत निर्मित हुई।
  • घोषणाएँ :
    • 1200 मेगावाट पुनात्सांगचू-I जलविद्युत परियोजना के मुख्य बांध संरचना पर कार्य पुनः आरंभ करने पर सहमति।
    • वाराणसी में भूटानी मंदिर/मठ और अतिथि गृह के निर्माण हेतु भूमि का अनुदान।
    • गैलेफू के पार हाटिसार में एक आव्रजन चौकी स्थापित करने का निर्णय।
    • भूटान को 4000 करोड़ रुपये की ऋण सीमा (Line of Credit)।
  • हस्ताक्षरित समझौते (MOUs Signed):
    • नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता।
    • स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता।
    • भूटान के PEMA सचिवालय और भारत के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) के बीच संस्थागत संबंध स्थापित करने पर समझौता।

भारत-भूटान संबंधों पर संक्षिप्त परिचय

  • भारत और भूटान के बीच राजनयिक संबंध 1968 में स्थापित हुए।
    • भारत-भूटान संबंधों का मूल ढांचा 1949 में हस्ताक्षरित मित्रता और सहयोग संधि रहा है।
    • 2007 में संधि का संशोधन किया गया, जिससे भूटान को अधिक स्वायत्तता मिली, साथ ही संप्रभुता के प्रति परस्पर सम्मान और घनिष्ठ सहयोग की पुनः पुष्टि हुई।
    • 2024 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भूटान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ द द्रुक ग्यालपो” प्रदान किया गया, यह सम्मान पाने वाले प्रथम विदेशी नेता बने।
  • विकासात्मक साझेदारी :
    • भारत भूटान का प्रमुख विकास सहयोगी है, जिसने 1971 से उसके प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का समर्थन किया है।
    • वार्षिक योजना वार्ता (द्विपक्षीय विकास सहयोग वार्ता): प्राथमिकताओं और सहायता की रूपरेखा तय करने का संस्थागत तंत्र।
    • शामिल क्षेत्र: सड़कें, अवसंरचना, डिजिटल कनेक्टिविटी, जलविद्युत, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, मानव संसाधन विकास, शहरी विकास आदि।
  • व्यापारिक संबंध :
    • भारत निरंतर भूटान का शीर्ष व्यापारिक साझेदार रहा है—आयात स्रोत और निर्यात गंतव्य दोनों रूपों में।
    • 2014 से भारत-भूटान व्यापार तीन गुना से अधिक बढ़ा है—2014–15 में 484 मिलियन अमेरिकी डॉलर से 2024–25 में 1,777.44 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक, जो भूटान के कुल व्यापार का 80% से अधिक है।
    • 2016 भारत-भूटान व्यापार, वाणिज्य और पारगमन समझौता दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित करता है तथा भूटान को तृतीय देशों से/को वस्तुओं के शुल्क-मुक्त पारगमन की सुविधा देता है।
  • ऊर्जा सहयोग (जलविद्युत और नवीकरणीय):
    • भारत ने भूटान में 4 प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएँ बनाई हैं: चुखा (336 मेगावाट), कुरिचू (60 मेगावाट), ताला (1020 मेगावाट), मंगदेचू (720 मेगावाट)।
    • वर्तमान में दो परियोजनाएँ निर्माणाधीन हैं: 1020 मेगावाट पुनात्सांगचू-I और 1020 मेगावाट पुनात्सांगचू-II।
  • अंतरिक्ष सहयोग :
    • 2019 में दोनों देशों द्वारा दक्षिण एशिया उपग्रह ग्राउंड स्टेशन का उद्घाटन।
    • 2022 में भारत-भूटान SAT, प्रथम संयुक्त रूप से विकसित उपग्रह, प्रक्षेपित किया गया।
    • 2024 में अंतरिक्ष सहयोग पर संयुक्त कार्य योजना पर हस्ताक्षर।
  • फिन-टेक :
    • रुपे कार्ड: दो चरणों (2019 और 2020) में लॉन्च, पूर्ण इंटरऑपरेबिलिटी हेतु।
    • 2021 में भारत का BHIM एप्लिकेशन भूटान में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच नकदरहित भुगतान को बढ़ावा देना है।
  • भारतीय प्रवासी :
    • लगभग 50,000 भारतीय वर्तमान में भूटान में कार्यरत हैं, मुख्यतः अवसंरचना विकास, जलविद्युत, शिक्षा, व्यापार और वाणिज्य क्षेत्रों में, जो दोनों देशों के बीच घनिष्ठ जन-से-जन संबंधों को दर्शाता है।

