पाठ्यक्रम: GS2/ शासन
संदर्भ
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है।
परिचय
- आईटी नियम, 2021 में प्रस्तावित नया संशोधन निम्नलिखित उद्देश्यों को लेकर लाया गया है:
- ऑनलाइन सामग्री नियमन और हटाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता को सुदृढ़ करना;
- एआई-जनित एवं कृत्रिम मीडिया (डीपफेक्स) से निपटना; और
- यह सुनिश्चित करना कि सामग्री मॉडरेशन के लिए सरकारी आदेश वैध, संतुलित और जवाबदेह हों।
प्रमुख प्रस्तावित संशोधन
- सामग्री नियमन के लिए अधिकृत अधिकारी: केवल संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी (या केंद्र सरकार में समकक्ष) और राज्य स्तर पर पुलिस महानिदेशक स्तर के अधिकारी ही सामग्री हटाने के अनुरोध जारी कर सकते हैं।
- यह निम्न स्तर के नौकरशाही आदेशों के दुरुपयोग को रोकने और जवाबदेही सुनिश्चित करने में सहायता करेगा।
- कानूनी आधार: प्रत्येक सामग्री हटाने के आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख होना चाहिए:
- वैधानिक आधार (आईटी अधिनियम या संबंधित कानूनों के अंतर्गत विशिष्ट प्रावधान);
- सटीक यूआरएल, पोस्ट या सामग्री पहचानकर्ता; और
- लिखित रूप में हटाने के कारण। यह सुनिश्चित करता है कि निर्णयों का पता लगाया जा सके और वे न्यायिक समीक्षा के अधीन हों।
- समीक्षा तंत्र: सभी हटाने की कार्रवाइयों की मासिक समीक्षा सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी ताकि वैधता, आवश्यकता और संतुलन सुनिश्चित किया जा सके।
- यह पारदर्शिता को बढ़ाएगा और मनमाने सेंसरशिप को कम करेगा।
- एआई-जनित सामग्री का नियमन: “कृत्रिम रूप से उत्पन्न जानकारी” की परिभाषा प्रस्तुत की गई है — कोई भी सामग्री (छवि, वीडियो या ऑडियो) जो एल्गोरिदम द्वारा वास्तविक दिखने के लिए बनाई या संशोधित की गई हो।
- यह स्पष्ट करता है कि एआई-संशोधित मीडिया क्या होता है।
- डीपफेक्स की लेबलिंग: प्लेटफॉर्म्स को एआई-जनित दृश्य और ऑडियो पर स्पष्ट लेबल या मेटाडेटा लगाना होगा, जो फ्रेम क्षेत्र या अवधि का कम से कम 10% कवर करे।
- प्लेटफॉर्म की जवाबदेही: प्रमुख सोशल मीडिया मध्यस्थ (SSMIs) — जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, X और यूट्यूब— को:
- संभावित रूप से एआई-संशोधित सामग्री अपलोड करते समय उपयोगकर्ता से घोषणा प्राप्त करनी होगी।
- डीपफेक्स या कृत्रिम मीडिया की पहचान और टैगिंग के लिए स्वचालित पहचान उपकरणों का उपयोग करना होगा।
- परिश्रम संबंधी दायित्व: इन मानदंडों का पालन न करने पर आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के अंतर्गत “सेफ हार्बर” सुरक्षा समाप्त हो जाएगी।
- प्लेटफॉर्म्स को अवैध या भ्रामक सामग्री की मेज़बानी के लिए कानूनी रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
महत्व
- भारत के डिजिटल शासन ढांचे और ऑनलाइन सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करता है।
- एआई के दुरुपयोग, फेक न्यूज़ और डीपफेक्स से निपटने पर सरकार के फोकस के साथ मेल खाता है।
- डिजिटल क्षेत्र में विश्वास और पारदर्शिता को सुदृढ़ करता है।
चिंताएं
- सरकार द्वारा नियुक्त फैक्ट-चेक संस्थाओं के माध्यम से सेंसरशिप और अतिरेक का जोखिम।
- “फेक” या “भ्रामक” सामग्री की परिभाषा में अस्पष्टता।
- छोटे प्लेटफॉर्म्स के लिए तकनीकी आवश्यकताओं का पालन करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
आगे की राह
- सामग्री मॉडरेशन में स्वतंत्र निगरानी सुनिश्चित करने की आवश्यकता।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उपयोगकर्ता संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना।
- नियामक उपायों के पूरक के रूप में डिजिटल साक्षरता और नैतिक एआई उपयोग को प्रोत्साहित करना।
Source: TH