पाठ्यक्रम: GS3/कृषि/कृत्रिम बुद्धिमत्ता
संदर्भ
- विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने उद्योग और अकादमिक जगत के हितधारकों के सहयोग से एक नई अंतर्दृष्टि रिपोर्ट ‘कृषि में डीप-टेक क्रांति को आकार देना’ जारी की है।
परिचय
- रिपोर्ट ने सात डीप-टेक क्षेत्रों की पहचान की है जिनमें कृषि परिवर्तन को आगे बढ़ाने की क्षमता है:
- जनरेटिव एआई (Generative AI): बड़े भाषा मॉडल और भविष्यवाणी विश्लेषण का उपयोग कीट, उत्पादन और श्रम अनुकूलन के लिए।
- कंप्यूटर विज़न (Computer Vision): वास्तविक समय की छवि/वीडियो डेटा का उपयोग फसलों की निगरानी, रोग/दोष पहचान एवं उत्पाद छंटाई के लिए।
- एज इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): खेतों पर सेंसर/उपकरण जो स्थानीय स्तर पर डेटा संसाधित करते हैं, विशेषकर सिंचाई, उर्वरक और कीट नियंत्रण के लिए दूरस्थ/कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में।
- उपग्रह-सक्षम रिमोट सेंसिंग (Satellite-enabled Remote Sensing): पृथ्वी अवलोकन का उपयोग मृदा स्वास्थ्य, नमी, फसल स्थिति और आपूर्ति श्रृंखला जोखिमों के लिए।
- रोबोटिक्स (ड्रोन/स्वायत्त प्रणालियाँ): श्रम-गहन कार्य जैसे रोपाई, निराई, कटाई का स्वचालन; स्वार्म रोबोटिक्स आदि।
- CRISPR / जीन संपादन (Gene Editing): जलवायु-लचीली, कीट/रोग-प्रतिरोधी फसल किस्मों का विकास पारंपरिक प्रजनन से तेज़ी से।
- नैनोप्रौद्योगिकी (Nanotechnology): इनपुट्स (उर्वरक, कीटनाशक) का सटीक अनुप्रयोग, दक्षता में सुधार, अपशिष्ट और पर्यावरणीय प्रभाव में कमी।
- चिंताएँ : ग्रामीण से शहरी प्रवासन में वृद्धि, जलवायु चरम स्थितियों की तीव्रता, और प्राकृतिक संसाधनों (विशेषकर मृदा और जल) का तीव्रता से क्षरण सामूहिक रूप से उत्पादकता को खतरे में डाल रहे हैं और कृषि पर निर्भर आजीविकाओं को असुरक्षित बना रहे हैं।
- भारत से केस स्टडी :भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा CRISPR तकनीक से विकसित धान की एक किस्म, जो सूखा/लवणता सहनशील है, अधिक उत्पादन देती है और उत्सर्जन कम करती है।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में रिमोट सेंसिंग + ड्रोन + मोबाइल ऐप्स का उपयोग, जिससे हानि का आकलन तीव्र और पारदर्शी हुआ।
| कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता पहल – यह रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच की कृषि पहल के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI4AI) द्वारा जारी की गई है। – 2021 में स्थापित, AI4AI विभिन्न क्षेत्रों में हितधारकों को उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने में सहायता कर रहा है ताकि कृषि अधिक समावेशी, सतत और कुशल बन सके। |
भारत सरकार की पहलें
- भारत में कृषि का डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र (IDEA): यह एक ढाँचा है जो किसानों के संघीय डेटाबेस की संरचना तैयार करता है, जिससे उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए नवोन्मेषी समाधान संभव हो सकें।
- कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP-A): राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को आधुनिक तकनीकों जैसे AI, ML, रोबोटिक्स, ड्रोन, डेटा एनालिटिक्स और ब्लॉकचेन आधारित परियोजनाओं के लिए धन आवंटित किया जाता है।
- राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM): एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल जो APMC मंडियों को जोड़ता है, जिससे कृषि उत्पादों के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनता है और किसानों, व्यापारियों व मंडियों को डिजिटल सेवाएँ मिलती हैं।
- ICAR द्वारा मोबाइल ऐप्स: ICAR, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा विकसित 100 से अधिक मोबाइल ऐप्स किसानों को फसल, बागवानी, पशु चिकित्सा, डेयरी, पोल्ट्री, मत्स्य और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर उपयोगी जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
- मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड योजना : इसका उद्देश्य मृदा की पोषक स्थिति का आकलन करना और किसानों को पोषक तत्व प्रबंधन के लिए अनुकूलित सिफारिशें प्रदान करना है।
- ‘किसान ई-मित्र’: एक वॉयस-आधारित एआई चैटबॉट, जो किसानों को PM किसान सम्मान निधि योजना से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता करता है।
- राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली : जलवायु परिवर्तन के कारण फसल हानि से निपटने के लिए AI और ML का उपयोग कर कीट संक्रमण का पता लगाती है तथा समय पर हस्तक्षेप सुनिश्चित करती है।
- नमो ड्रोन दीदी (Namo Drone Didi): यह एक केंद्रीय क्षेत्र योजना है (2023-24 से 2025-26 तक) जिसका उद्देश्य कृषि में उन्नत तकनीक को बढ़ावा देना है ताकि दक्षता बढ़े, फसल उत्पादन सुधरे और संचालन लागत कम हो।
- सटीक कृषि को प्रोत्साहन: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) जैसी पहलें ड्रिप सिंचाई और फर्टिगेशन जैसी तकनीकों को बढ़ावा देती हैं, जिससे उर्वरकों (जैसे यूरिया) का अधिक कुशल उपयोग होता है तथा पोषक तत्व सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचते हैं।
निष्कर्ष
- वैश्विक कृषि एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है: चुनौतियों में जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों (मृदा, जल) का क्षरण, वृद्ध और घटती किसान जनसंख्या, तथा बढ़ती खाद्य मांग शामिल हैं।
- पारंपरिक तरीकों से अकेले बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराना और स्थिरता बनाए रखना संभव नहीं होगा।
- रिपोर्ट का तर्क है कि कृषि में डीप-टेक का उपयोग भविष्य की कृषि प्रणालियों को सुरक्षित बना सकता है: उत्पादकता बढ़ा सकता है, लचीलापन विकसित कर सकता है और स्थिरता में सुधार कर सकता है।
Source: BL
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संक्षिप्त समाचार 10-11-2025