पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिदृश्य ने 2025 में उल्लेखनीय गति प्राप्त की, जिसमें वैश्विक रैंकिंग में सुधार, अनुसंधान और नवाचार के लिए बड़े पैमाने पर वित्तपोषण, तथा अग्रणी प्रौद्योगिकियों में प्रगति सम्मिलित रही।
विज्ञान और नवाचार में बढ़ती वैश्विक स्थिति
- भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक 2025 में 38वाँ स्थान प्राप्त किया, जो विश्व की सबसे नवाचारी अर्थव्यवस्थाओं में स्थिर प्रगति को दर्शाता है।
- भारत बौद्धिक संपदा दाखिलों में वैश्विक स्तर पर 6ठे स्थान पर रहा, जो बढ़ते नवाचार उत्पादन को रेखांकित करता है।
- नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स में भी सुधार हुआ, जहाँ भारत 2019 में 79वें स्थान से बढ़कर 2024 में 49वें स्थान पर पहुँचा।
- भारत शोध प्रकाशनों में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर रहा, जिससे इसका शैक्षणिक और वैज्ञानिक विस्तार सुदृढ़ हुआ।
सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम
- अनुसंधान, विकास और नवाचार (RDI) योजना: इसे छह वर्षों में ₹1 लाख करोड़ के कुल प्रावधान के साथ स्वीकृति दी गई।
- यह योजना निजी क्षेत्र की भागीदारी आकर्षित करने के लिए बनाई गई है और एआई, क्वांटम प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान पर केंद्रित है।
- अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF): ANRF 2023 अधिनियम के अंतर्गत स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना तथा भारत के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों एवं प्रयोगशालाओं में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है।
- ANRF एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करेगा जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की सिफारिशों के अनुसार देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को उच्च-स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करेगा।
- अटल नवाचार मिशन (AIM): छात्रों और पेशेवरों के बीच स्टार्टअप, उद्यमिता और नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
- राष्ट्रीय मिशनों का शुभारंभ:
- राष्ट्रीय क्वांटम मिशन: भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों के विकास में अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए (बजट प्रावधान: ₹6,003.65 करोड़)।
- भारत सेमीकंडक्टर मिशन: भारत में सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए (₹76,000 करोड़)।
- भारत एआई मिशन: एआई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए (बजट प्रावधान: ₹10,372 करोड़)।
- राष्ट्रीय मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स (NM-ICPS): रोबोटिक्स, एआई, स्वास्थ्य सेवा, साइबर सुरक्षा और खनन प्रौद्योगिकियों में क्षमताओं को सुदृढ़ किया।
- नवाचार, स्टार्टअप और समावेशी विज्ञान: NIDHI (नवाचारों के विकास और उपयोग के लिए राष्ट्रीय पहल) जैसी पहलों के माध्यम से, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने स्टार्टअप इनक्यूबेशन को टियर II और III शहरों तक विस्तारित किया, नए इनक्यूबेटर और उद्यमी-इन-रेज़िडेंस केंद्र स्थापित किए, तथा उन्नत विनिर्माण एवं चिकित्सा उपकरण नवाचार को समर्थन दिया।
- अनुसंधान पार्क: IIT दिल्ली, IIT गुवाहाटी, IIT खड़गपुर, IIT कानपुर और IIT चेन्नई में अनुसंधान पार्क स्थापित किए गए हैं, जो उद्यमिता और उद्योग के बीच एक इंटरफ़ेस प्रदान करते हैं ताकि छात्र और संकाय सदस्यों के सहयोग से उद्योग अपने R&D इकाइयाँ स्थापित कर सकें।
चुनौतियाँ
- वित्तीय बाधाएँ: मजबूत सरकारी समर्थन के बावजूद, भारत में निजी क्षेत्र का R&D निवेश वैश्विक मानकों की तुलना में सीमित है, जिससे बड़े पैमाने पर नवाचार बाधित होता है।
- प्रतिभा बनाए रखने की चुनौती: ब्रेन ड्रेन जारी है, क्योंकि कुशल शोधकर्ता बेहतर अवसंरचना, वित्तपोषण और करियर अवसरों के कारण विदेशों की ओर आकर्षित होते हैं।
- सीमित विश्वविद्यालय-उद्योग सहयोग: अकादमिक जगत और उद्योग के बीच कमजोर संबंध अनुसंधान के व्यावसायीकरण में बाधा डालते हैं।
- कुशल कार्यबल की कमी: डीप-टेक और अंतःविषय क्षेत्रों में प्रशिक्षित R&D पेशेवरों की कमी है।
आगे की राह
- भारत के अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए किए गए प्रयास एक रणनीतिक दृष्टि को दर्शाते हैं, जिसका लक्ष्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता बनना है।
- भारत को अपनी वैश्विक स्थिति बनाए रखने और बढ़ाने के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकियों में अपनी क्षमताओं को तीव्र करना होगा।
- प्रतिभा बनाए रखने, प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण और वैश्विक साझेदारियों पर निरंतर ध्यान भारत को न केवल राष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाएगा, बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा, जिससे सतत विकास और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
Source: DD News
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