भारत में बार-बार होने वाली रेल त्रासदियाँ

पाठ्यक्रम: GS2/ शासन, GS3/बुनियादी ढांचा

संदर्भ 

  • भारत ने हाल ही में तकनीकी विफलताओं और मानवीय त्रुटियों के कारण ट्रेन दुर्घटनाओं की चिंताजनक पुनरावृत्ति देखी है।

दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण क्या हैं?

  • सुरक्षा-आवश्यक भूमिकाओं में स्टाफ की कमी: संचालन और रखरखाव में सीधे संलग्न 10 लाख पदों में से, सुरक्षा/संचालन पदों पर 1.5 लाख से अधिक रिक्तियाँ हैं।
  • बुनियादी ढाँचे की बाधाएँ: ट्रैक नवीनीकरण में देरी, पुरानी सिग्नलिंग प्रणाली, और रखरखाव व निर्माण कार्यों के दौरान सिग्नल व संचार केबलों को बार-बार होने वाली क्षति जैसी चिंताएँ बनी रहती हैं — जिनके बारे में रेलवे बोर्ड ने चेतावनी दी है कि इनके “विनाशकारी परिणाम” हो सकते हैं।
  • अपर्याप्त सुरक्षा प्रणाली: धीमी तैनाती के कारण अधिकांश मार्ग अभी भी कवच (KAVACH) से वंचित हैं, जिससे वे मानवीय त्रुटि या सिग्नलिंग विफलताओं के प्रति संवेदनशील बने रहते हैं।
  • मानवीय त्रुटि: यह एक प्रमुख कारण बनी हुई है, जैसे सिग्नल सेटिंग में त्रुटियाँ, पॉइंट स्विचिंग, ट्रेन नियंत्रण, लंबे समय तक कार्य करने से थकान।
  • संसाधन आवंटन असंतुलन: सुरक्षा उन्नयन के लिए राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK) स्थापित किया गया था, लेकिन इसका उपयोग असमान रहा है।
  • संगठनात्मक और जवाबदेही की कमी: ज़ोन, डिवीज़न और विभागों के बीच जिम्मेदारी की खंडित श्रृंखला। दुर्घटना के बाद की जाँच अक्सर कर्मचारियों के निलंबन पर समाप्त होती है, लेकिन संरचनात्मक सुधार नहीं होते।

प्रभाव

  • आर्थिक प्रभाव: ट्रेन दुर्घटनाएँ सीधे जीवन की हानि, बुनियादी ढाँचे को हानि, मुआवज़े का भार और सेवा बाधित करती हैं।
  • जन विश्वास: बार-बार होने वाली दुर्घटनाएँ सार्वजनिक परिवहन की सुरक्षा पर विश्वास को कम करती हैं।
  • शासन की विश्वसनीयता: कमजोर निगरानी, नौकरशाही जड़ता और प्रतिक्रियात्मक प्रशासन को दर्शाती है, न कि निवारक।
  • प्रौद्योगिकी में पिछड़ापन: वैश्विक मानकों (जैसे यूरोप का ETCS या जापान का शिंकानसेन) की तुलना में भारत की सुरक्षा तकनीक अपनाने की धीमी गति को उजागर करता है।

संबंधित सरकारी उपाय और पहलें

  • कवच (KAVACH): एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली जो टकराव रोकने के लिए ट्रेनों को स्वतः रोक देती है।
  • आधुनिक ट्रेनों का परिचय: यात्री अनुभव को बढ़ाने और आरामदायक यात्रा प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक वंदे भारत ट्रेनें, अमृत भारत ट्रेनें एवं नामो भारत रैपिड रेल भारतीय रेल पर शुरू की गई हैं।
  • लेवल क्रॉसिंग का उन्मूलन: ट्रेन संचालन और सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा में सुधार के लिए ब्रॉड गेज पर सभी बिना मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग समाप्त कर दिए गए हैं।
  • अमृत भारत स्टेशन योजना: यह भारतीय रेल द्वारा अपने बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण करने का एक संगठित प्रयास है ताकि लाखों यात्रियों के यात्रा अनुभव को ऊँचा किया जा सके।
  • राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK): ₹1 लाख करोड़ का कोष (2017–2022) सुरक्षा-संबंधी कार्यों — ट्रैक नवीनीकरण, पुल पुनर्वास, सिग्नलिंग उन्नयन आदि — के लिए।

आगे की राह

  • भविष्य की दुर्घटनाओं से बचने के लिए रेलवे को कवच प्रणाली के कार्यान्वयन में तीव्रता लाने की आवश्यकता है, साथ ही ट्रैक का नियमित रखरखाव भी करना होगा।
  • अपनी लोकोमोटिव्स में ब्लैक-बॉक्स प्रकार के उपकरणों की स्थापना को शीघ्रता से पूरा करने की भी तत्काल आवश्यकता है, ताकि ट्रेन के चालक दल के सदस्य की आवाज़ और वीडियो रिकॉर्डिंग सक्षम हो सके।
क्या आप जानते हैं?
– भारतीय रेल, जिसे प्रायः ‘भारत की जीवनरेखा’ कहा जाता है, विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जो लगभग 1,15,000 किलोमीटर में फैला हुआ है।
– भारतीय रेल विश्व का आठवाँ सबसे बड़ा वाणिज्यिक नियोक्ता है, जिसमें 12 लाख से अधिक कर्मचारी हैं।
– नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) दुर्घटनाओं की जाँच करते हैं, लेकिन उनकी रिपोर्टें मुख्यतः अनुशंसात्मक होती हैं, बाध्यकारी नहीं।

Source: TH

 

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