पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे; GS4/एथिक्स
संदर्भ
- हाल ही में यूके, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) द्वारा निर्मित रेबीज़ वैक्सीन अभयरैब (Abhayrab) की नकली खेप को लेकर परामर्श जारी किया है।
अभयरैब नकली विवाद के बारे में
- अभयरैब एक सेल-कल्चर रेबीज़ वैक्सीन है जिसे IIL द्वारा निर्मित किया जाता है और 2000 से भारत तथा 40 से अधिक देशों में उपयोग किया जा रहा है।
- यह भारत के मानव रेबीज़ वैक्सीन बाजार का लगभग 40% भाग रखता है और सरकारी कार्यक्रमों, निजी अस्पतालों तथा यात्रियों के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- IIL ने जनवरी 2025 में एक नकली खेप का पता लगाया जिसमें पैकेजिंग में परिवर्तन किया गया था।
- बाद में कंपनी ने बताया कि यह खेप आंतरिक रूप से पहचानी गई, जिसके बाद नियामक और प्रवर्तन एजेंसियों को सूचित किया गया तथा यह उत्पाद अब बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है।
रेबीज़ और इसके जोखिम को समझना
- रेबीज़ एक वायरल संक्रमण है जो संक्रमित जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, चमगादड़ और बंदरों की लार से फैलता है।
- यह सामान्यतः काटने, खरोंचने या लार के खुले घावों में प्रवेश करने से फैलता है।
- लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और मतली; भ्रम एवं जल का भय (हाइड्रोफोबिया) शामिल हो सकते हैं।
- संभावित संपर्क के तुरंत बाद दी जाने वाली पोस्ट-एक्सपोज़र वैक्सीन संक्रमण को रोकने का सबसे विश्वसनीय तरीका है।
- भारत के राष्ट्रीय रेबीज़ नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार, 2012 से 2022 के बीच 6,644 संदिग्ध मानव रेबीज़ मामले और मौतें दर्ज की गईं।
- हालाँकि, WHO का अनुमान कहीं अधिक है — लगभग 18,000–20,000 मृत्युएँ प्रति वर्ष, जिनमें से दो-तिहाई पीड़ितों की आयु 15 वर्ष से कम होती है।
- भारत अकेले वैश्विक रेबीज़ मृत्युओं का 36% हिस्सा रखता है।
- हालाँकि, WHO का अनुमान कहीं अधिक है — लगभग 18,000–20,000 मृत्युएँ प्रति वर्ष, जिनमें से दो-तिहाई पीड़ितों की आयु 15 वर्ष से कम होती है।
- रेबीज़ की समस्या विशेष रूप से गंभीर है क्योंकि लक्षण प्रकट होने के बाद यह लगभग 100% घातक होता है।
अभयरैब विवाद के नैतिक दृष्टिकोण
- सार्वजनिक स्वास्थ्य नैतिकता: नकली वैक्सीन सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण से हानि न पहुँचाने (non-maleficence) के सिद्धांत का उल्लंघन है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों का नैतिक कर्तव्य है कि वे सभी वैक्सीन की सुरक्षा, प्रभावकारिता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करें।
- नकली वैक्सीन का वितरण सार्वजनिक विश्वास को तोड़ता है और भविष्य के टीकाकरण अभियानों को कमजोर करता है।
- चिकित्सा में व्यावसायिक नैतिकता: वे चिकित्सक जिन्होंने वैक्सीन की प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना इसे लगाया, समझौता किए गए नैतिक परिस्थिति में कार्यरत थे।
- हालाँकि, कई डॉक्टर स्वयं पीड़ित थे क्योंकि वे राज्य द्वारा आपूर्ति की गई वैक्सीन पर निर्भर थे — यह संस्थागत नैतिकता की विफलता थी, व्यक्तिगत लापरवाही नहीं।
- कॉर्पोरेट और विनिर्माण नैतिकता: फार्मास्यूटिकल आपूर्तिकर्ताओं और मध्यस्थों ने बैच नंबर एवं समाप्ति तिथि को गलत सिद्ध किया, जिससे व्यापार नैतिकता एवं ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के अंतर्गत कानूनी दायित्वों का उल्लंघन हुआ।
- नैतिक रूप से यह जानबूझकर किया गया धोखा है, जो लाभ के लिए जीवन को जोखिम में डालता है।
- नियामक नैतिकता:सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) और राज्य औषधि नियामकों ने उचित परिश्रम का पालन नहीं किया।
- यह निगरानी में नैतिक चूक को उजागर करता है, जो शासन में नैतिक लापरवाही को दर्शाता है — यह 2013 के रैनबैक्सी डेटा फाल्सिफिकेशन केस के समान है।
| नैतिक ढाँचा | नकली वैक्सीन मामले में आवेदन | मुख्य नैतिक विफलता |
| उपयोगिता | हानि (मृत्युएँ, अविश्वास) किसी भी आर्थिक लाभ से अधिक है। | सामूहिक कल्याण का उल्लंघन। |
| कर्तव्यनिष्ठ नैतिकता | अधिकारियों की यह ज़िम्मेदारी थी कि वे प्रामाणिकता सुनिश्चित करें; कार्रवाई करने में विफलता कर्तव्य-आधारित नैतिकता का उल्लंघन है। | नैतिक कर्तव्य का उल्लंघन। |
| सदाचार नैतिकता | सप्लायर/रेगुलेटर के बीच ईमानदारी और जवाबदेही की कमी। | नैतिक चरित्र का अभाव। |
| न्याय सिद्धांत (रॉल्स) | ग्रामीण गरीबों पर असमान भार निष्पक्षता का उल्लंघन करता है। | वितरणात्मक अन्याय। |
व्यापक निहितार्थ
- विश्वास का क्षरण: समुदाय भविष्य के टीकाकरण अभियानों (जैसे रेबीज़, पोलियो, COVID-19 बूस्टर) का विरोध कर सकते हैं।
- प्रणालीगत सुधार की आवश्यकता: AIIMS और ICMR के विशेषज्ञों ने सभी वैक्सीन खेपों के लिए ब्लॉकचेन-आधारित ट्रेसबिलिटी और थर्ड-पार्टी ऑडिट की मांग की है।
- नैतिक जिम्मेदारी: नैतिक जवाबदेही केवल दंड तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि संस्थागत सुधार और सार्वजनिक विश्वास की पुनर्स्थापना तक विस्तारित होनी चाहिए।
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