भारत और UAE-CEPA के 3 वर्ष

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध/GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • भारत-संयुक्त अरब अमीरात (UAE) व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) ने 2025 में अपने हस्ताक्षर के तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं।

व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते( (CEPA)) के बारे में

  • यह पिछले दशक में भारत का प्रथम गहन और पूर्ण मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है।
  • यह दो प्रमुख व्यापार भागीदारों के बीच एक रणनीतिक आर्थिक सहयोग का प्रतिनिधित्व करता है और इससे द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि होने की संभावना है।
  • फरवरी 2022 में हस्ताक्षरित, CEPA कई क्षेत्रों को कवर करता है, जिनमें सम्मिलित हैं:
    • वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार
    • फार्मास्युटिकल्स
    • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)
    • निवेश और डिजिटल व्यापार

भारत- UAE CEPA का महत्त्व

  • द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना: आगामी पाँच वर्षों में वस्तुओं के व्यापार को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तथा सेवाओं के व्यापार को 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य है।
    • खाड़ी क्षेत्र में भारत के सबसे बड़े व्यापार भागीदारों में से एक के साथ आर्थिक संबंधों को मजबूत करना। 
  • रोजगार सृजन और आर्थिक विकास: व्यापार उदारीकरण और बेहतर बाजार पहुँच के माध्यम से भारतीय कार्यबल के लिए 1 मिलियन से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है। 
  • भारतीय वस्तुओं के लिए तरजीही बाजार पहुँच: भारत के श्रम-प्रधान निर्यात के लिए बाजार पहुँच को बढ़ाता है।
    • UAE को भारत के 90% निर्यात के लिए शून्य-शुल्क बाजार पहुँच प्रदान करता है, जिससे भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होता है। 
  • खाड़ी क्षेत्र में UAE-भारत व्यापार संबंधों को मजबूत करना: UAE के पड़ोसी बाजारों, विशेष रूप से खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) राज्यों, अफ्रीका और यूरोप तक भारतीय निर्यातकों की पहुँच का विस्तार करता है।

संयुक्त अरब अमीरात और भारत संबंधों का संक्षिप्त अवलोकन

  • राजनीतिक: भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE ) ने 1972 में राजनयिक संबंध स्थापित किए।
  • बहुपक्षीय सहयोग: भारत और UAE वर्तमान में कई बहुपक्षीय मंचों जैसे I2U2 (भारत-इज़राइल-UAE-USA) और UFI (UAE-फ्रांस-भारत) त्रिपक्षीय आदि का हिस्सा हैं।
    • UAE को G-20 शिखर सम्मेलन में अतिथि देश के रूप में भी आमंत्रित किया गया था।
  • आर्थिक और वाणिज्यिक: भारत-UAE व्यापार, जिसका मूल्य 1970 के दशक में प्रति वर्ष 180 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, आज 85 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिससे UAE वर्ष 2022-23 के लिए चीन और अमेरिका के पश्चात् भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
    • UAE भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य (अमेरिका के पश्चात्) है, जिसका वर्ष 2022-23 के लिए लगभग 31.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ है।
  • रक्षा सहयोग: इसे मंत्रालय स्तर पर संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (JDCC) के माध्यम से संचालित किया जाता है, जिसके अंतर्गत 2003 में रक्षा सहयोग पर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जो 2004 में प्रभावी हुआ।
  • परमाणु सहयोग: भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने 2024 में असैन्य परमाणु सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
    • 2015 में, दोनों देशों ने “परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग” में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की थी, यह समझौता परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश का विस्तार करने की UAE की नीति का हिस्सा है।
  • अंतरिक्ष सहयोग: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और UAE अंतरिक्ष एजेंसी ने 2016 में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष की खोज और उपयोग में सहयोग के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • भारतीय समुदाय: लगभग 3.5 मिलियन का भारतीय प्रवासी समुदाय UAE का सबसे बड़ा जातीय समुदाय है, जो देश की आबादी का लगभग 35% हिस्सा है।
  • NRI धन प्रेषण: भारतीय समुदाय द्वारा किया गया वार्षिक धन प्रेषण भारत में कुल धन प्रेषण का 18% है [2020-21 डेटा]।

चुनौतियाँ

  • व्यापार असंतुलन: भारत का संयुक्त अरब अमीरात के साथ व्यापार घाटा है, जिसका मुख्य कारण संयुक्त अरब अमीरात से उच्च तेल आयात है, जो गैर-तेल व्यापार में वृद्धि के बावजूद आर्थिक संबंधों को असमान बनाता है।
  •  क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव: मध्य पूर्व और खाड़ी क्षेत्र में राजनीतिक अस्थिरता द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करती है, विशेष रूप से इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों को प्रभावित करती है। 
  • श्रम और प्रवासन मुद्दे: भारत संयुक्त अरब अमीरात में प्रवासी श्रमिकों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, और भारतीय श्रमिकों के कल्याण और अधिकारों से संबंधित मुद्दे चिंता का विषय रहे हैं। 
  • संयुक्त अरब अमीरात की विदेश नीति: ईरान और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ भारत के संबंध कभी-कभी संयुक्त अरब अमीरात के साथ उसके संबंधों को जटिल बनाते हैं, जो इस क्षेत्र में अलग-अलग रणनीतिक प्राथमिकताओं को बनाए रखता है।

आगे की राह

  • आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना: तेल से परे व्यापार में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखना, 2030 तक गैर-तेल व्यापार के लिए 100 बिलियन अमरीकी डॉलर का लक्ष्य प्राप्त करना।
  • संयुक्त रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग: आतंकवाद-रोधी, क्षेत्रीय सुरक्षा और रक्षा में सहयोग को बढ़ाना, एक स्थिर और शांतिपूर्ण मध्य पूर्व के साझा लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना।
  • श्रम और प्रवासी मुद्दों को संबोधित करना: बेहतर श्रम नीतियों और सुरक्षा तंत्रों के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रवासी श्रमिकों के कल्याण और अधिकारों को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करना।

Source: PIB

 

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