वैश्विक AMR चिंताओं के बीच खाद्य उत्पादक पशुओं में एंटीबायोटिक विनियमन

पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे

संदर्भ

  • भारत खाद्य पशु उत्पादन में एंटीबायोटिक के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए अपने नियामक ढांचे को सुदृढ़ कर रहा है, जिससे मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
    • यह कदम वैश्विक स्तर पर एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से निपटने की दिशा में एक व्यापक प्रयास का भाग है।

खाद्य पशुओं में एंटीबायोटिक का उपयोग

  • AMR तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस या फफूंद जैसे रोगजनक उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं जो पहले प्रभावी थीं।
  • यह मानव और पशु चिकित्सा दोनों में एंटीमाइक्रोबियल्स के अत्यधिक और गलत उपयोग से उत्पन्न होता है।
  • परिणामस्वरूप, पहले उपचार योग्य संक्रमण अब जानलेवा बनते जा रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली, खाद्य उत्पादन और अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।
  • WOAH की रिपोर्ट के अनुसार संभावित प्रभाव
    • $100 ट्रिलियन तक की आर्थिक क्षति 2050 तक संभावित
    • 2 अरब लोगों की खाद्य सुरक्षा खतरे में
    • $159 अरब वार्षिक स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि
    • $1.7 ट्रिलियन प्रति वर्ष वैश्विक GDP में गिरावट
    • पशु उत्पादन में गिरावट से 2 अरब लोगों की खपत आवश्यकताओं प्रभावित हो सकती हैं
    • यदि एंटीबायोटिक उपयोग में 30% की कमी की जाए (स्वच्छता, टीकाकरण, जैव सुरक्षा के माध्यम से), तो $120 अरब का वैश्विक आर्थिक लाभ संभव है
  • जलीय कृषि और पशुपालन में स्थिति
    • 15.8% एंटीमाइक्रोबियल्स का उपयोग जलीय कृषि में फ्लूरोक्विनोलोन के रूप में होता है
    • 20% WOAH सदस्य देश अभी भी इन्हें वृद्धि प्रमोटर के रूप में उपयोग करते हैं
    • 7% देश कोलिस्टिन और एनरोफ्लॉक्सासिन जैसे महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक का उपयोग करते हैं

एंटीबायोटिक नियमन की आवश्यकता

  • आयात के लिए यूरोपीय संघ के कड़े रोगाणुरोधी नियम: यूरोपीय संघ ने खाद्य पशुओं में रोगाणुरोधी उपयोग को रोकने और अपने नागरिकों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कड़े नियम लागू किए हैं।
    • भारत सहित, अधिकृत सूची में शामिल नहीं किए गए देशों को इन नियमों का अनुपालन प्रदर्शित करना होगा और यूरोपीय संघ को निर्बाध निर्यात जारी रखने के लिए 3 सितंबर 2026 तक प्रासंगिक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने होंगे।
  • दवा की प्रभावकारिता का संरक्षण: विनियमन के बिना, कार्बापेनेम्स और कोलिस्टिन जैसे अंतिम उपाय वाले एंटीबायोटिक की भी प्रभावशीलता समाप्त हो रही है।
  • जन स्वास्थ्य की रक्षा: एएमआर दशकों की चिकित्सा प्रगति को उलटने का खतरा उत्पन्न करता है, जिससे नियमित सर्जरी और संक्रमण संभावित रूप से घातक हो जाते हैं।
  • निर्यात की सुरक्षा: अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए, विशेष रूप से पशु-व्युत्पन्न उत्पादों के लिए, कड़े मानदंड आवश्यक हैं।

