भारत को शहरी सड़कों के लिए एक राष्ट्रीय मिशन की आवश्यकता

पाठ्यक्रम: GS3/ बुनियादी ढांचा

संदर्भ

  • भारत की शहरी सड़कों की स्थिति गंभीर रूप से खराब हो गई है, जिनमें गड्ढे, टूटे फुटपाथ, अव्यवस्थित यूटिलिटी लाइनों और जलभराव जैसी समस्याएँ प्रमुख हैं। 
  • राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों के मिशन-आधारित सुधारों के विपरीत, शहरी सड़कों को खंडित शासन व्यवस्था, मानकों की कमी एवं खराब डिज़ाइन विशेषज्ञता का सामना करना पड़ता है। 
  • इसका प्रभाव शहरों की गतिशीलता, सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पड़ा है।

शहरी विकास में शहरी सड़कों का महत्व 

  • शहरी सड़कें केवल परिवहन मार्ग नहीं हैं, बल्कि बहु-कार्यात्मक शहरी संपत्तियाँ हैं जो निम्नलिखित को प्रभावित करती हैं:
    • सार्वजनिक सुरक्षा और महिलाओं की गतिशीलता: सुरक्षित और अच्छी तरह से प्रकाशित मार्गों को सुनिश्चित करके सार्वजनिक सुरक्षा और महिलाओं की गतिशीलता को बढ़ावा देना।
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य: पैदल चलने को प्रोत्साहित कर और वाहन उत्सर्जन को कम कर बेहतर होता है।
    • जलवायु लचीलापन: तूफ़ानी जल प्रबंधन और बाढ़ रोकथाम को एकीकृत कर।
    • आर्थिक सजीवता: बेहतर सड़कों से भूमि मूल्य और व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं।
  •  इस प्रकार, एक अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई शहरी सड़क केवल गतिशीलता का माध्यम नहीं, बल्कि एक सामाजिक समताकारी और पर्यावरणीय संपत्ति होती है।

शहरी सड़क शासन में प्रणालीगत समस्याएँ

  • अनिवार्य सड़क डिज़ाइन मानकों की अनुपस्थिति: फुटपाथ की चौड़ाई, जल निकासी, संकेतक या सामग्री पर कोई कानूनी रूप से बाध्यकारी मानक नहीं हैं।
    • निर्माण गुणवत्ता में भिन्नता: नगर निगम अभियंताओं की व्यक्तिगत समझ पर आधारित निर्माण।
  • डिज़ाइन ड्रॉइंग और विशेषज्ञता की कमी: प्रायः बिना ‘गुड फॉर कंस्ट्रक्शन’ ड्रॉइंग के निर्माण होता है।
    • प्रमाणित शहरी डिज़ाइनरों की नियुक्ति नहीं होती।
  • त्रुटिपूर्ण निविदा मॉडल: सबसे कम लागत (L1) आधारित निविदा गुणवत्ता से अधिक लागत को प्राथमिकता देती है।
    • खंडित अनुबंध अकुशल ठेकेदारों को आकर्षित करते हैं और बार-बार खुदाई का कारण बनते हैं।
  • लाइफसाइकल डिजिटल प्रबंधन का अभाव: डिज़ाइन, निर्माण, रखरखाव और यूटिलिटी ट्रैकिंग के लिए कोई एकीकृत डिजिटल प्रणाली नहीं है।
    •  इससे विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय बाधित होता है।

मॉडल उदाहरण: टेंडर S.U.R.E. 

  • बेंगलुरु में शुरू किया गया टेंडर SURE (स्पेसिफिकेशन्स फॉर अर्बन रोड्स एक्सीक्यूशन) शहरी सड़कों के सुधार के लिए एक ब्लूप्रिंट प्रदान करता है।
  • विशेषताएँ:
    • मानकीकृत यात्रा लेन और फुटपाथ, स्पर्शनीय पाथवे के साथ।
    • संगठित भूमिगत यूटिलिटी और चैंबर-आधारित तूफ़ानी जल निकासी।
    • एकीकृत निविदा प्रक्रिया से विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय सुनिश्चित होता है।
  • प्रभाव: बेंगलुरु अध्ययन में पाया गया:
    • पैदल यात्रियों में 228% की वृद्धि
    • महिला यात्रियों में 117% की वृद्धि
    • भूमि मूल्य में 55% की वृद्धि
    • बेहतर सुरक्षा और रखरखाव परिणाम

