प्रेह विहार मंदिर
पाठ्यक्रम: GS1/कला और संस्कृति
समाचार में
- भारत ने प्रेह विहार मंदिर परिसर में संरक्षण सुविधाओं को हुई हानि की रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त की है।
प्रेह विहार मंदिर के बारे में
- यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है और कंबोडिया में थाईलैंड की सीमा के पास स्थित है।
- इसका निर्माण मुख्य रूप से खमेर राजाओं सूर्यवर्मन प्रथम और सूर्यवर्मन द्वितीय (9वीं–12वीं शताब्दी ईस्वी) के शासनकाल में हुआ था।
- इसे 2008 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
स्रोत: TH
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज
पाठ्यक्रम: GS2/ कल्याणकारी योजना
समाचार में
- सर्वोच्च न्यायालय ने कोविड के दौरान मारे गए सभी डॉक्टरों को ₹50 लाख का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGKY) बीमा देने का आदेश दिया।
पीएमजीकेपी बीमा योजना के बारे में
- अवलोकन: पीएमजीकेपी बीमा योजना, मार्च 2020 में शुरू किए गए बड़े प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज का एक विशेष घटक है।
- कवरेज: पात्र स्वास्थ्यकर्मी को ₹50 लाख का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा कवर।
- जोखिम शामिल:
- कोविड-19 संक्रमण से मृत्यु।
- कोविड-संबंधित ड्यूटी करते समय आकस्मिक मृत्यु।
स्रोत: TH
राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की प्रथम बैठक
पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचार में
- राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की प्रथम बैठक के दौरान ₹476.03 करोड़ की केंद्रीय क्षेत्र योजना मखाना के समग्र विकास के लिए शुरू की गई।
परिचय
- केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मखाना बोर्ड की स्थापना की है, जो केंद्रीय बजट 2025–26 में की गई घोषणा को पूरा करता है।
- बोर्ड की स्थापना भारत के मखाना क्षेत्र को सशक्त और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- इसका मुख्यालय पूर्णिया, बिहार में स्थित है।
| क्या आप जानते हैं? – मखाना, जिसे अंग्रेज़ी में फॉक्स नट(Fox Nut) कहा जाता है, कांटेदार जलकुम्भी या गॉर्गन पौधे (Euryale ferox) का सूखा खाद्य बीज है। – यह पौधा दक्षिण और पूर्व एशिया के स्वच्छ जल के तालाबों में पाया जाता है। – इसे इसके बैंगनी और सफेद फूलों तथा बड़े, गोल एवं कांटेदार पत्तों के लिए जाना जाता है, जो प्रायः एक मीटर से अधिक व्यास के होते हैं। – मखाना पौधे का खाद्य भाग छोटे, गोल बीज होते हैं जिनकी बाहरी परत काले से भूरे रंग की होती है। इसी कारण इसे ‘ब्लैक डायमंड’ कहा जाता है। – 2022 में ‘मिथिला मखाना’ को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रदान किया गया। – मखाना (गॉर्गन नट या फॉक्सनट) एक जलीय फसल है और मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाई जाती है। |
Source: PIB
कोलसेतु(CoalSETU) नीति
पाठ्यक्रम: GS3/ अर्थव्यवस्था
समाचार में
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोलसेतु (CoalSETU) नीति को स्वीकृति दी है, जो औद्योगिक उपयोग के लिए कोयला आवंटन में पारदर्शिता, दक्षता और लचीलापन बढ़ाने हेतु कोयला लिंकज नीलामी की नई प्रणाली प्रस्तुत करती है।
