मार्च-अप्रैल 2025 में वज्रपात/विद्युत विसर्जन से 160 से अधिक लोगों की मृत्यु

पाठ्यक्रम: GS1/ भूगोल

संदर्भ

  • मार्च 2025 से अप्रैल 2025 के मध्य तक 12 भारतीय राज्यों में वज्रपात/विद्युत विसर्जन से लगभग 162 लोगों की मृत्यु हो गयी।
    •  बिहार में 99 मौतें (राष्ट्रीय कुल आँकड़ों का 61%) दर्ज की गईं, उसके बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है।

वज्रपात/विद्युत विसर्जन क्या है?

  • वज्रपात/विद्युत विसर्जन बादल और धरातल में आवेशित कणों के बीच एक विद्युत निर्वहन है।
  • हालाँकि वायु सामान्यतः एक विद्युत इन्सुलेटर के रूप में कार्य करती है, जब वोल्टेज लगभग 3 मिलियन वोल्ट प्रति मीटर (V/m) तक पहुँच जाता है, तो वायु के इन्सुलेटिंग गुण टूट जाते हैं, जिससे एक शक्तिशाली विद्युत प्रवाह गुजरता है।
  • इसके परिणामस्वरूप अचानक ऊर्जा निकलती है, जिससे एक प्रज्वलित चमक और संबंधित ध्वनि तरंग (गर्जन) उत्पन्न होती है।
वज्रपात-विद्युत विसर्जन

भारत में वज्रपात/विद्युत विसर्जन की बढ़ती घटनाओं के लिए जिम्मेदार कारक

  • भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियाँ: पूर्वी राज्यों और तटीय क्षेत्रों में उच्च आर्द्रता के कारण वहाँ गर्जन और वज्रपात/विद्युत विसर्जन की घटनाएँ अधिक होती हैं।
    • हिमालय और पश्चिमी घाट जैसी स्थलाकृति भी वज्रपात/विद्युत विसर्जन की आवृत्ति को प्रभावित करती है।
  • मानसून की गतिशीलता: मानसून के दौरान होने वाली तीव्र वर्षा और संवहनी गतिविधियाँ भारत में विद्युत विसर्जन का प्रमुख कारण हैं।
    • नमी से भरपूर वायुराशि का अभिसरण और मानसून के दौरान उष्ण, आर्द्र वायु का ऊपर उठना प्रायः गरज और विद्युत विसर्जन का कारण बनता है।
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण: तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण से वातावरण में कृत्रिम गर्मी स्रोतों और एरोसोल की संख्या बढ़ जाती है।
    • ये संवहन को बढ़ाते हैं और गरज के साथ अधिक बार आँधी-तूफान उत्पन्न करते हैं, जिससे विद्युत विसर्जन की घटनाएँ बढ़ती हैं।
  • जलवायु परिवर्तन: वैश्विक जलवायु पैटर्न में बदलाव स्थानीय मौसम पर प्रभाव डाल रहे हैं।
    • बढ़ते तापमान और आर्द्रता स्तर में परिवर्तन तूफान की गतिशीलता को बदलते हैं, जिससे विद्युत विसर्जन की घटनाएँ अधिक बार और तीव्र हो सकती हैं।
  • कृषि संबंधी गतिविधियाँ: कृषि अवशेषों का जलाना और वनों की कटाई वातावरण में कणों के संचय में योगदान करते हैं।
    • ये कण बादलों के निर्माण को प्रभावित करते हैं और गरज के साथ विद्युत विसर्जन की संभावना बढ़ाते हैं।

सरकारी पहल

  • CROPC (जलवायु प्रतिरोधकता अवलोकन प्रणाली संवर्धन परिषद) ने भारत की पहली विद्युत विसर्जन पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की है, जिसका उद्देश्य विद्युत विसर्जन गिरने की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना और अलर्ट जारी करना है। 
  • सचेत मोबाइल ऐप को लोगों को आसन्न विद्युत विसर्जन खतरों के बारे में सचेत करने के लिए लॉन्च किया गया।
    • 2020 में, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM)-पुणे ने दामिनी ऐप विकसित किया।

आगे का राह

  • संचार प्रणाली को मजबूत करना ताकि चेतावनी प्रभावी ढंग से संवेदनशील जनसंख्या तक पहुँचे।
  • स्थानीय अधिकारियों को शीघ्र कार्रवाई करने के लिए प्रशिक्षित करना।
  • मानसून और पूर्व-मानसून मौसम के दौरान बिजली सुरक्षा उपायों के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना।
  • NDMA के प्रोटोकॉल का बुनियादी स्तर पर बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित करना ताकि जानमाल की हानि को न्यूनतम किया जा सके।

Source: DTE

 

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