शहरी सड़कों के लिए छह संरचनात्मक सुधार

  1. शहरी डिज़ाइन कैडर की संस्थागत स्थापना: नगरपालिकाओं को प्रमाणित शहरी डिज़ाइनरों और योजनाकारों की नियुक्ति करनी चाहिए।
  2. सड़क डिज़ाइन मानकों को कानूनी रूप से अनिवार्य बनाना: टेंडर SURE, IRC 86 और कंप्लीट स्ट्रीट्स गाइडलाइंस जैसे फ्रेमवर्क को कानूनी मानक के रूप में अपनाना।
  3. मॉडल निविदा दस्तावेज़: डिज़ाइन स्पेसिफिकेशन, सामग्री मानक और डिजिटल GFC ड्रॉइंग शामिल करें।
    1. विभिन्न शहर प्रकारों जैसे मेट्रो, मध्यम आकार के शहरों और विरासत शहरों के लिए अनुकूलित करें।
  4. निविदा प्रणाली में सुधार: L1 (लागत आधारित) से क्वालिटी-एंड-कॉस्ट-बेस्ड सिलेक्शन (QCBS) की ओर बदलाव।
  5. डिजिटल समन्वय ढांचा: पीएम गति शक्ति के राष्ट्रीय मास्टर प्लान की तर्ज पर यूटिलिटी मैपिंग, रखरखाव योजना और एजेंसी जवाबदेही सुनिश्चित करें।
  6. क्षमता निर्माण: नगर निगम अभियंताओं और ठेकेदारों के लिए आधुनिक सड़क डिज़ाइन, सामग्री एवं सुरक्षा ऑडिट पर आधारित प्रमाणन प्रशिक्षण शुरू करें।

प्रस्ताव: प्रधानमंत्री शहरी सड़क योजना (PMSSY) 

  • ग्रामीण क्षेत्रों के लिए PMGSY के आधार पर शहरी सड़कों के लिए एक राष्ट्रीय मिशन शहरों की गतिशीलता को बदल सकता है:
    • शहरी सड़क विकास के लिए समर्पित वित्तीय और संस्थागत ढांचा तैयार करें।
    • राष्ट्रीय डिज़ाइन और सुरक्षा मानकों को लागू करें।
    • आगामी दशक में 6 लाख किमी शहरी नेटवर्क में नागरिक-केंद्रित, जलवायु-लचीली और समावेशी सड़कों का निर्माण करें।

शहरी गतिशीलता के लिए आगे की राह

  • कार-केंद्रित से नागरिक-केंद्रित सड़क डिज़ाइन दर्शन की ओर संक्रमण।
  • सड़कों को शहरी बाढ़ प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों से जोड़ना।
  • डिजिटल ट्विन्स और अर्बन ऑब्ज़र्वेटरी जैसी तकनीकों का उपयोग कर रीयल-टाइम निगरानी।
  • स्मार्ट सिटी 2.0 के हिस्से के रूप में शहरी सड़क सुरक्षा ऑडिट को संस्थागत बनाना।

निष्कर्ष 

  • भारत की शहरी सड़कें शासन की चुनौती का प्रतीक हैं, लेकिन इनमें अपार संभावनाएँ भी हैं। 
  • जिस मिशन-आधारित दृष्टिकोण ने राजमार्गों और ग्रामीण सड़कों को बदल दिया, वही शहर की सड़कों को सुरक्षित, समावेशी एवं सतत सार्वजनिक स्थानों में बदल सकता है। 
  • प्रधानमंत्री शहरी सड़क योजना एक ऐतिहासिक पहल बन सकती है, जो प्रत्येक शहरी सड़क को जनपथ में बदलकर जीवन की गुणवत्ता और शहरी लचीलापन दोनों को बढ़ा सकती है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत में एक राष्ट्रीय शहरी सड़क मिशन की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए। टेंडर SURE और गति शक्ति जैसे मॉडल शहरी सड़क विकास में व्यवस्थागत कमियों को कैसे दूर कर सकते हैं?
 

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