पूँजी बाजार: अर्थ, संरचना, उपकरण, भूमिकाएँ और संबंधित तथ्य
पूँजी बाजार (Capital Market), वित्तीय बाजार के एक भाग के रूप में, निवेशकों और उधारकर्ताओं के बीच पूँजी के प्रवाह के लिए महत्त्वपूर्ण है।
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना: उद्देश्य, लाभ और मुद्दे
उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना मार्च 2020 में भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गयी थी।
राष्ट्रीय आय: अर्थ, मापन, लेखांकन विधियाँ और संबंधित तथ्य
राष्ट्रीय आय अर्थशास्त्र में एक मौलिक अवधारणा है, जो किसी देश के आर्थिक स्थिति को मापने के लिए एक प्रमुख पैमाने के रूप में कार्य करती है।
भारत में खाद्य सुरक्षा: चुनौतियाँ और अवसर
भारत में खाद्य सुरक्षा का अर्थ हैं, सभी लोगों के लिए भोजन की उपलब्धता, पहुँच और उसे प्राप्त करने का सामर्थ्य। खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत, सभी लोगों की भोजन तक पहुँच के साथ-साथ पूरे वर्ष खाने के लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारतीय वित्तीय प्रणाली की एक महत्त्वपूर्ण आधारशिला है।
भारत में विकास बैंक: अर्थ, प्रकार एवं महत्त्व
विकास बैंक उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को दीर्घकालिक वित्त सहायता प्रदान करके भारतीय वित्तीय प्रणाली में व्याप्त महत्त्वपूर्ण अंतर को भरने का प्रयास करते हैं।
भारत में बैंकिंग प्रणाली: संरचना, प्रकार और संबंधित तथ्य
भारतीय बैंकिंग प्रणाली देश के आर्थिक ढांचे की आधारशिला है। इस प्रणाली के द्वारा वित्त का हस्तांतरण बचतकर्ताओं से उधारकर्ताओं तक तथा निवेश से व्यक्तिगत वित्तीय जरूरतों तक को पूरा करने में किया जाता है।
फसल विविधीकरण: कार्य, लाभ, और मुद्दे
फसल विविधीकरण एक खेत में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने की प्रथा है।
भारत में सहकारी बैंक: अर्थ, प्रकार एवं महत्त्व
भारतीय बैंकिंग परिदृश्य में सहकारी बैंक अपनी अवधारणा और कार्यप्रणाली के कारण एक विशिष्ट स्थान रखते हैं।
भारत में मौद्रिक नीति: अर्थ, प्रकार, उपकरण और संबंधित तथ्य
भारत की मौद्रिक नीति देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह एक आर्थिक प्रबंधन उपकरण के रूप में RBI और सरकार को मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करने, मुद्रास्फीति को प्रबंधित करने तथा आर्थिक स्थिरता प्राप्त करने में सहायता करती है।