कोलसेतु नीति के बारे में
- अवलोकन: कोलसेतु वर्तमान गैर-नियंत्रित क्षेत्र (NRS) लिंकज नीलामी नीति 2016 के तहत एक नई नीलामी विंडो बनाता है।
- पात्रता और दायरा: किसी भी घरेलू कोयला खरीदार (व्यापारियों को छोड़कर) के लिए खुला; कोकिंग कोयला शामिल नहीं; लचीलापन हेतु पूर्व उपयोग-आधारित प्रतिबंध हटाए गए।
- उपयोग प्रतिबंध: कोयला केवल स्वयं की खपत, निर्यात (50% तक), कोयला धुलाई या अन्य अनुमत उद्देश्यों के लिए; घरेलू पुनर्विक्रय निषिद्ध।
- महत्व: पारदर्शिता बढ़ाता है, व्यापार सुगमता को प्रोत्साहित करता है, घरेलू कोयला उपयोग को तीव्र करता है, आयात निर्भरता घटाता है और वाणिज्यिक खनन सुधारों के अनुरूप है।
स्रोत: PIB
अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD)
पाठ्यक्रम: GS3/ कृषि
समाचार में
- भारत ने रोम में आयोजित IFAD–इंडिया डे कार्यक्रम में ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और जलवायु-लचीली कृषि में अपनी उपलब्धियाँ प्रदर्शित कीं।
अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष के बारे में
- मुख्यालय: रोम, इटली।
- IFAD एक संयुक्त राष्ट्र की विशेषीकृत एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1977 में विकासशील देशों में ग्रामीण गरीबी से लड़ने के लिए लक्षित वित्तपोषण के माध्यम से की गई थी।
- IFAD रियायती ऋण, अनुदान और तकनीकी सहायता प्रदान करता है, मुख्यतः छोटे किसानों, पशुपालकों एवं ग्रामीण उद्यमियों को।
- इसका जोर कृषि, जलवायु लचीलापन, मूल्य-श्रृंखला विकास और आजीविका विविधीकरण पर है।
स्रोत: PIB
प्रोजेक्ट सनकैचर
पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान और प्रौद्योगिकी
संदर्भ
- गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने प्रोजेक्ट सनकैचर की घोषणा की है, जो 2027 तक अंतरिक्ष में सौर ऊर्जा से संचालित डेटा केंद्र स्थापित करने की दीर्घकालिक शोध पहल है।
परिचय
- इस परियोजना के अंतर्गत, गूगल उच्च-प्रदर्शन AI हार्डवेयर से लैस उपग्रहों के समूहों का अन्वेषण कर रहा है।
- यह नेटवर्क Starlink की उपग्रह प्रणाली जैसा होगा, लेकिन इसका ध्यान इंटरनेट वितरण पर नहीं बल्कि अंतरिक्ष-आधारित कंप्यूटिंग पर होगा।
- ये उपग्रह सौर ऊर्जा पर चलेंगे और नोड्स को जोड़ने तथा डेटा को टेराबिट गति से स्थानांतरित करने के लिए फ्री-स्पेस ऑप्टिकल लिंक का उपयोग करेंगे।
- अंतरिक्ष में सौर पैनल पृथ्वी की तुलना में लगभग 8 गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं और लगभग निरंतर।
अंतरिक्ष क्यों ?
- पृथ्वी पर AI-आधारित डेटा केंद्र भारी मात्रा में विद्युत और जल की खपत कर रहे हैं।
- उनकी ऊर्जा मांग 2030 तक 165% तक बढ़ सकती है, जिससे जलवायु तनाव और अधिक गंभीर होगा।
- साथ ही ये आपदाओं और केबल व्यवधानों के प्रति संवेदनशील बने रहेंगे।
Source: IE
सुपरनोवा
पाठ्यक्रम: GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी (अंतरिक्ष)
संदर्भ
- खगोलविदों ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) का उपयोग करते हुए एक दुर्लभ सुपरनोवा की पहचान की है, जो एक लंबे गामा-रे विस्फोट से जुड़ा है। यह घटना बिग बैंग के लगभग 730 मिलियन वर्ष बाद की है।
सुपरनोवा क्या है?
