भारत खुले और नियम-आधारित महासागरों के विचार के लिए प्रतिबद्ध है

पाठ्यक्रम: GS3/आंतरिक सुरक्षा

संदर्भ

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत महासागरों को “खुले, स्थिर और नियम-आधारित” बनाए रखने के विचार के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने समुद्री क्षेत्र के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र के रणनीतिक और महत्वपूर्ण महत्व की ओर ध्यान आकर्षित किया।

परिचय

  • हिंद महासागर क्षेत्र वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और व्यापार का मार्ग है। इसके केंद्र में स्थित होने के कारण भारत की विशेष जिम्मेदारी है। 
  • समुद्री मार्गों की सुरक्षा, समुद्री संसाधनों की रक्षा, अवैध गतिविधियों की रोकथाम और समुद्री अनुसंधान को समर्थन देकर नौसेना सुरक्षित, समृद्ध एवं सतत महासागरों की दृष्टि को सुदृढ़ करती है। 
  • राष्ट्रपति ने कहा कि सशस्त्र बलों की युद्धक तैयारी के लिए आधुनिकीकरण अत्यंत आवश्यक है।

हिंद महासागर क्षेत्र

  • हिंद महासागर विश्व के कुल महासागर क्षेत्र का लगभग पाँचवाँ हिस्सा कवर करता है।
  • यह उत्तर में ईरान, पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश; पूर्व में मलय प्रायद्वीप, इंडोनेशिया के सुंडा द्वीप और ऑस्ट्रेलिया; दक्षिण में दक्षिणी महासागर; तथा पश्चिम में अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप से घिरा है।                                                                                 
हिंद महासागर क्षेत्र
  • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में 36 देश शामिल हैं और इसकी जनसंख्या लगभग 2.5 अरब है, जो वैश्विक जनसंख्या का 35% एवं विश्व की तटरेखा का 40% है।

हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) का महत्व

  • भूरणनीतिक महत्व: हिंद महासागर तीसरा सबसे बड़ा महासागर है, जो मध्य पूर्व, अफ्रीका, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ता है।
    • इसमें महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग हैं — होरमुज़ जलडमरूमध्य, बाब-अल-मंदेब, मलक्का जलडमरूमध्य, लोम्बोक जलडमरूमध्य — जो वैश्विक ऊर्जा और व्यापार प्रवाह का बड़ा हिस्सा संभालते हैं।
    • IOR पूर्व और पश्चिम के बीच सेतु का कार्य करता है, जिससे यह भारत, चीन, अमेरिका और अन्य प्रमुख शक्तियों के बीच शक्ति प्रतिस्पर्धा का केंद्रीय क्षेत्र बन जाता है।
  • आर्थिक महत्व: यह क्षेत्र वैश्विक कंटेनर यातायात का लगभग 50% और समुद्री तेल व्यापार का 80% वहन करता है।
    • यह ब्लू इकोनॉमी गतिविधियों का केंद्र है: शिपिंग, मत्स्य पालन, समुद्र-तल खनन और पर्यटन।
  • ऊर्जा सुरक्षा: IOR वैश्विक ऊर्जा प्रवाह की जीवनरेखा है: पश्चिम एशिया से तेल और गैस इसके समुद्री मार्गों से पूर्व एशिया तक पहुँचते हैं।
    • भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश ऊर्जा आयात पर निर्भर हैं, जिससे IOR की स्थिरता अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • ब्लू इकोनॉमी और संसाधन क्षमता: ऊर्जा और व्यापार से परे, IOR सतत महासागर-आधारित आर्थिक विकास के लिए एक अप्रयुक्त क्षेत्र है।
    • हिंद महासागर विश्व की कुल मछली पकड़ का लगभग 15% प्रदान करता है, जिससे मत्स्य उद्योग क्षेत्र के लाखों लोगों को रोजगार और पोषण उपलब्ध कराता है।

हाल ही में IOR पर ध्यान क्यों बढ़ा है?

