खाद्यान्न के भंडारण के लिए लचीला (सुदृढ़) अवसंरचना निर्माण

पाठ्यक्रम:GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • भारत ने 2024-25 में 353.96 मिलियन टन खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन किया, जिसे आधुनिक भंडारण अवसंरचना का समर्थन प्राप्त था।

भारत में खाद्यान्न भंडारण प्रणाली 

  • खाद्यान्न को भंडारित करने के कई तरीके हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
    • केंद्रीकृत भंडारण, जिसे मुख्य रूप से भारतीय खाद्य निगम (FCI) जैसी एजेंसियाँ संभालती हैं।
    • कोल्ड स्टोरेज, जो फलों, सब्जियों, दुग्ध उत्पादों और मांस जैसे नाशवान वस्तुओं के लिए होता है।
    • विकेन्द्रीकृत भंडारण, जो ग्रामीण गोदामों, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) और किसानों द्वारा खेत स्तर पर किया जाता है।

FCI की भूमिका 

  • भारतीय खाद्य निगम (FCI) भारत में खाद्यान्न के केंद्रीकृत भंडारण का प्रमुख प्रबंधन एजेंसी है। 
  • यह किसानों की आय की सुरक्षा और बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं, चावल एवं अन्य अनाज की खरीद करता है। 
  • खरीद सीधे FCI या राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा की जाती है, जो स्टॉक को FCI को भंडारण के लिए सौंपती हैं। 
  • FCI इन अनाजों को आधुनिक गोदामों और स्टील साइलो में भंडारित करता है, जिससे गुणवत्ता एवं सुरक्षा सुनिश्चित होती है। 
  • ये भंडार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को समर्थन देते हैं, जिससे कीमतों को स्थिर रखने और देशव्यापी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

खाद्यान्न भंडारण का महत्व

  • कटाई के बाद की क्षति को कम करना: कोल्ड स्टोरेज और आधुनिक गोदामों सहित उचित भंडारण से कृषि उत्पादों की बर्बादी में उल्लेखनीय कमी आती है।
  • खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना: खाद्यान्न का बफर स्टॉक बनाए रखना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) जैसे कार्यक्रमों के अंतर्गत वितरण के लिए आवश्यक है।
  • संकटकालीन बिक्री को रोकना: भंडारण सुविधाओं की उपलब्धता किसानों को अपनी उपज को रोककर उचित समय पर बेचने की सुविधा देती है, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य प्राप्त होता है।
  • मूल्य स्थिरीकरण: रणनीतिक बफर स्टॉक बनाए रखने से आवश्यक वस्तुओं की अत्यधिक मूल्य अस्थिरता से उपभोक्ताओं की रक्षा होती है।
  • गुणवत्ता बनाए रखना: वैज्ञानिक भंडारण यह सुनिश्चित करता है कि खाद्यान्न मानव उपभोग के योग्य बना रहे, नमी और कीट जैसे कारकों को नियंत्रित करके।

चुनौतियाँ

  • भंडारण की कमी: कुछ राज्यों में तीव्र स्थान संकट है, जहाँ उपभोक्ता राज्यों में धीमी गति से आपूर्ति के कारण चावल का स्टॉक जमा हो रहा है।
  • अवसंरचना की खामियाँ: कई गोदाम पुराने हैं या वैज्ञानिक भंडारण की स्थिति नहीं है, जिससे खराबी और कीट संक्रमण होता है।
  • लॉजिस्टिक बाधाएँ: खरीद, मिलिंग और वितरण में देरी से बैकलॉग बनता है तथा उपलब्ध स्थान घटता है।
  • मांग में अस्थिरता: उपभोक्ता राज्य प्रायः कम मांग की रिपोर्ट करते हैं, जिससे भंडारित अनाज का प्रवाह धीमा होता है और भीड़भाड़ बढ़ती है।
  • जलवायु संवेदनशीलता: खुले प्लेटफॉर्म पर भंडारण वर्षा और आर्द्रता के संपर्क में होता है, जिससे क्षति का खतरा बढ़ता है।

