पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य
संदर्भ
- पूर्वी असम के शिवसागर का डेमोव मॉडल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा स्वीकृत परियोजना के अंतर्गत सर्पदंश रोकथाम और प्रबंधन की सफल प्रणालियों में से एक के रूप में चुना गया है।
- यह परियोजना “ज़ीरो स्नेकबाइट डेथ इनिशिएटिव: सामुदायिक सशक्तिकरण और सर्पदंश विषाक्तता शमन हेतु सहभागिता” कहलाती है।
सर्पदंश विषाक्तता
- सर्पदंश विषाक्तता (सर्प के काटने से होने वाला ज़हर) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने उच्च-प्राथमिकता वाली उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया है।
- अनुमानतः विश्वभर में हर वर्ष 1.8 – 2.7 मिलियन लोग सर्पदंश से विषाक्त होते हैं।
- भारत में सर्पदंश: भारत में लगभग 90% सर्पदंश चार प्रमुख प्रजातियों (Big Four) से होते हैं — कॉमन क्रेट, इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर।
- भारत में अनुमानित 30-40 लाख सर्पदंश मामलों में से लगभग 58,000 मृत्युएँ प्रतिवर्ष होती हैं।
- सर्पदंश से होने वाली मौतें अधिकतर (48%) दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून–सितंबर) के दौरान होती हैं।
- लगभग 70% सर्पदंश मृत्यु नौ राज्यों में होती हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
- भारत में सर्प की 310 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 66 को विषैले या हल्के विषैले के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- पहले ‘बिग फोर(Big Four)’ को अधिकांश विषैले काटने के लिए जिम्मेदार माना जाता था, लेकिन हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि अन्य प्रजातियाँ भी विशेषकर पूर्वोत्तर भारत में सर्पदंश भार में योगदान करती हैं।

| इरुलर समुदाय इरुलर समुदाय कुशल सर्प पकड़ने वाले लोग हैं और नियंत्रित वातावरण में सुरक्षित रूप से सर्पों से विष निकाल सकते हैं।उनकी विशेषज्ञता भारत में एंटीवेनम उत्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाले विष की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करती है। |
Source: TH
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