भारत की आयनी एयरबेस से वापसी

पाठ्यक्रम: GS1/स्थान /GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

समाचार में 

  • भारत ने ताजिकिस्तान में स्थित आयनी एयरबेस पर अपने संचालन को बंद कर दिया है। यह एक प्रमुख विदेशी सुविधा थी, जिसने मध्य एशिया में भारत को रणनीतिक प्रभाव प्रदान किया था।

आयनी एयरबेस 

  • यह एयरबेस मूल रूप से सोवियत युग के दौरान बनाया गया था, लेकिन सोवियत संघ के विघटन के पश्चात यह खराब स्थिति में था।
    • भारत ने 2002 से लगभग 80 मिलियन डॉलर का निवेश करके इसे उन्नत किया, जिसमें 3,200 मीटर लंबा रनवे, हैंगर, ईंधन डिपो और एयर ट्रैफिक कंट्रोल शामिल थे। 
आयनी एयरबेस 
  • इसका अधिकांश कार्य सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा किया गया। 
  • यह ताजिकिस्तान में स्थित है और अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से लगभग 20 किमी दूर है, जो पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) एवं चीन के शिनजियांग प्रांत से सीमा साझा करता है।

महत्व 

  • आयनी भारत का एकमात्र पूर्ण विकसित विदेशी बेस था, और इसका स्थान भारत को मध्य एशिया में सैन्य उपस्थिति और पाकिस्तान पर दबाव बनाने का अवसर देता था।
    • इसने 2021 में तालिबान की वापसी के बाद निकासी अभियानों को भी सुगम बनाया। 
  • यह एक रणनीतिक भारतीय सैन्य चौकी के रूप में कार्य करता था और प्रारंभ में तालिबान के विरुद्ध उत्तरी गठबंधन को भारत के समर्थन के दौरान उपयोग किया गया था।
    • अपने चरम पर, यहां लगभग 200 भारतीय कर्मी और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान तैनात थे। 
  • इसकी उपस्थिति ने रूस और चीन जैसी महाशक्तियों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र में भारत के प्रभाव को प्रदर्शित किया।

हालिया वापसी के पीछे कारण 

  • भारत ने 2022 में ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस से वापसी कर ली, जब इस सुविधा के पुनर्वास और विकास के लिए द्विपक्षीय समझौता समाप्त हो गया। 
  • रिपोर्टों के अनुसार, ताजिक सरकार ने रूस और चीन के दबाव के कारण लीज़ को नवीनीकृत करने से मना कर दिया। 
  • यह गोपनीय तरीके से की गई और हाल ही में सामने आई। 
  • इसकी हानि भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक प्रभाव और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति के लिए एक आघात माना जा रहा है, विशेषकर विगत दो दशकों में किए गए बड़े निवेश को देखते हुए।
क्या आप जानते हैं? 
– भारत वर्तमान में कोई भी कार्यशील विदेशी सैन्य बेस संचालित नहीं करता। 
– हालांकि, 2024 में इसने मॉरीशस के अगालेगा द्वीपों पर एक रणनीतिक हवाई पट्टी और जेट्टी का उद्घाटन किया, जिससे पश्चिमी हिंद महासागर में इसकी समुद्री पहुंच एवं अफ्रीका के पूर्वी तट पर निगरानी क्षमता बढ़ी। 
– भारत भूटान में रॉयल भूटान आर्मी और बॉडीगार्ड के लिए एक सैन्य प्रशिक्षण दल भी बनाए रखता है। 
– भारत ने 1971 के युद्ध और IPKF मिशन के दौरान अस्थायी रूप से बांग्लादेश एवं श्रीलंका से भी संचालन किया था। 
– इसके विपरीत, चीन का जिबूती में एक आधिकारिक बेस है और वह ताजिकिस्तान में एक और बेस बना रहा है, जबकि अमेरिका के पास विश्वभर में 100 से अधिक विदेशी बेस हैं, जिनमें दक्षिण कोरिया, क़तर, जर्मनी और जापान में प्रमुख ठिकाने शामिल हैं।

Source :IE

 

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