भारत के नियामक परिवर्तन: घरेलू विनियमों को सुदृढ़ करना

  • निर्यात (गुणवत्ता नियंत्रण और निरीक्षण) अधिनियम, 1963 में संशोधन, दूध, अंडे और शहद के उत्पादन में विशिष्ट रोगाणुरोधी दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
  • MoHFW ने 15 एंटीबायोटिक वर्ग, 18 एंटीवायरल और 1 एंटीप्रोटोज़ोआल पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगाया।
  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के अंतर्गत औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (DTAB) ने यूरोपीय संघ की 37 प्रतिबंधित रोगाणुरोधियों की सूची की समीक्षा की। इसने 37 में से 34 रोगाणुरोधियों पर प्रतिबंध लगाने की सिफ़ारिश की।
  • जलकृषि और निर्यात मानदंड: भारत के तटीय जलकृषि दिशानिर्देश पाँच एंटीबायोटिक वर्गों और पाँच विशिष्ट एंटीबायोटिक दवाओं पर प्रतिबंध लगाते हैं।
    • यह निर्यात मानकों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब अंतर्राष्ट्रीय खरीदार एंटीबायोटिक-मुक्त उत्पादों की माँग में तेज़ी से वृद्धि कर रहे हैं।
  • शहद और अवशेष सीमाएँ: नए नियम शहद उत्पादन को लक्षित करते हैं, नाइट्रोफ्यूरान, सल्फोनामाइड्स और नौ अन्य एंटीबायोटिक दवाओं के लिए कठोर अवशेष सीमाएँ निर्धारित करते हैं।
    • अधिकतम अवशेष सीमा (MRPL) को 5 µg/kg से दोगुना करके 10 µg/kg कर दिया गया है।
  • FSSAI के नए नियम: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अपने संदूषक, विषाक्त पदार्थ और अवशेष नियमों में संशोधन पेश किया है।
    • यह दूध, मांस, मुर्गी पालन, अंडे और जलीय कृषि उत्पादन के किसी भी चरण में एंटीबायोटिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है। प्रतिबंधित पदार्थों में शामिल हैं:
      • एंटीबायोटिक वर्ग: ग्लाइकोपेप्टाइड्स, नाइट्रोफ्यूरान, नाइट्रोइमिडाज़ोल
      • एंटीबायोटिक: कार्बाडॉक्स, क्लोरैम्फेनिकॉल, कोलिस्टिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन, सल्फामेथोक्साज़ोल।

संभावित चुनौतियाँ

  • प्रवर्तन चुनौतियाँ: छोटे किसान प्रायः कम लागत वाली एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भर रहते हैं, और पशु चिकित्सा दवाओं का उपयोग प्रायः बिना डॉक्टर के पर्चे के किया जाता है।
    • अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मज़बूत निरीक्षण और परीक्षण तंत्र आवश्यक हैं।
  • खंडित निगरानी: नियामक ज़िम्मेदारियाँ कई मंत्रालयों – स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण – में बँटी हुई हैं, जिसके कारण नीति प्रवर्तन में असंगति होती है।
  • कमज़ोर निगरानी: भारत में केंद्रीकृत एएमआर डेटाबेस का अभाव है, जिससे प्रतिरोध पैटर्न और एंटीबायोटिक खपत पर नज़र रखना मुश्किल हो जाता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: एंटीबायोटिक अवशेषों वाले औषधीय अपशिष्ट को प्रायः जल निकायों में छोड़ दिया जाता है, जिससे प्रतिरोध और फैलता है।

वैश्विक प्रभाव

  • भारत पशु-व्युत्पन्न खाद्य उत्पादों के सबसे बड़े उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है।
  • व्यापार और जन स्वास्थ्य पर प्रभाव:
    • जन स्वास्थ्य: ज़िम्मेदार एंटीबायोटिक उपयोग के माध्यम से एएमआर पर अंकुश लगाना और मानव उपयोग के लिए चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण रोगाणुरोधकों की सुरक्षा करना।
    • व्यापार अनुपालन: प्रीमियम निर्यात बाज़ारों तक पहुँच को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए यूरोपीय संघ के रोगाणुरोधी नियमों के साथ तालमेल बिठाना।
  • अपने मानकों को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाकर, देश का लक्ष्य है:
    • अपनी वैश्विक बाज़ार स्थिति बनाए रखना;
    • खाद्य निर्यात से जुड़े एएमआर जोखिमों को कम करना;
    • स्थायी पशुधन पालन प्रथाओं को बढ़ावा देना

आगे की राह

  • एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण: भारत की रणनीति विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘एक स्वास्थ्य’ ढाँचे को प्रतिबिंबित करती है, जो मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के अंतर्संबंध को मान्यता देता है।
    • कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग पर अंकुश लगाकर, भारत भविष्य की पीढ़ियों के लिए जीवन रक्षक दवाओं की प्रभावकारिता को संरक्षित करने की आशा करता है।
  • प्रवर्तन को सुदृढ़ करें: केवल डॉक्टर के पर्चे पर मिलने वाली दवाओं की बिक्री को लागू करें और उसकी निगरानी करें तथा अवैध एंटीबायोटिक वितरण पर रोक लगाये ।
  • हितधारकों को शिक्षित करें: डॉक्टरों, फार्मासिस्टों, किसानों और जनता के लिए जागरूकता अभियान चलाएँ।
  • निगरानी में निवेश करें: विभिन्न क्षेत्रों में एंटीबायोटिक के उपयोग और प्रतिरोध प्रवृत्तियों पर नज़र रखने के लिए सुदृढ़ प्रणालियाँ बनाएँ।
  • विकल्पों को बढ़ावा दें: एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भरता कम करने के लिए खेती में टीकाकरण, स्वच्छता और जैव सुरक्षा को प्रोत्साहित करें।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] क्या खाद्य पशु उत्पादन में भारत के नए एंटीबायोटिक नियम वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से निपटने में सहायता करेंगे, और कौन सी चुनौतियाँ उनके प्रवर्तन में बाधा बन सकती हैं?

Source: DTE

 

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