पाठ्यक्रम: GS2/शासन
संदर्भ
- ग्रामीण विकास तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने लोकसभा में विकसित भारत – रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण): वीबी जी राम जी विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया।
परिचय
- यह विधेयक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) को प्रतिस्थापित करेगा।
- यह कदम “मांग-आधारित ढाँचे” से “आपूर्ति-आधारित योजना” की ओर बदलाव को दर्शाएगा।
मुख्य वैधानिक प्रावधान
- वर्धित आजीविका गारंटी: यह ग्रामीण परिवारों के लिए वैधानिक मजदूरी रोजगार गारंटी को 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन प्रति वित्तीय वर्ष कर देगा, उन वयस्कों के लिए जो अकुशल श्रम कार्य करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं।
- केंद्रीय प्रायोजित योजना: यह योजना केंद्र और राज्यों के बीच साझा जिम्मेदारियों के साथ एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में लागू की जाएगी।
- वित्तीय साझेदारी पैटर्न: उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 90:10 तथा अन्य सभी राज्यों के लिए 60:40 का अनुपात होगा।
- राज्यों को मानक आवंटन: राज्यों को जिलों और ग्राम पंचायतों में पारदर्शी एवं आवश्यकता-आधारित धन वितरण सुनिश्चित करना होगा, जिसमें पंचायतों की श्रेणी तथा स्थानीय विकास आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाएगा।
- मजदूरी दर विनिर्देशन: अकुशल श्रम कार्य के लिए मजदूरी दर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी; जब तक अलग दरें अधिसूचित नहीं होतीं, तब तक वर्तमान मनरेगा मजदूरी दरें लागू रहेंगी।
- कृषि के चरम मौसम की सुरक्षा: राज्यों को अग्रिम रूप से 60 दिनों की अवधि अधिसूचित करने का अधिकार होगा, जो बुवाई और कटाई के चरम समय को कवर करेगी। इस दौरान विधेयक के अंतर्गत कार्य नहीं किए जाएंगे ताकि पर्याप्त कृषि श्रमिक उपलब्ध रह सकें।
- बेरोजगारी भत्ता: यदि पात्र आवेदकों को निर्धारित समय सीमा में कार्य उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो राज्य सरकारों को बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य होगा।
- राज्य योजनाएँ छह माह में: प्रत्येक राज्य सरकार को विधेयक लागू होने के छह माह के अंदर अपनी योजना अधिसूचित करनी होगी ताकि गारंटी को क्रियान्वित किया जा सके।
- वीजीपीपी आधारित योजना: योजना निर्माण विकसित ग्राम पंचायत योजनाओं के माध्यम से किया जाएगा, जिन्हें ग्राम पंचायतें तैयार करेंगी और राष्ट्रीय स्थानिक योजना प्रणालियों के साथ एकीकृत किया जाएगा।
- संस्थागत पर्यवेक्षण: केंद्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद और राज्य ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषदों का गठन किया जाएगा ताकि अपने-अपने क्षेत्रों में विधेयक के प्रावधानों की समीक्षा, निगरानी एवं प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
विधेयक से संबंधित चिंताएँ
- राज्यों पर अत्यधिक भार : मनरेगा में केंद्र 100% मजदूरी लागत और 75% सामग्री लागत वहन करता था। लेकिन वीबी-जी राम जी विधेयक में 60:40 केंद्र-राज्य वित्तीय साझेदारी का प्रावधान है, जिससे कई राज्यों को अपनी 40% हिस्सेदारी एकत्रित करने में कठिनाई हो सकती है।
- इससे राज्यों में असमान क्रियान्वयन का जोखिम बढ़ेगा और क्षेत्रीय विषमताएँ और गहरी हो सकती हैं।
- पीएमएफबीवाई से सबक: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी इसी तरह की लागत साझेदारी थी, जिसके कारण राज्यों की 50% प्रीमियम सब्सिडी देने में असमर्थता से विलंब हुआ, कवरेज कमजोर रहा और विश्वसनीयता घटी।
- मांग-आधारित से आपूर्ति-आधारित आवंटन की ओर बदलाव: मनरेगा में पहले राज्यों द्वारा नीचे से ऊपर की ओर मांग-आधारित अनुमान लगाया जाता था।
- नए विधेयक में ऊपर से नीचे की ओर “मानक” आवंटन का प्रावधान है, जिसके मानदंड केंद्र द्वारा एकतरफा तय किए जाएंगे।
निष्कर्ष
- बदलती आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एकीकृत सम्पूर्ण-सरकार ग्रामीण विकास ढाँचे की आवश्यकता है, जिसमें कई पूरक सरकारी योजनाओं का समावेश हो।
- राष्ट्रीय विकास की प्रगति के साथ ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का समय-समय पर पुनरीक्षण आवश्यक है ताकि वे उभरती आवश्यकताओं और आगे की आकांक्षाओं के अनुरूप बने रहें।
Source: PIB
Previous article
संक्षिप्त समाचार 15-12-2025