  • नई अर्थव्यवस्थाओं का उदय: भारत और चीन के उभरने से IOR में व्यापार नेटवर्क पुनर्जीवित हुए हैं और यह क्षेत्र नया आर्थिक विकास केंद्र बन रहा है।
  • समुद्री सुरक्षा खतरे: सोमालिया के पास विशेष रूप से समुद्री डकैती ने वैश्विक शिपिंग मार्गों को खतरे में डाला और समुद्री संचार मार्गों (SLOCs) की सुरक्षा के प्रयास बढ़ाए।
  • इंडो-पैसिफिक अवधारणा: इंडो-पैसिफिक भारतीय और प्रशांत महासागरों को एक रणनीतिक क्षेत्र में जोड़ता है तथा नए वैश्विक समुद्री व्यवस्था को आकार देने में IOR की केंद्रीयता को उजागर करता है।
  • वैश्विक व्यवस्था पर प्रभाव: IOR पर नियंत्रण व्यापार प्रवाह, रणनीतिक समुद्री मार्गों और सैन्य तैनाती को प्रभावित कर सकता है।

IOR में चुनौतियाँ

  • IOR में चीनी नौसैनिक शक्ति का विस्तार: क्षेत्र में नौसैनिक जहाजों की संख्या और अवधि में वृद्धि।
  • समुद्री क्षेत्र जागरूकता गतिविधियाँ: चीनी अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाजों की तैनाती, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के नाम पर संवेदनशील समुद्री डेटा एकत्र करते हैं।
  • समुद्री डकैती: अफ्रीका के हॉर्न और मलक्का जलडमरूमध्य के पास समुद्री डकैती शिपिंग को खतरे में डालती है।
  • आतंकवाद, हथियारों की तस्करी और नेटवर्क: छिद्रपूर्ण समुद्री सीमाओं का दुरुपयोग।
  • भारत के पास रणनीतिक बंदरगाह विकास: चीन IOR के तटीय राज्यों में बंदरगाह और अवसंरचना विकसित कर रहा है, जिनमें भारत की समुद्री सीमाओं के पास भी शामिल हैं।

भारत की रणनीतिक प्रतिक्रियाएँ

  • कूटनीतिक और सुरक्षा नेतृत्व: भारत आपदाओं में प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता के रूप में अपनी स्थिति रखता है।
    • भारत HADR (मानवीय सहायता एवं आपदा राहत), MDA (समुद्री क्षेत्र जागरूकता) और विकास में पसंदीदा सुरक्षा भागीदार है।
  • इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI), 2019: भारत द्वारा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में घोषित पहल।
    • फोकस क्षेत्र: समुद्री सुरक्षा, पारिस्थितिकी, संसाधन साझा करना, आपदा प्रबंधन, संपर्क और व्यापार।
  • MAHASAGAR पहल: (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) भारत की रणनीतिक पुनर्ब्रांडिंग को दर्शाता है।
  • नौसैनिक आधुनिकीकरण और स्वदेशी विकास:
    • स्वदेशी युद्धपोतों का कमीशन (जैसे INS विक्रांत, INS विशाखापत्तनम)।
    • समुद्री क्षेत्र जागरूकता और शक्ति प्रक्षेपण को बढ़ावा देना।
  • क्षेत्रीय कूटनीति: भारत क्षेत्रीय साझेदारों के साथ मिलकर चीनी अवसंरचना परियोजनाओं के दीर्घकालिक प्रभावों पर जागरूकता बढ़ा रहा है।
  • बहुपक्षीय सहभागिता:
    • IORA (हिंद महासागर रिम एसोसिएशन): भारत संस्थापक सदस्य (1997)।
    • IONS (हिंद महासागर नौसैनिक संगोष्ठी): भारतीय नौसेना द्वारा 2008 में शुरू।
    • QUAD (भारत–अमेरिका–जापान–ऑस्ट्रेलिया): समुद्री सुरक्षा और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पर केंद्रित।
    • CSC (कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन): भारत, मालदीव, मॉरीशस, श्रीलंका और बांग्लादेश सदस्य।
  • IOR का सैन्यीकरण पर भारत का दृष्टिकोण: भारत का कहना है कि हिंद महासागर क्षेत्र का सैन्यीकरण वांछनीय नहीं है और यह हिंद महासागर तथा व्यापक इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

निष्कर्ष

  • भारत के लिए IOR केवल पड़ोस नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और वैश्विक नेतृत्व महत्वाकांक्षाओं के लिए एक रणनीतिक आवश्यकता है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी, इंडो-पैसिफिक विजन और ब्लू इकोनॉमी स्ट्रैटेजी जैसी पहलें IOR में भारत की केंद्रीयता को सुदृढ़ करती हैं।

Source: TH

 

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