पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध
संदर्भ
- हाल ही में विदेश मंत्रालय (MEA) ने भारत और रूस के मध्य संबंधों की सराहना की, यह कहते हुए कि दोनों देशों के बीच ‘स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी’ है।
भारत-रूस संबंधों के बारे में
- भारत और रूस के बीच संबंधों को प्रायः ‘समय-सिद्ध, स्थिर और रणनीतिक रूप से विशेष’ कहा जाता है।
- यह साझेदारी भारत की विदेश नीति का एक आधार बनी हुई है, जो इतिहास में निहित है और वैश्विक परिवर्तनों के साथ विकसित हो रही है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास
- प्रारंभिक राजनयिक संबंध: भारत और सोवियत संघ के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध 13 अप्रैल 1947 को स्थापित हुए, जो भारत की स्वतंत्रता से पूर्व की बात है।
- USSR ने भारत के औद्योगिक और वैज्ञानिक विकास में सहयोग किया, विशेष रूप से इस्पात, ऊर्जा एवं शिक्षा जैसे क्षेत्रों में।
- शीत युद्ध काल: शीत युद्ध के दौरान भारत और USSR के बीच सुदृढ़ रणनीतिक संबंध थे, जिनमें शामिल थे:
- गुटनिरपेक्षता और उपनिवेशवाद विरोध पर राजनीतिक समन्वय
- सैन्य सहयोग, जिसमें हथियार आपूर्ति और संयुक्त अभ्यास शामिल थे
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शैक्षणिक सहयोग 1971 में ‘शांति, मित्रता एवं सहयोग संधि’ पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान भारत को समर्थन मिला।
- पोस्ट-सोवियत संक्रमण:
- 1991: USSR के विघटन के पश्चात् भारत ने रूस को उत्तराधिकारी के रूप में शीघ्र मान्यता दी।
- 1993: नई ‘मित्रता और सहयोग संधि’ पर हस्ताक्षर किए गए।
- 1994: द्विपक्षीय सैन्य-तकनीकी सहयोग समझौता स्थापित किया गया।
- रणनीतिक साझेदारी युग
- 2000: भारत और रूस ने ‘रणनीतिक साझेदारी पर घोषणा’ पर हस्ताक्षर किए, जिससे संबंधों को नई ऊंचाई मिली।
- 2010: संबंधों को ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ में अपग्रेड किया गया, जिससे रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष एवं व्यापार में गहन सहयोग हुआ।
- संस्थागत तंत्र
- भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच नियमित वार्षिक शिखर सम्मेलन।
- भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC) की स्थापना, जिसमें दो प्रमुख शाखाएँ हैं:
- IRIGC-TEC: व्यापार, अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति।
- IRIGC-M&MTC: सैन्य और तकनीकी सहयोग।
- 2+2 संवाद की शुरुआत 2021 में, जिसमें विदेश और रक्षा मंत्री शामिल होते हैं।
- समकालीन संबंध
- भारत और रूस वैश्विक मंचों जैसे BRICS, SCO, G20 और संयुक्त राष्ट्र में सहयोग करते हैं।
- रूस भारत का प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, और दोनों देश बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का समर्थन करते हैं।
- 2024 में प्रधानमंत्री मोदी को रूस का सर्वोच्च राज्य सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ प्रदान किया गया।
वर्तमान: वैश्विक बदलावों के बीच रणनीतिक गहराई
- रक्षा और सुरक्षा:
- रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, भले ही भारत विविधीकरण की दिशा में प्रयास कर रहा है।
- संयुक्त परियोजनाओं में ब्रह्मोस मिसाइल, S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और परमाणु पनडुब्बियाँ शामिल हैं।
- SIPRI के हालिया आंकड़ों के अनुसार, 2020–2024 में भारत के रक्षा आयात में रूस की हिस्सेदारी 36% रही, जो 2015–2019 में 55% और 2010–2014 में 72% थी।
- ऊर्जा और व्यापार:
- 2025 के मध्य तक भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी 43% से अधिक हो गई।
- FY 2024–25 में द्विपक्षीय व्यापार $68.7 बिलियन तक पहुंचा, जिसका लक्ष्य 2030 तक $100 बिलियन है (22वां वार्षिक शिखर सम्मेलन, जुलाई 2024)।
