सर्वोच्च न्यायालय ने अरावली की सीमाओं को स्पष्ट किया, खनन को विनियमित किया

पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण

संदर्भ

  • सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही के आदेश में अरावली पहाड़ियों और श्रृंखलाओं की एक समान परिभाषा तय की है तथा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान एवं गुजरात में नई खनन लीज़ देने पर रोक लगा दी है।

अरावली श्रृंखला का महत्व

  • अरावली श्रृंखला लगभग 692 किलोमीटर (430 मील) तक उत्तर-पूर्व दिशा में फैली हुई है। यह गुजरात, राजस्थान और हरियाणा से होकर दिल्ली तक जाती है तथा भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है।
    • राजस्थान इस पर्वत श्रृंखला का लगभग दो-तिहाई हिस्सा समेटे हुए है।
  • यह थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार को हरियाणा, राजस्थान एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रोकने वाली एक महत्वपूर्ण पारिस्थितिक बाधा का कार्य करती है।
  • अरावली जल पुनर्भरण प्रणाली को सहायता देती है और साबरमती एवं लूनी जैसी नदियों का स्रोत है।
  • यह क्षेत्र बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, संगमरमर, ग्रेनाइट, सीसा, जस्ता, तांबा, सोना और टंगस्टन जैसे खनिजों से समृद्ध है।

खनन के विरुद्ध उठाए गए कदम 

  • मई 2024 में, न्यायालय ने अरावली श्रृंखला में खनन लीज़ देने और नवीनीकरण पर रोक लगाई तथा केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) को विस्तृत समीक्षा करने का निर्देश दिया।
  • सीईसी ने अपनी 2024 की रिपोर्ट में सिफारिश की:
    • संरक्षित आवास, जल निकाय, बाघ गलियारे, भू-जल पुनर्भरण क्षेत्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध।
    • पत्थर-क्रशिंग इकाइयों पर सख्त नियमन।
    • मानचित्रण और प्रभाव आकलन पूरा होने तक नई लीज़ और नवीनीकरण पर रोक।
    • अरावली पहाड़ियों और श्रृंखलाओं की एक समान परिभाषा।

अरावली की नई परिभाषा

  • कोई भी स्थलाकृति जो स्थानीय स्तर से 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई पर है, उसे उसकी ढलानों और आस-पास की भूमि सहित अरावली पहाड़ियों का हिस्सा माना जाएगा।
  • इस परिभाषा के अनुसार अरावली पहाड़ियों का 90% हिस्सा अब अरावली नहीं माना जाएगा।
  • बहिष्कृत क्षेत्र: मंत्रालय की सूची में चार राज्यों के 34 अरावली ज़िलों का उल्लेख है, लेकिन कई ऐसे ज़िले छूट गए हैं जहाँ अरावली की उपस्थिति स्थापित है।
अरावली ग्रीन वॉल पहल
– वर्ष 2025 में केंद्र सरकार ने अरावली ‘ग्रीन वॉल’ परियोजना शुरू की।
– इस पहल का उद्देश्य अरावली श्रृंखला के चारों ओर पाँच किलोमीटर के बफर क्षेत्र में हरित आवरण का विस्तार करना है।
– यह गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के 29 जिलों को कवर करती है।
– परियोजना का लक्ष्य 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर क्षतिग्रस्त भूमि को पुनर्स्थापित करना और मरुस्थलीकरण के विरुद्ध पारिस्थितिकीय लचीलापन को सुदृढ़ करना है।

आगे की राह

  • 100 मीटर ऊँचाई की परिभाषा को स्वीकार करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने मंत्रालय से भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE) की सहायता से अरावली पहाड़ियों के लिए सतत खनन हेतु प्रबंधन योजना विकसित करने को कहा है।

Source: TH



 

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