संक्षिप्त समाचार 03-12-2025

जियो पारसी योजना

पाठ्यक्रम: GS1/ समाज, GS2/ सामाजिक न्याय

संदर्भ

  • अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (MoMA) ने मुंबई में जियो पारसी योजना को बढ़ावा देने और उसका विस्तार करने के लिए एक व्यापक समर्थन एवं जनसंपर्क कार्यशाला आयोजित की।

भारत में पारसी समुदाय

  • भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में पारसी जनसंख्या 57,264 थी। 
  • यह 2001 की जनगणना के आँकड़े 69,601 से लगभग 22% की महत्वपूर्ण कमी को दर्शाता है।

योजना के बारे में

  • जियो पारसी योजना 2013-14 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक प्रोटोकॉल और संरचित हस्तक्षेप अपनाकर पारसी जनसंख्या में गिरावट की प्रवृत्ति को उलटना, उनकी जनसंख्या को स्थिर करना तथा भारत में पारसियों की जनसंख्या बढ़ाना था।
  • इस योजना के तीन घटक हैं:
    • चिकित्सीय सहायता: बांझपन उपचार जैसे IVF, ICSI, सरोगेसी और गर्भधारण के बाद देखभाल के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
    • समर्थन: बांझपन की समस्या वाले दंपतियों की काउंसलिंग और कार्यशालाओं सहित प्रचार-प्रसार की व्यवस्था करता है।
    • समुदाय का स्वास्थ्य: बच्चों वाले पारसी दंपतियों को मासिक वित्तीय सहायता प्रदान करता है, साथ ही आश्रित बुजुर्ग सदस्यों को भी।

Source: PIB

सुधार और विकास के लिए वैश्विक सूचकांक (GIRG) ढांचा

पाठ्यक्रम: GS2/ शासन, GS3/ अर्थव्यवस्था

संदर्भ

भारत सरकार ने राष्ट्रीय प्रदर्शन को अंतर्राष्ट्रीय सूचकांकों के साथ तुलनात्मक रूप से मापने और साक्ष्य-आधारित नीतिगत सुधारों का मार्गदर्शन करने के लिए सुधार और विकास के लिए वैश्विक सूचकांक(GIRG) पहल शुरू की है।

परिचय

  • सुधार और विकास के लिए वैश्विक सूचकांक (GIRG) एक अंतर-मंत्रालयी तंत्र है जो 16 अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा प्रकाशित 26 वैश्विक सूचकांकों में प्रगति की निगरानी करता है। 
  • ये सूचकांक चार व्यापक विषयों को कवर करते हैं: अर्थव्यवस्था, विकास, शासन और उद्योग। 
  • प्रत्येक सूचकांक को एक विशिष्ट नोडल मंत्रालय को सौंपा गया है, जो कार्यप्रणालियों की समीक्षा करने, प्रकाशन संगठनों के साथ जुड़ने और यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि भारत के नवीनतम आधिकारिक आँकड़े गणनाओं में उपयोग किए जाएँ। 
  • नीति आयोग का विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (DMEO) इस अभ्यास के लिए केंद्रीय समन्वय निकाय के रूप में कार्य करेगा।

GIRG की आवश्यकता क्यों है?

  • भारत के राष्ट्रीय संकेतक जैसे GDP, CPI और IIP पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय रूप से संरेखित कार्यप्रणालियों का पालन करते हैं और आर्थिक परिवर्तनों को दर्शाने के लिए आधार-वर्ष संशोधन से गुजरते हैं।
  •  हालाँकि, वैश्विक रैंकिंग पारिस्थितिकी तंत्र प्रायः अस्पष्ट कार्यप्रणालियों, असंगत डेटा उपयोग और देश-विशिष्ट संदर्भ की कमी से ग्रस्त रहते हैं। 
  • इसीलिए GIRG का उद्देश्य है:
    • वैश्विक सूचकांकों में सटीक और अद्यतन सरकारी आँकड़ों का उपयोग सुनिश्चित करना।
    • भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता और विश्वसनीयता को बढ़ाना।

Source: PIB

जल जीवन मिशन प्रोजेक्ट्स को लेकर यूपी में सबसे अधिक शिकायतें प्राप्त

पाठ्यक्रम:GS2/शासन

समाचारों में

  • उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक शिकायतें दर्ज कीं और जल जीवन मिशन के अंतर्गत वित्तीय अनियमितताओं तथा कार्य की खराब गुणवत्ता से संबंधित कुल शिकायतों में लगभग 84% का हिस्सा रहा।

जल जीवन मिशन (JJM) के बारे में

  • प्रारंभ वर्ष: 2019
  • प्रकार: केंद्र प्रायोजित योजना
  • नोडल मंत्रालय: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (DDWS), जल शक्ति मंत्रालय
  • पृष्ठभूमि: राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (NRDWP) का पुनर्गठन कर उसे जल जीवन मिशन में सम्मिलित किया गया।
  • उद्देश्य: प्रत्येक ग्रामीण परिवार को फंक्शनल हाउसहोल्ड टैप कनेक्शन (FHTC) सुनिश्चित करना, जिसमें प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर पेयजल उपलब्ध हो।
  • वित्त पोषण पैटर्न:
    • 90:10 (हिमालयी राज्य — उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश एवं पूर्वोत्तर राज्य)
    • 100% (केंद्र शासित प्रदेश)
    • 50:50 (अन्य राज्य)
  • प्रगति: ग्रामीण भारत में नल जल की पहुँच तेजी से बढ़ी है, जो 3.23 करोड़ परिवारों (16.7%) से बढ़कर अब तक अतिरिक्त 12.48 करोड़ परिवारों तक पहुँच चुकी है।