- तारों में हाइड्रोस्टैटिक संतुलन: एक तारा इसलिए जीवित रहता है क्योंकि उसमें दो शक्तियों के बीच संतुलन होता है—
- गुरुत्वाकर्षण, जो पदार्थ को अंदर की ओर खींचता है, और
- नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion), जो हाइड्रोजन को हीलियम और बाद में भारी तत्वों में बदलकर ऊर्जा बाहर की ओर छोड़ता है।
- सुपरनोवा एक शक्तिशाली और अत्यंत प्रकाशमान तारकीय विस्फोट है, जो तब होता है जब कोई तारा अपने जीवन के अंत तक पहुँच जाता है। यह तब होता है जब एक विशाल तारे का कोर नाभिकीय ईंधन समाप्त होने के बाद गुरुत्वाकर्षण के दबाव में ध्वस्त हो जाता है।
- यह ध्वंस एक झटका-तरंग (Shockwave) उत्पन्न करता है, जो तारे की बाहरी परतों को अंतरिक्ष में उड़ा देता है और सुपरनोवा का निर्माण करता है।
सुपरनोवा के प्रकार
- कोर-ध्वंस सुपरनोवा (Type II, Ib, Ic): ये सुपरनोवा उन विशाल तारों में होते हैं जिनका द्रव्यमान सूर्य से कम-से-कम आठ गुना अधिक होता है। जब नाभिकीय संलयन रुक जाता है, तो कोर ध्वस्त हो जाता है और बाहरी परतें बाहर की ओर विस्फोटित हो जाती हैं। इसके बाद पीछे बचता है—
- एक न्यूट्रॉन तारा (यदि द्रव्यमान सूर्य से कम-से-कम आठ गुना अधिक हो), या
- एक ब्लैक होल (यदि द्रव्यमान सूर्य से कम-से-कम 20 गुना अधिक हो)।

- थर्मोन्यूक्लियर सुपरनोवा (Type Ia): यह द्वितारा प्रणाली (Binary Star System) में होता है, जहाँ एक श्वेत बौना तारा (White Dwarf) अपने साथी तारे से पदार्थ ग्रहण करता है।
- जब श्वेत बौना लगभग 1.4 सौर द्रव्यमान (चंद्रशेखर सीमा) से अधिक हो जाता है, तो कोर का संपीड़न और अनियंत्रित नाभिकीय संलयन शुरू हो जाता है।
- इसका परिणाम एक Type Ia सुपरनोवा होता है, जिसमें कोई कोर अवशेष नहीं बचता।

स्रोत: MoneyControl
भारत का वनाग्नि प्रबंधन प्रस्ताव UNEA-7 में अपनाया
पाठ्यक्रम: GS3/ पर्यावरण
संदर्भ
- भारत का प्रस्ताव “वैश्विक वनाग्नि प्रबंधन को सुदृढ़ करना” नैरोबी, केन्या में आयोजित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-7) के सातवें सत्र में अपनाया गया।
परिचय
- भारत ने UNEP की वैश्विक रिपोर्ट ‘स्प्रेडिंग लाइक वाइल्डफ़ायर’ की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसमें चेतावनी दी गई है कि यदि वर्तमान प्रवृत्तियाँ जारी रहती हैं तो वनाग्नियाँ 2030 तक 14%, 2050 तक 30% और 2100 तक 50% तक बढ़ सकती हैं।
- भारत ने प्रतिक्रियात्मक प्रतिक्रिया से सक्रिय रोकथाम की ओर बदलाव का आह्वान किया, जिसमें बेहतर योजना, शीघ्र चेतावनी और समय पर जोखिम-निवारण उपाय शामिल हैं।
- वैश्विक अग्नि प्रबंधन हब, जिसे 2023 में FAO और UNEP द्वारा स्थापित किया गया था, को अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के समर्थन के लिए एक प्रमुख तंत्र के रूप में मान्यता दी गई।
भारत के प्रस्ताव के प्रमुख प्रावधान
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सुदृढ़ करना
- क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को बढ़ाना
- ज्ञान साझा करना और क्षमता निर्माण
- राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कार्य योजनाओं के लिए समर्थन
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त तक पहुँच को सुगम बनाना
Source: PIB
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