द टी हॉर्स रोड (The Tea Horse Road)
पाठ्यक्रम: GS1/इतिहास
समाचार में
- भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने हाल ही में टी हॉर्स रोड के ऐतिहासिक महत्त्व पर प्रकाश डाला तथा तिब्बत के माध्यम से भारत-चीन व्यापार को सुविधाजनक बनाने में इसकी भूमिका पर बल दिया।
टी हॉर्स रोड क्या है?
- टी हॉर्स मार्ग चीन, तिब्बत और भारत को जोड़ने वाला एक प्राचीन व्यापार मार्ग था। इसका उपयोग मुख्य रूप से तिब्बत से घोड़ों के बदले चीन से चाय का व्यापार करने के लिए किया जाता था, जिससे इस क्षेत्र में एक आवश्यक वाणिज्यिक नेटवर्क बनता था।
- इसके दो मुख्य मार्ग थे जो युन्नान प्रांत के दाली और लिजिआंग जैसे शहरों से होकर गुजरते थे। ये मार्ग भारत, नेपाल और बांग्लादेश में शाखाओं में बंटने से पूर्व तिब्बत में ल्हासा तक पहुँचते थे।
- इसकी उत्पत्ति चीन में तांग राजवंश (618-907 ई.) के दौरान हुई थी।
- बौद्ध भिक्षु यिजिंग (635-713 ई.) ने बताया कि चीनी, कपड़ा और चावल के नूडल्स जैसे सामान दक्षिण-पश्चिमी चीन से तिब्बत और भारत भेजे जाते थे, जबकि घोड़े, चमड़ा, तिब्बती सोना, केसर एवं औषधीय जड़ी-बूटियाँ चीन भेजी जाती थीं।

टी हॉर्स रोड का महत्त्व
- तिब्बत के माध्यम से भारत-चीन व्यापार संबंधों को मजबूत किया।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुगम बनाया, भोजन, वस्त्र और बौद्ध धर्म को प्रभावित किया।
- चीन के चाय उत्पादक क्षेत्रों को भारत के व्यापारिक केंद्रों से जोड़कर आर्थिक निर्भरता को बढ़ावा दिया।
Source: IE
पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन
पाठ्यक्रम: GS 1/इतिहास
समाचार में
- पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 23 फरवरी को अजीत सिंह के सम्मान में पगड़ी संभाल दिवस के रूप में मनाया।
पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन
- “पगड़ी संभाल जट्टा” का अर्थ है “हे किसान, अपनी पगड़ी संभालो”, जो आत्म-सम्मान और सम्मान का प्रतीक है।
- इसे 1907 में अजीत सिंह ने तीन दमनकारी ब्रिटिश कृषि कानूनों के विरोध में प्रारंभ किया था।
- इस आंदोलन ने निम्नलिखित ब्रिटिश कानूनों का विरोध किया
- पंजाब भूमि अलगाव अधिनियम, 1900 ने किसानों के भूमि बेचने या गिरवी रखने के अधिकारों को प्रतिबंधित कर दिया।
- पंजाब भूमि उपनिवेशीकरण अधिनियम, 1906 ने चिनाब कॉलोनी में भूमि पर ब्रिटिश नियंत्रण दिया।
- दोआब बारी अधिनियम, 1907 ने किसानों को ठेका मजदूरों में बदल दिया। किसानों पर भूमि और सिंचाई पर उच्च करों का भी भार था।
आंदोलन का प्रभाव:
- यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ किसानों के पहले बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक था।
- इससे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, सविनय अवज्ञा और सार्वजनिक दबाव उत्पन्न हुआ।
- इस विरोध के कारण ब्रिटिश सरकार ने कुछ दमनकारी धाराओं को निरस्त कर दिया।
- इसने ग़दर आंदोलन और भगत सिंह की गतिविधियों जैसे भविष्य के आंदोलनों को प्रेरित किया।
अजीत सिंह – 23 फरवरी, 1881 को पंजाब के खटकर कलां गाँव में जन्मे। – वे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी नेता थे। – उन्होंने लाला हरदयाल और मैडम कामा सहित यूरोप में अन्य क्रांतिकारियों के साथ कार्य किया। – उन्होंने अपने भतीजे भगत सिंह को प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। – ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध के कारण वे 1909 से 1947 तक निर्वासित रहे। – 15 अगस्त, 1947 को उनकी मृत्यु हो गई, जिस दिन भारत को स्वतंत्रता मिली थी। |
Source: IE
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड
पाठ्यक्रम :GS 2/शासन व्यवस्था
समाचार में
- उच्चतम न्यायालय ने प्रश्न उठाया कि एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoRs) गैर-AoRs को उनकी ओर से मामलों में प्रस्तुत होने के लिए कैसे अधिकृत कर सकते हैं।
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड
- एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (AOR) एक वकील होता है जिसे उच्चतम न्यायालय के नियमों के तहत सीधे उच्चतम न्यायालय में मुवक्किल की ओर से कार्य करने, दलील देने और केस दायर करने का अधिकार होता है।
- इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 145(1) के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जो न्यायालय को अपनी प्रथाओं और प्रक्रियाओं को विनियमित करने की शक्ति प्रदान करता है।
- सुप्रीम कोर्ट रूल्स, 2013 में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बनने के लिए पूरी की जाने वाली आवश्यकताओं को निर्धारित किया गया है।
Source :Livelaw
भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCISM)
पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य
संदर्भ
- राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (NCISM) ने देश भर के आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी मेडिकल कॉलेजों को सख्त चेतावनी जारी की है।
परिचय
- भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए राष्ट्रीय आयोग, NCISM अधिनियम, 2020 के अंतर्गत गठित वैधानिक निकाय है।
- यह आयोग आयुष मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और आयुर्वेद एवं यूनानी बोर्ड तथा यूनानी, सिद्ध और सोवारिगपा बोर्ड को नियंत्रित करता है।
उद्देश्य:
- भारतीय चिकित्सा पद्धति (ISM) के पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा पेशेवरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना;
- भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सा पेशेवरों द्वारा नवीनतम चिकित्सा अनुसंधान को अपनाना; और
- ISM चिकित्सा संस्थानों का आवधिक मूल्यांकन।
Source: FPJ
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