भारत की सैन्य कूटनीति

पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा

समाचार में 

  • भारत विभिन्न देशों के साथ उच्च स्तरीय अभ्यासों की श्रृंखला के माध्यम से सैन्य कूटनीति में सक्रिय रूप से सम्मिलित रहा है।

रक्षा कूटनीति के बारे में

  • यह रक्षा से संबंधित साधनों और गतिविधियों का सहयोगात्मक तथा शांतिपूर्ण तरीके से उपयोग करके विदेश एवं रणनीतिक नीति का समर्थन करना है। 
  • भारत की रक्षा कूटनीति अब हिंद महासागर से आगे तक फैल गई है।
    • यह भूमध्य सागर और गिनी की खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग कर रहा है।
  • भारत अपनी क्षेत्रीय रक्षा कूटनीति और साझेदारी को तेज़ कर रहा है, जिसका लक्ष्य एशिया-प्रशांत तथा हिंद महासागर क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को मज़बूत करना है। 
  • भारत की रक्षा कूटनीति चीन की मुखरता से प्रेरित है, विशेषकर दक्षिण चीन सागर में।

हालिया विकास

  • बढ़ी हुई सैन्य भागीदारी: भारत ने 2023 में साझेदार देशों के साथ 75 संयुक्त सैन्य अभ्यास किए, जो पिछले वर्षों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।
    • इन अभ्यासों में द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय प्रारूप शामिल हैं, जिनमें क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों की संख्या बढ़ रही है।
  • एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर पर ध्यान: 2023 में भारत की सैन्य गतिविधियों में थाईलैंड, आसियान तथा यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों के साथ पहली बार नौसैनिक अभ्यास और इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस एवं यूएई के साथ समुद्री साझेदारी शामिल है।
    • भारतीय नौसेना के बंदरगाहों पर दौरे और अभ्यासों का विस्तार हुआ है, तथा ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया एवं सिंगापुर में पनडुब्बी के उल्लेखनीय दौरे हुए हैं।
  • सामरिक: भारत की बढ़ी हुई रक्षा भूमिका और साझेदारी का उद्देश्य चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना करना है।
    • भारत की कार्रवाइयों में ऑस्ट्रेलिया तथा फ्रांस जैसे देशों के साथ संयुक्त गश्त और समुद्री सहयोग शामिल है, जो इस क्षेत्र में एक प्रमुख सुरक्षा साझेदार के रूप में स्वयं को स्थापित करने के व्यापक प्रयास को दर्शाता है।
  • भारत मानवीय सहायता तथा आपदा राहत (HADR) कार्यों में सक्रिय रहा है, और हिंद महासागर क्षेत्र एवं उससे आगे की आपदाओं का सामना करता रहा है।

समस्याएँ

  • भारत राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए विदेशों से रक्षा प्रणालियाँ खरीदता है, विशेषकर अपने सीमित घरेलू तकनीकी और औद्योगिक आधार के कारण।
  • भारत में अभी भी विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रक्षा कूटनीति का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए संस्थागत तंत्र का अभाव है, जो मुख्य रूप से पारंपरिक कूटनीतिक दृष्टिकोणों पर निर्भर करता है।
  • जैसे-जैसे भारत क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के साथ अपनी सैन्य भागीदारी को गहरा करता है, यह चीन के साथ प्रतिस्पर्धात्मक गतिशीलता को बढ़ा सकता है।
  • भारत नए क्षेत्रों में अपनी सैन्य राजनयिक उपस्थिति का विस्तार कर रहा है, मॉस्को जैसे प्रमुख स्थानों पर रक्षा सम्बन्ध को कम करने के प्रभाव के बारे में चिंताएँ हैं, जहाँ रूस के साथ भारत के रक्षा संबंध विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।

निष्कर्ष और आगे की राह 

  • भारत ने अब्राहम समझौते और चीन के बढ़ते प्रभाव जैसे परिवर्तित क्षेत्रीय गतिशीलता के बीच पश्चिम एशियाई देशों के साथ रक्षा संबंधों को दृढ किया है।
  • भारत क्षेत्रीय कूटनीति को दृढ करने, साझेदारी बनाने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अपनी रक्षा क्षमताओं का लाभ उठा रहा है।
    • इन प्रयासों को जारी रखने के लिए नौसैनिक, अभियान और सैन्य क्षमताओं में निरंतर निवेश की आवश्यकता होगी।
  • अब भारत की रक्षा कूटनीति स्वदेशीकरण और उपकरण विकास में आत्मनिर्भरता पर बल देती है। 
  • इसलिए भारतीय रक्षा उद्योगों का समर्थन करना तथा निर्यात को बढ़ावा देना रणनीतिक स्वायत्तता में योगदान देना आवश्यक है और सहयोगात्मक सुरक्षा उपाय, संयुक्त अभ्यास एवं सूचना साझा करना भी महत्वपूर्ण घटक हैं।
क्या आप जानते हैं ?
युद्ध अभ्यास: राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में 9 सितंबर, 2024 को शुरू होने वाला यह भारत-अमेरिका का सबसे बड़ा बहुपक्षीय अभ्यास है। 
तरंग शक्ति: भारतीय वायुसेना का सबसे बड़ा बहुपक्षीय अभ्यास दो चरणों में हो रहा है। सुलूर में 6-14 अगस्त तक आयोजित प्रथम चरण में जर्मनी, फ्रांस, स्पेन और यू.के. की भागीदारी थी। जोधपुर में 1-14 सितंबर तक चल रहे दूसरे चरण में ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, जापान, सिंगापुर, श्रीलंका, यूएई तथा अमेरिका के विमान शामिल हैं, हालांकि बांग्लादेश ने इसमें भाग नहीं लिया। 
मालाबार अभ्यास: विशाखापत्तनम के तट पर अक्टूबर 2024 में होने वाला यह नौसैनिक अभ्यास भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका की भागीदारी वाला है। 
इंद्र अभ्यास: मालाबार के तुरंत बाद, भारतीय सेना की मशीनीकृत पैदल सेना की टुकड़ी रूस के साथ इस द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लेगी। – मित्र शक्ति: श्रीलंका के साथ इसका 10वां संस्करण 12-25 अगस्त तक श्रीलंका में आयोजित किया गया। 
खान क्वेस्ट: भारत ने 27 जुलाई से 9 अगस्त तक आयोजित इस बहुराष्ट्रीय शांति अभ्यास के लिए मंगोलिया में 40 कर्मियों को भेजा।RIMPAC: भारतीय नौसेना के INS शिवालिक ने 27 जून से 1 अगस्त तक अमेरिकी नौसेना द्वारा आयोजित इस प्रमुख अभ्यास में भाग लिया।
वरुण: भारतीय नौसेना के INS तबर और एक P-8I विमान ने भूमध्य सागर में 2-4 सितंबर तक फ्रांस के साथ इस द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लिया।

Source: TH

 

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