भारत के लिए भूटान का महत्व 

  • चीन के विरुद्ध बफर: भूटान भारत और चीन के बीच भौगोलिक बफर का कार्य करता है। इसका स्थान भारत के संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) की रक्षा करता है—जो पूर्वोत्तर भारत का एकमात्र स्थलीय संपर्क है।
    • चीन के भूटान से औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन वह सीमा मुद्दे पर सक्रिय रूप से वार्ता कर रहा है।
    • भारत भूटान को दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने और चीन की रणनीतिक घुसपैठ को रोकने के लिए महत्वपूर्ण मानता है, विशेषकर त्रि-जंक्शन क्षेत्र में।
  • पड़ोस प्रथम नीति: भूटान भारत की ‘पडोसी प्रथम’ नीति का केंद्रीय स्तंभ है।
    • भूटान में स्थिरता भारत की व्यापक दृष्टि को दर्शाती है, जो दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग के लिए है।
    • भूटान भारत की पूर्वोत्तर भारत से जुड़ाव को बढ़ाने में भूमिका निभाता है।
      • भारत की ‘एक्ट ईस्ट पाॅलिसी’ का उद्देश्य पूर्वोत्तर को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ना है, और भूटान ऐसे स्थलीय संपर्क गलियारों में महत्वपूर्ण है।
  • जलविद्युत और ऊर्जा सुरक्षा: भूटान की नदियाँ स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत हैं। भारत जलविद्युत परियोजनाएँ बनाने में सहायता करता है और अधिशेष विद्युत आयात करता है।
    • यह भारत को ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने में सहायता करता है और भूटान को प्रमुख राजस्व प्रदान करता है।
  • व्यापार और आर्थिक संबंध: भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और निवेश का स्रोत है।
    • विशेष भारत–भूटान व्यापार और पारगमन समझौता शुल्क-मुक्त बाजार पहुँच प्रदान करता है।
    • भूटान दक्षिण एशिया में उप-क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों में महत्वपूर्ण है, विशेषकर BBIN (बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल)।
  • राजनयिक और बहुपक्षीय समर्थन: भूटान प्रायः अंतरराष्ट्रीय मंचों, जैसे संयुक्त राष्ट्र में, भारत की स्थिति का समर्थन करता है।
    • भूटान की शांतिपूर्ण विदेश नीति और गुटनिरपेक्षता भारत की क्षेत्रीय कूटनीति के अनुरूप है।

संबंधों में चुनौतियाँ 

  • आर्थिक असंतुलन: भूटान भारत से कहीं अधिक आयात करता है, जिससे बड़ा व्यापार घाटा होता है।
    • वरीयता प्राप्त व्यापार समझौतों के बावजूद, भूटानी उद्योग विविधीकरण में संघर्ष कर रहे हैं।
  • चीन कारक और सीमा वार्ता: भूटान और चीन ने सीमा वार्ता के 24 दौर किए हैं, जिनमें 2021 का “तीन-चरणीय रोडमैप” MoU भी शामिल है।
    • भारत संभावित चीन–भूटान सीमा समझौते को लेकर चिंतित है, विशेषकर डोकलाम क्षेत्र में, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
  • कनेक्टिविटी की कमी: सीमित सड़क एवं रेल संपर्क आर्थिक और रणनीतिक एकीकरण को बाधित करते हैं।
    • पर्यावरणीय और सांस्कृतिक चिंताओं के कारण भूटान BBIN मोटर वाहन समझौते में शामिल होने से हिचकता है।
  • पर्यावरण और स्थिरता संबंधी चिंताएँ: भूटान का सकल राष्ट्रीय खुशी और पर्यावरण संरक्षण का मॉडल कभी-कभी भारत के अवसंरचना-आधारित दृष्टिकोण से टकराता है।
  • रणनीतिक संतुलन और स्वायत्तता: भूटान विदेश नीति में, विशेष रूप से वैश्विक मंचों पर, अधिक स्वायत्तता चाहता है।
    • हालाँकि 2007 की संधि संशोधन ने भूटान को अधिक स्वतंत्रता प्रदान की, फिर भी भारत उसके विदेश मामलों और रक्षा में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, जिसे यदि संवेदनशीलता से प्रबंधित नहीं किया गया तो टकराव उत्पन्न हो सकता है।

आगे की राह

  • यद्यपि भारत और भूटान विश्वास एवं सहयोग की एक सुदृढ़ नींव साझा करते हैं, फिर भी दोनों देशों में उभरती आर्थिक आकांक्षाएँ, भू-राजनीतिक वास्तविकताएँ और घरेलू राजनीतिक परिवर्तन चुनौतियाँ प्रस्तुत करते हैं।
    • इन्हें पारस्परिक सम्मान, पारदर्शिता और रणनीतिक संवेदनशीलता के साथ प्रबंधित करना उनके विशेष संबंधों को बनाए रखने की कुंजी है।
  • भारत-भूटान संबंध पारस्परिक विश्वास और लाभ पर आधारित अच्छे-पड़ोसी साझेदारी का एक आदर्श उदाहरण हैं।

Source: TH

 

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