Source :TH

घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंक (D-SIBs)

पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था

समाचारों में

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की 2025 सूची में पुष्टि की गई है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक घरेलू प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण बैंक (D‑SIBs) बने हुए हैं।

D-SIBs के बारे में

  • D-SIBs वे बैंक हैं जिन्हें “बहुत बड़े हैं, इसलिए असफल नहीं हो सकते” माना जाता है।
  • इनका पतन पूरे वित्तीय तंत्र में अस्थिरता उत्पन्न कर सकता है, इसलिए इन्हें विशेष विनियमन और उच्च निगरानी के अंतर्गत रखा जाता है।
  • यह अवधारणा वैश्विक स्तर पर 2008 की वैश्विक वित्तीय संकट के बाद प्रस्तुत की गई थी।
  • बेसल-III दिशानिर्देशों के आधार पर, RBI ने 2014 में D-SIB ढाँचा जारी किया। इसमें बैंकों की पहचान निम्न आधारों पर की जाती है:
    • आकार (कुल जोखिम/एक्सपोज़र)
    • परस्पर जुड़ाव (Interconnectedness)
    • प्रतिस्थापन क्षमता (सेवाओं को बदलने की कठिनाई)
    • जटिलता (Complexity)
  • बैंकों को प्रणालीगत महत्व के आधार पर अलग-अलग बकेट (0 से 4) में रखा जाता है।
  • जितना ऊँचा बकेट होगा, उतनी ही अधिक अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET-1) पूंजी आवश्यकता होगी।

Source: TH

DRDO द्वारा स्वदेशी फाइटर एस्केप सिस्टम का हाई स्पीड टेस्ट 

पाठ्यक्रम: GS3/ रक्षा

संदर्भ

  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने लड़ाकू विमान के एस्केप सिस्टम का उच्च गति परीक्षण सफलतापूर्वक किया है, जिससे युद्धक पायलटों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा क्षमता को मान्य किया गया।

परिचय

  • रॉकेट-स्लेड परीक्षण ने 800 किमी/घंटा की सटीक नियंत्रित गति हासिल की, जो DRDO की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) सुविधा, टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL), चंडीगढ़ में आयोजित किया गया।
  • यह परीक्षण एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से किया गया।
  • परीक्षण ने आपातकालीन एस्केप चेन के तीन प्रमुख तत्वों को मान्य किया:
    • कैनोपी सेवरेंस (Canopy Severance)
    • इजेक्शन सीक्वेंसिंग (Ejection Sequencing)
    • पूर्ण एयरक्रू रिकवरी (Complete Aircrew Recovery)
  • यह जटिल डायनेमिक परीक्षण भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में रखता है जिनके पास उन्नत इन-हाउस एस्केप सिस्टम परीक्षण क्षमता है।
    • डायनेमिक इजेक्शन परीक्षण स्थिर परीक्षणों (जैसे नेट टेस्ट, ज़ीरो-ज़ीरो टेस्ट) की तुलना में अधिक जटिल होते हैं क्योंकि वे वास्तविक उड़ान परिस्थितियों की नकल करते हैं।

Source: PIB

भारतीय समुद्री सिद्धांत 2025 में नौसेना की नई श्रेणी

पाठ्यक्रम: GS3/रक्षा

समाचारों में

  • भारतीय नौसेना का समुद्री सिद्धांत 2025 नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी द्वारा जारी किया गया।

भारतीय समुद्री सिद्धांत

  • यह नौसेना का सर्वोच्च मार्गदर्शक दस्तावेज़ है, जो उसकी रणनीति, भूमिकाओं और संघर्ष के पूरे परिदृश्य में उपयोग को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों को निर्धारित करता है।
  • इसे सर्वप्रथम 2004 में जारी किया गया था, 2009 में संशोधित किया गया और 2015 में संशोधन किया गया।

2025 संस्करण की विशेषताएँ

  • यह विगत दशक में भारत के समुद्री वातावरण और रणनीतिक दृष्टिकोण में बड़े बदलावों को दर्शाता है।
  • इसमें पहली बार “नो-वार, नो-पीस” को एक अलग परिचालन श्रेणी के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता दी गई है, जो आधुनिक ग्रे-ज़ोन समुद्री चुनौतियों जैसे दबाव और हाइब्रिड रणनीतियों को प्रतिबिंबित करता है।
  • यह त्रि-सेवा संयुक्त सिद्धांतों के साथ संरेखित होकर संयुक्तता (Jointmanship) को प्राथमिकता देता है ताकि सशस्त्र बलों के बीच अंतरसंचालनीयता सुनिश्चित की जा सके।

प्रासंगिकता

  • अद्यतन सिद्धांत में 2015 के बाद से भारत के समुद्री वातावरण में हुए प्रमुख बदलावों को शामिल किया गया है।
  • यह राष्ट्रीय दृष्टियों के साथ संरेखित है, जैसे:
    • विकसित भारत 2047
    • सागरमाला
    • पीएम गति शक्ति
    • मैरिटाइम इंडिया विज़न 2030
    • मैरिटाइम अमृत काल विज़न 2047
    • महासागर (MAHASAGAR)

Source :IE

 

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