पाठ्यक्रम: GS2/शासन
संदर्भ
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक को स्वकृति प्रदान की है।
परिचय
- यह विधेयक उच्च शिक्षा के लिए एकीकृत नियामक का प्रस्ताव करता है, जो वर्तमान वैधानिक निकायों जैसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) को प्रतिस्थापित करेगा।
- UGC गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा की देखरेख करता है, AICTE तकनीकी शिक्षा की निगरानी करता है और NCTE शिक्षक शिक्षा का नियामक निकाय है।

- यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सिफारिशों का अनुसरण करता है, जिसमें भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में शासन और निगरानी को सुव्यवस्थित करने के लिए एकल नियामक प्राधिकरण का सुझाव दिया गया था।
- नया नियामक तीन प्रमुख भूमिकाएँ निभाएगा: नियमन, मान्यता और व्यावसायिक मानकों का निर्धारण।
- इसमें HECI (भारत उच्च शिक्षा आयोग) के चार वर्टिकल्स का प्रस्ताव किया गया है।

- इस निकाय की भूमिका वित्तपोषण में नहीं होगी।
- वित्तपोषण की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास प्रस्तावित है।
- नया नियामक निकाय मेडिकल और विधि महाविद्यालयों की निगरानी नहीं करेगा।
- चिकित्सा और विधिक शिक्षा अपने-अपने परिषदों द्वारा विनियमित होती रहेगी और HECI के नियामक दायरे से बाहर रहेगी।
महत्व
- वर्तमान विधेयक NEP 2020 की दृष्टि को लागू करने के लिए एक नए प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें तकनीकी और शिक्षक शिक्षा की निगरानी को नए प्राधिकरण के अंतर्गत शामिल करते हुए अधिक व्यापक ढाँचा प्रस्तुत किया गया है।
- NEP 2020 के अंतर्गत एकल नियामक की अवधारणा को उच्च शिक्षा शासन के व्यापक पुनर्संयोजन का हिस्सा बताया गया था।
- नीति ने नियामक कार्यों को अलग करने की सिफारिश की थी ताकि दोहराव कम हो, दक्षता बढ़े और जवाबदेही बनी रहे।
Source: IE
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