पाठ्यक्रम: GS3/ आंतरिक सुरक्षा
समाचारों में
- गृह मंत्रालय ने मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के कुछ भागों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम को आगामी छह महीनों के लिए बढ़ा दिया है।
AFSPA क्या है?
- परिचय:
- सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 (AFSPA) एक शक्तिशाली कानून है जिसे सशस्त्र बलों को उग्रवाद-रोधी अभियानों में सशक्त बनाने के लिए लागू किया गया था।
- महत्वपूर्ण प्रावधान
- धारा 3: राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का राज्यपाल किसी क्षेत्र को “अशांत क्षेत्र” घोषित कर सकता है।
- धारा 4: सशस्त्र बलों को परिसर की तलाशी लेने, बिना वारंट गिरफ्तारी करने और प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध बल प्रयोग (यहाँ तक कि मृत्यु तक) करने का अधिकार देता है।
- धारा 6: गिरफ्तार व्यक्तियों और जब्त संपत्ति को शीघ्र ही स्थानीय पुलिस को सौंपना अनिवार्य है।
- धारा 7: सशस्त्र बलों को अभियोजन से प्रतिरक्षा प्रदान करता है—किसी भी कानूनी कार्यवाही की शुरुआत केवल केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति से ही हो सकती है।
आलोचनाएँ
- मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोप, जिनमें न्यायेतर हत्याएँ, यातना और गायब होने की घटनाएँ शामिल हैं।
- लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध माना जाता है, जिससे जीवन और स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) सीमित होते हैं।
- उग्रवाद से निपटने में सीमित सफलता, प्रायः स्थानीय जनसंख्या में असंतोष को बढ़ावा देने वाला माना जाता है।
समिति की सिफारिशें
- न्यायमूर्ति जीवन रेड्डी समिति (2005): AFSPA को निरस्त करने की सिफारिश की, और इसके आवश्यक प्रावधानों को गैरकानूनी गतिविधियाँ (निवारण) अधिनियम (UAPA) में शामिल करने का सुझाव दिया।
- संतोष हेगड़े आयोग (2013): मणिपुर में AFSPA के दुरुपयोग की रिपोर्ट दी, जिसमें कई “मुठभेड़ों” को फर्जी बताया गया।
आगे की राह
- अस्पष्ट प्रावधानों में संशोधन कर पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना।
- स्वतंत्र निगरानी के माध्यम से मानवाधिकार उल्लंघनों पर नियंत्रण सुनिश्चित करना।
- उत्तर-पूर्वी राज्यों के सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना ताकि उग्रवाद के मूल कारणों का समाधान हो सके।
- सुरक्षा आवश्यकताओं और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के बीच संतुलित ढांचा स्थापित करना।
Source: TH
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