- अंतरिक्ष और वैज्ञानिक सहयोग:
- इसरो और रोस्कोस्मोस ने संयुक्त रूप से गगनयान के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित किया।
- भारत का प्रथम उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ (1975) USSR द्वारा लॉन्च किया गया थाइसरो और रोस्कोस्मोस।
- संपर्क पहल
- अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC): मुंबई से सेंट पीटर्सबर्ग तक ईरान और मध्य एशिया के माध्यम से बहु-मोडल मार्ग।
- माल ढुलाई समय में 40% की कटौती का लक्ष्य।
- चाबहार-रूस एकीकरण: मध्य एशिया और भारत के बीच लॉजिस्टिक्स को प्रोत्साहन देना।
- अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC): मुंबई से सेंट पीटर्सबर्ग तक ईरान और मध्य एशिया के माध्यम से बहु-मोडल मार्ग।
उभरते मुद्दे
- रक्षा आपूर्ति में बाधाएँ:
- रूस-यूक्रेन युद्ध ने महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति बाधित की।
- MiG-29, सुखोई लड़ाकू विमान और Igla-S मिसाइलों के अनुबंधों में देरी से भारत की परिचालन तत्परता पर चिंता बढ़ी।
- ऊर्जा व्यापार और पश्चिमी दबाव:
- अमेरिका ने 25% टैरिफ लगाए और रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% जुर्माने का प्रस्ताव रखा।
- भारत का कहना है कि उसकी ऊर्जा नीति मूल्य-आधारित और संप्रभु है।
- रणनीतिक स्वायत्तता बनाम वैश्विक अपेक्षाएँ:
- यूक्रेन संघर्ष पर भारत की तटस्थ स्थिति को पश्चिमी सहयोगियों ने आलोचना की।
- अमेरिका ने भारत-रूस संबंधों पर चिंता व्यक्त की, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और यूक्रेन की संप्रभुता का सम्मान करने की अपील की।
- भारत का कहना है कि उसकी विदेश नीति गुटनिरपेक्ष और हित-आधारित है, किसी तीसरे पक्ष के दबाव से निर्देशित नहीं।
- व्यापार असंतुलन और भुगतान तंत्र:
- भारत को रूस से अधिक आयात करना पड़ता है, जिससे व्यापार असंतुलन पैदा होता है।
- रूसी बैंकों पर प्रतिबंध और तीसरी मुद्रा के उपयोग में जटिलताओं के कारण भुगतान समस्याएँ बनी हुई हैं।
- व्यापार को राष्ट्रीय मुद्राओं में निपटाने और व्यापार बास्केट को विविध बनाने के प्रयास जारी हैं।
- रूस-चीन गठजोड़ और भू-राजनीतिक तनाव:
- अमेरिका-चीन-रूस ट्रोइका जैसे मंचों पर रूस की चीन के साथ बढ़ती निकटता से भारत चिंतित है।
- QUAD और AUKUS संवादों में भारत की भागीदारी कभी-कभी रूस के रणनीतिक हितों से टकराती है।
- मास्को और वाशिंगटन दोनों के साथ संबंधों को संतुलित रखना भारत के लिए एक नाजुक कूटनीतिक कार्य है।
आगे की राह: भारत-रूस संबंधों का विस्तार
- बहुपक्षीय सहयोग:
- भारत और रूस BRICS, SCO, G20 एवं संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर सहयोग करते हैं।
- 2024 में रूस की BRICS अध्यक्षता और 2023 में भारत की G20 अध्यक्षता ने समन्वय को सुदृढ़ किया।
- आर्थिक और क्षेत्रीय पहल:
- ‘एनर्जी ब्रिज’ बनाने और परमाणु, हाइड्रोकार्बन तथा नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने की योजना।
- भारत कज़ान और येकातेरिनबर्ग में नए वाणिज्य दूतावास खोल रहा है, जिससे क्षेत्रीय जुड़ाव बढ़ेगा।
- आर्कटिक अन्वेषण, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी में संयुक्त उपक्रमों की योजना है।
- रणनीतिक स्वायत्तता:
- भारत का कहना है कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र और हित-आधारित है, किसी तीसरे पक्ष के दबाव से निर्देशित नहीं।
| दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] बढ़ते अमेरिकी प्रतिबंधों और भू-राजनीतिक दबाव के मद्देनजर, परीक्षण करें कि रूस के साथ भारत का संबंध रणनीतिक स्वायत्तता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को कैसे प्रदर्शित है। |
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