खाद्यान्न भंडारण को सुदृढ़ करने की योजनाएँ

  • कृषि अवसंरचना निधि (AIF): 2020 में शुरू की गई यह एक मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा है, जिसका उद्देश्य भारत में कृषि अवसंरचना को सुदृढ़ करना है।
    • यह कटाई के बाद प्रबंधन और कृषि परिसंपत्तियों के लिए उपयोग किए गए ऋणों पर ब्याज सब्सिडी एवं क्रेडिट गारंटी समर्थन प्रदान करती है।
  • कृषि विपणन अवसंरचना (AMI): यह योजना एकीकृत कृषि विपणन योजना (ISAM) का प्रमुख घटक है।
    • इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में कृषि विपणन अवसंरचना को सुदृढ़ करना है, गोदामों और वेयरहाउस के निर्माण और नवीनीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके।
  • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY): यह खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए आधुनिक अवसंरचना निर्माण हेतु एक व्यापक योजना है, जो खेत से उपभोक्ता बाजार तक एक सुगम और कुशल आपूर्ति श्रृंखला बनाती है।
  • कोल्ड स्टोरेज और बागवानी उत्पादों के लिए पूंजी निवेश सब्सिडी योजना: इसका उद्देश्य वैज्ञानिक भंडारण अवसंरचना को बढ़ावा देना और नाशवान उत्पादों की कटाई के बाद की क्षति को कम करना है।
    • इस योजना के ग्तंत्र्ग्त सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत का 35% और पूर्वोत्तर, पहाड़ी एवं अनुसूचित क्षेत्रों में 50% की क्रेडिट-लिंक्ड बैक-एंड सब्सिडी प्रदान की जाती है, 5,000 MT से 20,000 MT क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज तथा नियंत्रित वातावरण (CA) स्टोरेज के निर्माण, विस्तार या आधुनिकीकरण के लिए।
  • सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना: मई 2023 में सरकार ने “आत्मनिर्भर भारत” की दृष्टि के अनुरूप सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना को मंजूरी दी।
    • यह योजना PACS स्तर पर कृषि अवसंरचना के निर्माण को शामिल करती है, जैसे गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रसंस्करण इकाइयाँ और उचित मूल्य की दुकानें।
  • स्टील साइलो निर्माण: वैज्ञानिक, स्वचालित अनाज भंडारण को बढ़ावा देता है, जिससे क्षति कम होती है और शेल्फ लाइफ बढ़ती है।
  • एसेट मोनेटाइजेशन: FCI की खाली भूमि पर नए गोदामों का निर्माण करता है ताकि भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सके; 17.47 लाख मीट्रिक टन क्षमता के लिए 177 स्थानों की पहचान की गई है।
  • केंद्रीय क्षेत्र योजना (भंडारण और गोदाम): यह योजना पूर्वोत्तर राज्यों और कुछ अन्य राज्यों पर केंद्रित है, जिसमें पूर्वोत्तर के लिए ₹379.50 करोड़ और अन्य राज्यों के लिए ₹104.58 करोड़ आवंटित किए गए हैं, जो अब तक पूरी तरह जारी किए जा चुके हैं।
  • निजी उद्यमी गारंटी (PEG) योजना: 2008 से, यह योजना सरकारी गारंटी के माध्यम से वेयरहाउसिंग में निजी निवेश को प्रोत्साहित करती है, PPP मोड के माध्यम से खाद्यान्न भंडारण को बेहतर बनाती है।

निष्कर्ष 

  • कृषि भारत की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन हानि को कम करने और स्थिर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कुशल भंडारण एवं वितरण आवश्यक हैं। 
  • हालाँकि भंडारण क्षमता में विस्तार हुआ है, लेकिन स्थान की कमी और पुरानी सुविधाओं जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। 
  • भारत की कृषि वृद्धि और पोषण की रक्षा के लिए आधुनिक तकनीक एवं बेहतर लॉजिस्टिक्स की आवश्यकता है।

Source :PIB

 

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