भारत-ओमान व्यापार और निवेश संबंध सुदृढ़

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संदर्भ

  • भारत और ओमान ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते ( CEPA) पर हस्ताक्षर किए हैं।
    • यह प्रथम द्विपक्षीय समझौता है जिसे ओमान ने 2006 में संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद किसी देश के साथ किया है।

मुख्य विशेषताएँ 

  • एफटीए : इस समझौते पर वार्ता आधिकारिक रूप से 2023 में शुरू हुई।
    • एफटीए में दो व्यापारिक साझेदार अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को अत्यंत सीमा तक कम या समाप्त कर देते हैं।
    • वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश आकर्षित करने के लिए मानदंडों को भी सुलभ बनाते हैं।
    • भारत ने पहले ही जीसीसी (GCC) के एक अन्य सदस्य यूएई के साथ इसी तरह का समझौता किया है, जो 2022 में प्रभावी हुआ।
  • शुल्क-मुक्त पहुँच : ओमान ने अपनी 98.08% टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क पहुँच की पेशकश की है, जो भारत के ओमान को निर्यात का 99.38% कवर करती है।
    • भारत 77.79% टैरिफ लाइनों पर उदारीकरण की पेशकश कर रहा है, जो मूल्य के हिसाब से भारत के ओमान से आयात का 94.81% कवर करती है।
  • सीईपीए से बहिष्करण : अपने हितों की रक्षा के लिए भारत ने संवेदनशील उत्पादों को बहिष्करण श्रेणी में रखा है।
    • इसमें कृषि उत्पाद (डेयरी, चाय, कॉफी, रबर एवं तंबाकू), सोना और चाँदी की सिल्लियाँ, आभूषण; अन्य श्रम-प्रधान उत्पाद जैसे जूते, खेल सामग्री; तथा कई धातुओं का स्क्रैप शामिल है।
  • उन्नत गतिशीलता : सीईपीए की एक प्रमुख विशेषता भारतीय पेशेवरों के लिए उन्नत गतिशीलता ढाँचा है।
    • ओमान ने व्यापक प्रतिबद्धताएँ दी हैं, जिनमें इंट्रा-कारपोरेट ट्रांसफरीज़ के कोटा को 20% से बढ़ाकर 50% करना शामिल है।
    • संविदात्मक सेवा प्रदाताओं के लिए रहने की अवधि 90 दिनों से बढ़ाकर दो वर्ष कर दी गई है, जिसे आगे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
  • एफडीआई : सीईपीए भारतीय कंपनियों को ओमान के प्रमुख सेवा क्षेत्रों में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देता है।
    • इससे भारत की सेवा उद्योग को क्षेत्र में अपने संचालन का विस्तार करने का अवसर मिलेगा।
  • पारंपरिक चिकित्सा: ओमान ने पारंपरिक चिकित्सा पर सभी आपूर्ति तरीकों में प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
    • यह किसी भी देश द्वारा की गई प्रथम व्यापक प्रतिबद्धता है।
    • इससे भारत के आयुष और वेलनेस क्षेत्रों को खाड़ी क्षेत्र में अपनी क्षमता दिखाने का महत्वपूर्ण अवसर मिलेगा।

भारत-ओमान संबंध 

  • कूटनीतिक संबंध: 1955 में औपचारिक रूप से स्थापित हुए और 2008 में रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हुए।
  • व्यापार संबंध: ओमान भारत का 28वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है (वित्त वर्ष 2023-24)।
    • द्विपक्षीय व्यापार 2017-18 में 6.70 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 10.61 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
    • भारत ओमान के गैर-तेल आयात का चौथा सबसे बड़ा स्रोत और गैर-तेल निर्यात का तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य है।
  • निवेश प्रवाह: ओमान में 6,000 से अधिक भारत-ओमान संयुक्त उद्यम संचालित हो रहे हैं।
    • इनका पूँजी निवेश लगभग 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर है।
    • 2000 से 2025 के बीच भारत में ओमान का संचयी एफडीआई इक्विटी प्रवाह 605.57 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
  • रक्षा सहयोग: भारत और ओमान तीनों सेनाओं के बीच द्विवार्षिक अभ्यास करते हैं।
    • थल सेना अभ्यास: अल नजाह
    • वायु सेना अभ्यास: ईस्टर्न ब्रिज
    • नौसेना अभ्यास: नसीम अल बहर
  • समुद्री सहयोग: ओमान होर्मुज़ जलडमरूमध्य के प्रवेश द्वार पर स्थित है, जिसके माध्यम से भारत अपनी एक-पाँचवाँ तेल आयात करता है।
    • भारत ने 2018 में ओमान के दुक़्म बंदरगाह तक पहुँच के लिए समझौता किया।
    • दुक़्म बंदरगाह ओमान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है, जो अरब सागर और हिंद महासागर की ओर देखता है।
    • यह रणनीतिक रूप से ईरान के चाबहार बंदरगाह के निकट है।
जीसीसी (GCC) के बारे में
– यह छह मध्य-पूर्वी देशों—सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, क़तर, बहरीन और ओमान—का राजनीतिक एवं आर्थिक गठबंधन है।
– इसकी स्थापना 1981 में हुई थी।
– इसका उद्देश्य अपने सदस्यों के बीच एकता स्थापित करना है, जो उनके समान उद्देश्यों और अरब-इस्लामी संस्कृति में निहित राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पहचान पर आधारित है।
– परिषद की अध्यक्षता वार्षिक रूप से घूमती रहती है।

आगे की राह  

  • भारत-ओमान आर्थिक संबंध अब विविधीकरण, स्थिरता और दीर्घकालिक रणनीतिक सामंजस्य से प्रेरित हैं।
  • सीईपीए से द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि, रोजगार सृजन, निर्यात विस्तार, आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने और भारत-ओमान के बीच गहरे, दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग के नए अवसर सृजित होने की संभावना है।

Source: DD

 

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