पाठ्यक्रम: GS3/अन्तरिक्ष
संदर्भ
- अंतरिक्ष विभाग की वर्षांत समीक्षा दर्शाती है कि यह वर्ष केवल प्रक्षेपणों पर केंद्रित नहीं रहा, बल्कि मानव अंतरिक्ष उड़ान, भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन और प्रतिस्पर्धी वाणिज्यिक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक जटिल क्षमताओं में महारत प्राप्त करने पर भी ध्यान केंद्रित रहा।
मुख्य उपलब्धियाँ
- डॉकिंग, जीवविज्ञान और कक्षा में प्रयोग: SPADEX (अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग) मिशन, PSLV-C60 पर प्रक्षेपित किया गया। दो अंतरिक्ष यान ने सफलतापूर्वक कक्षा में डॉकिंग और अनडॉकिंग की, जो भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशनों और मानव मिशनों के लिए आवश्यक है।
- CROPS-1, भारत का प्रारंभिक अंतरिक्ष जीवविज्ञान प्रयोग, POEM-4 प्लेटफ़ॉर्म पर किया गया। लोबिया (Cowpea) के बीज अंकुरित हुए और सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में दो-पत्ती अवस्था तक बढ़े, जिससे लंबे समय तक मानव मिशनों के लिए पौधों की वृद्धि प्रणाली पर प्रारंभिक अंतर्दृष्टि मिली।
- POEM-4 ने स्वयं 1,000 परिक्रमाएँ पूरी कीं और ISRO तथा निजी संस्थाओं के 24 पेलोड्स को होस्ट किया।
- सौर विज्ञान और पृथ्वी अवलोकन: ISRO ने Aditya-L1, भारत के सौर वेधशाला, जो सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु पर स्थित है, से पूर्व वैज्ञानिक डेटासेट जारी किए।
- यह डेटा वैश्विक स्तर पर साझा किया गया तथा सूर्य के प्रकाशमंडल, वर्णमंडल एवं कोरोना पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिससे सौर और अंतरिक्ष मौसम अनुसंधान में भारत की प्रोफ़ाइल मजबूत हुई।
- वर्ष के अंत में ISRO-NASA संयुक्त उपग्रह NISAR का प्रक्षेपण भारत की वैश्विक पृथ्वी निगरानी भूमिका को और ऊँचा ले गया।
- प्रक्षेपण अवसंरचना और प्रणोदन प्रगति: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने श्रीहरिकोटा में तीसरे प्रक्षेपण स्थल को स्वीकृति दी, जिसका उद्देश्य आगामी पीढ़ी के प्रक्षेपण यान और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों का समर्थन करना है।
- ISRO ने श्रीहरिकोटा से अपना 100वाँ प्रक्षेपण GSLV-F15 के साथ किया और प्रणोदन में भी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त कीं।
- मानव अंतरिक्ष उड़ान में प्रगति: ISRO ने गगनयान क्रू मॉड्यूल पैराशूट प्रणाली का पहला एकीकृत एयर ड्रॉप परीक्षण किया, जो एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपलब्धि है।
- भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom-04 मिशन के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा की और 18 दिन कक्षा में रहकर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण प्रयोग किए।
- इसके साथ ही अंतरिक्ष चिकित्सा पहलें, लद्दाख की त्सो कर घाटी में एनालॉग मिशन, और श्री चित्रा तिरुनाल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज़ एंड टेक्नोलॉजी (SCTIMST) के साथ नया ढाँचा समझौता हुआ ताकि अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य और जैव-चिकित्सा प्रणालियों में अनुसंधान को गहरा किया जा सके।
- स्वदेशी तकनीक और उद्योग भागीदारी: भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति की और SCL चंडीगढ़ द्वारा विकसित अपने प्रथम पूर्णतः स्वदेशी 32-बिट अंतरिक्ष-ग्रेड माइक्रोप्रोसेसर—VIKRAM3201 और KALPANA3201—की आपूर्ति की।
- ISRO ने छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) के व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे उद्योग-नेतृत्व वाले प्रक्षेपणों का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी और बढ़ी, जब एक स्टार्टअप द्वारा विकसित KALAM-1200 ठोस रॉकेट मोटर का सफल स्थिर परीक्षण किया गया।
- वैश्विक सहभागिता और भविष्य दृष्टि: भारत ने अंतरिक्ष और प्रमुख आपदाओं पर अंतर्राष्ट्रीय चार्टर में नेतृत्व की भूमिका निभाई तथा वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन(GLEX) 2025 की मेजबानी की।
- आंतरिक रूप से, अंतरिक्ष विभाग ने चिंतन शिविर 2025 आयोजित किया ताकि स्पेस विजन 2047 को लागू करने की रणनीतियों को परिष्कृत किया जा सके, जिसमें अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति का विस्तार, सुदृढ़ वाणिज्यिक भागीदारी और उन्नत वैज्ञानिक मिशनों की परिकल्पना की गई है।
- डॉकिंग प्रयोगों और अंतरिक्ष जीवविज्ञान से लेकर मानव अंतरिक्ष उड़ान और वैश्विक सहयोग तक, 2025 ने भारत के एक प्रक्षेपण-सक्षम राष्ट्र से एक व्यापक अंतरिक्ष शक्ति में परिवर्तन को रेखांकित किया—जो आने वाले दशकों में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की नींव रखता है।
निष्कर्ष
- भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम 2025 में एक निर्णायक चरण पर पहुँचा, जिसमें प्रमुख तकनीकी प्रदर्शन, गहरे वैश्विक साझेदारी और स्पेस विजन 2047 के अंतर्गत दीर्घकालिक लक्ष्यों की ओर स्पष्ट प्रगति शामिल रही।
Source: DD
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